नई दिल्ली, सितम्बर 2022: विश्वकर्मा जंयती के शुभ अवसर पर, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने पहली बार कौशल दीक्षांत समारोह में 50 लाख छात्रों को संबोधित किया। एक कौशल दीक्षांत समारोह जिसका उद्देश्य न केवल पूर्णतया कौशल से जुड़े इकोसिस्टम में छात्रों का मनोबल बढ़ाना है बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर भारत के निर्माण की दिशा में काम करने के लिए भी प्रेरित करना है। केंद्रीय शिक्षा, कौशल विकास और उद्यमिता मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान ने कौशल विकास और उद्यमिता राज्य मंत्री श्री राजीव चंद्रशेखर के साथ आज नई दिल्ली में कौशल संबंधी इकोसिस्टम से चुने गए 100 टॉपर्स को दीक्षांत समारोह में प्रमाणपत्र देकर सम्मानित किया। इस अवसर पर उच्च शिक्षा सचिव श्री के संजय मूर्ति, कौशल विकास (सचिव) श्री अतुल तिवारी, भारतीय फिल्म निर्देशक और निर्माता श्री रमेश सिप्पी, एआईसीटीई के अध्यक्ष श्री जगदीश कुमार और कौशल विकास मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।
कौशल विकास और उद्यमशीलता मंत्रालय ने सत्र 2021 के लिए सीआईटीएस के तहत अखिल भारतीय व्यापार परीक्षा (सीबीटी) पास करने वाले 20,000 से अधिक औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (आईटीआई) के अभ्यर्थियों के लिए यह समारोह आयोजित किया। अखिल भारतीय व्यापार परीक्षा (एआईटीटी-2022) के परिणाम 7 सितंबर 2022 को घोषित किए गए थे। इस वर्ष परिणाम प्रतिशत 89.13% रहा (16.6 लाख में से लगभग 14.8 लाख प्रशिक्षु उत्तीर्ण घोषित किए गए)। सत्र 2020-22 के दो वर्षीय पाठ्यक्रम और 2021-22 के एक वर्षीय और 6 महीने के पाठ्यक्रम के देश भर के लगभग 8.9 लाख प्रशिक्षुओं को प्रमाणित और सम्मानित किया गया। दीक्षांत समारोह के टॉपर्स की सूची https://dgt.gov.in पर उपलब्ध है।
दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत 21वीं सदी में आगे बढ़ रहा है, औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान के 9 लाख से अधिक छात्रों के कौशल दीक्षांत समारोह के अवसर पर आज इतिहास रचा गया है, वहीं वर्चुअल माध्यम से हमारे साथ 40 लाख से अधिक छात्र जुड़े। प्रधानमंत्री ने कहा कि भगवान विश्वकर्मा की जयंती पर अपने कौशल से छात्र नवाचार के पथ पर पहला कदम बढ़ा रहे हैं। उन्होंने कहा, “मैं विश्वास के साथ कह सकता हूं कि आपकी शुरुआत जितनी सुखद है, आपके आने वाले कल की यात्रा भी उतनी ही रचनात्मक होगी।”
विश्वकर्मा जयंती के बारे में विस्तार से बताते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि विश्वकर्मा जयंती, ये कौशल की प्राण प्रतिष्ठा का पर्व है। प्रधानमंत्री ने कहा कि जैसे मूर्तिकार कोई मूर्ति बनाता है लेकिन जब तक उसकी प्राण प्रतिष्ठा नहीं होती, वो मूर्ति भगवान का रूप नहीं कहलाती। श्री मोदी ने कहा कि आज हम सभी के लिए बड़े गर्व की बात है कि विश्वकर्मा जयंती के पावन अवसर पर छात्रों के कौशल का सम्मान किया जा रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा, “विश्वकर्मा जयंती हर उस व्यक्ति का सम्मान है जो सही मायने में कड़ी मेहनत करता है, यह श्रमिक का दिन है।”, प्रधानमंत्री ने यह भी कहा, “भारत में, हमने हमेशा श्रमिक के कौशल में भगवान का रूप देखा है, उन्हें विश्वकर्मा के रूप में देखा जाता है।” श्री मोदी ने विस्तार से बताया कि उनके पास जो कौशल है उसमें कहीं न कहीं भगवान का अंश है। उन्होंने कहा, “मैं समझता हूं कि यह आयोजन ‘कौशलंजलि’ की तरह भगवान विश्वकर्मा को भावभीनी श्रद्धांजलि है।”
पिछले आठ वर्षों में सरकार की उपलब्धियों पर प्रकाश डालते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि बीते 8 वर्षों में देश ने भगवान विश्वकर्मा की प्रेरणा से नई योजनाएं शुरू की हैं, ‘श्रमेव जयते’ की अपनी परंपरा को पुनर्जीवित करने के लिए प्रयास किया है। आज देश एक बार फिर स्किल को सम्मान दे रहा है, स्किल डेवलपमेंट पर भी उतना ही जोर दे रहा है।
प्रधानमंत्री ने कहा, “इसे भारत की सदी बनाने के लिए, यह अत्यंत आवश्यक है कि भारत के युवा शिक्षा के साथ-साथ कौशल में भी समान रूप से दक्ष हों।” श्री मोदी ने कहा कि सरकार ने युवाओं के कौशल विकास और नए संस्थानों के निर्माण को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है। प्रधानमंत्री ने कहा, “हमारे देश में पहला आईटीआई, 1950 में बना था। इसके बाद के सात दशकों में 10 हजार आईटीआई संस्थान बने। हमारी सरकार के 8 वर्षों में देश में करीब-करीब 5 हजार नए आईटीआई संस्थान बनाए गए हैं। बीते 8 वर्षों में आईटीआई संस्थानों में में 4 लाख से ज्यादा नई सीटें भी जोड़ी गई हैं।”
प्रधानमंत्री ने विस्तार से बताया कि आईटीआई के अलावा देश भर में राष्ट्रीय कौशल प्रशिक्षण संस्थान, भारतीय कौशल संस्थान और हजारों कौशल विकास केंद्र भी खोले गए हैं। प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि सरकार स्कूल स्तर पर कौशल विकास को बढ़ावा देने के लिए 5000 से अधिक स्किल हब भी खोलने जा रही है। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू होने के बाद अनुभव आधारित शिक्षा को भी बढ़ावा दिया जा रहा है और स्कूलों में कौशल से जुड़े पाठ्यक्रम शुरू किए जा रहे हैं।
चौथी औद्योगिक क्रांति, ‘उद्योग 4.0’ के युग के बारे में बात करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत की सफलता में औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों की बड़ी भूमिका होगी। उन्होंने कहा कि समय के साथ नौकरी की प्रकृति बदल रही है, इसलिए सरकार ने इस बात का विशेष ध्यान रखा है कि हमारे आईटीआई में पढ़ने वाले छात्रों को भी हर आधुनिक पाठ्यक्रम की सुविधा मिले। पाठ्यक्रमों की उपलब्धता के बारे में बताते हुए श्री मोदी ने कहा कि आईटीआई में कोडिंग, एआई, रोबोटिक्स, 3डी प्रिंटिंग, ड्रोन तकनीक और टेलीमेडिसिन से संबंधित कई कोर्स शुरू किए गए हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत अक्षय ऊर्जा, सौर ऊर्जा और इलेक्ट्रिक वाहनों के क्षेत्र में अग्रणी है, ऐसे क्षेत्रों से संबंधित पाठ्यक्रम हमारे कई आईटीआई में शुरू किए गए हैं। उन्होंने कहा, “आप जैसे छात्रों के लिए रोजगार के अवसर प्राप्त करना आसान होगा।”
हर गांव में ऑप्टिकल फाइबर उपलब्ध कराने और लाखों कॉमन सर्विस सेंटर खोलने के हाल के घटनाक्रमों के बारे में बात करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि जैसे-जैसे देश में तकनीक का विस्तार हो रहा है, वैसे-वैसे रोजगार के अवसर भी बढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि आईटीआई से पास हुए विद्यार्थियों के लिए गांवों में अधिक से अधिक अवसर सृजित किए जा रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहा, “गांव में मोबाइल मरम्मत का काम हो या कृषि में नई तकनीक का काम हो, खाद का छिड़काव हो या ड्रोन की मदद से दवा की आपूर्ति हो, ऐसे कई नए रोजगार ग्रामीण अर्थव्यवस्था में जुड़ रहे हैं।” इसमें आईटीआई की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है, हमारे युवाओं को इन संभावनाओं का अधिकतम लाभ उठाना चाहिए। प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि सरकार भी इसी तरह के विजन को ध्यान में रखते हुए आईटीआई को अपग्रेड करने के लिए लगातार काम कर रही है।
कौशल विकास पर प्रकाश डालते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, “जब एक युवा में शिक्षा की शक्ति के साथ-साथ कौशल की शक्ति भी होती है, तो उसका आत्मविश्वास अपने आप बढ़ जाता है। युवा जब स्किल के साथ सशक्त होकर निकलता है, तो उसके मन में ये विचार भी होता है कि इस स्वरोजगार की भावना को बढ़ावा देने के लिए कैसे वो अपना काम शुरू करें।” प्रधानमंत्री ने मुद्रा योजना, स्टार्टअप इंडिया और स्टैंडअप इंडिया जैसी योजनाओं के महत्व पर प्रकाश डाला, जो बिना गारंटी के ऋण प्रदान करती हैं।
वैश्विक स्तर पर अवसरों के बारे में चर्चा करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि दुनिया के कई बड़े देशों को अपने सपनों को पूरा करने और अपनी गति बनाए रखने के लिए एक कुशल कार्यबल की आवश्यकता है। श्री मोदी ने कहा कि देश के साथ-साथ विदेशों में भी कई अवसर उपलब्ध है। “बदलती वैश्विक परिस्थितियों में, भारत के प्रति दुनिया का विश्वास भी लगातार बढ़ रहा है। कोरोना काल में भी भारत ने साबित कर दिया है कि कैसे उसके कुशल कार्यबल और उसके युवा सबसे बड़ी चुनौतियों का समाधान प्रदान करने में सक्षम हैं।” प्रधानमंत्री ने कहा कि भारतीय अपने कौशल और प्रतिभा के कारण हर देश में अपनी पहचान बना रहे हैं, चाहे वह स्वास्थ्य सेवाएं हों या होटल-अस्पताल प्रबंधन, डिजिटल समाधान, या आपदा प्रबंधन का क्षेत्र।
इस अवसर पर केन्द्रीय मंत्री श्री प्रधान ने कहा कि कौशल विकास सशक्तिकरण का साधन है। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में कौशल विकास को शिक्षा के साथ एकीकृत करने और शैक्षणिक समानता प्रदान करने को महत्व दिया गया है। मंत्री महोदय ने दीक्षांत समारोह में कौशल प्रमाण पत्र प्राप्त करने वाले सभी छात्रों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में इन सभी छात्रों का योगदान अहम होगा। उन्होंने यह भी कहा कि कौशल संबंधी प्रशिक्षण से नौकरी तलाशने वाले भी रोजगार का सृजन कर रहे हैं। श्री प्रधान ने जोर देकर कहा कि भारत के पास जो एक विशाल, युवा और शिक्षित आबादी है अगर उसे उद्योग की आवश्यकताओं के अनुरूप प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण की सुविधा प्रदान की जाए, तो वह विश्व स्तर पर किसी भी उद्योग के लिए ताकत बन सकती है। स्किलिंग, रीस्किलिंग और अपस्किलिंग ने न केवल हाशिये के समुदायों और महिलाओं को सशक्त बनाया है बल्कि युवाओं को सशस्त्रों बलों में अग्निवीर के रूप में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित किया है। आगे बढ़ते हुए, कौशल विकास और उद्यमशीलता मंत्रालय अपने प्रयासों को विश्वस्तरीय मानकों के अनुरूप बनायेगा और यहां तक कि कौशल के आधार पर डिग्री और पीएचडी प्रमाणपत्र भी प्रदान करेगा। उन्होंने यह भी आग्रह किया कि विश्वकर्मा दिवस को कौशल संबंधी इकोसिस्टम में सबसे शुभ दिन के रूप में मनाया जाए।
कौशल के महत्व को रेखांकित करते हुए श्री राजीव चंद्रशेखर ने कहा कि नई विश्व व्यवस्था में कौशल का महत्व बेतहाशा बढ़ गया है। जैसे-जैसे भारत कोविड-19 महामारी से उबर रहा है, कौशल युवाओं के बीच समृद्धि का पासपोर्ट बन गया है। भारत के युवा उस नए भारत की नींव हैं जिसका हम निर्माण करना चाहते हैं और प्रत्येक हितधारक को माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत की स्थापना के लिए और देश को दुनिया की कौशल राजधानी में बदलने के दोहरे दृष्टिकोण को पूरा करने के लिए एक साथ मिलकर काम करना चाहिए। सभी अभ्यर्थियों को बधाई देते हुए, उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें इस दीक्षांत समारोह का हिस्सा बनने पर बेहद गर्व है और उन्होंने सभी से विकास और टिकाऊ आजीविका की ओर बढ़ने के लिए कौशल का लाभ लेने का आग्रह किया।
दीक्षांत समारोह के दौरान मीडिया और मनोरंजन कौशल परिषद तथा केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए। साथ ही, उपलब्धियों पर आधारित पुस्तिकाओं- स्किल इंडियाज वन इंडिया, वन मिशन, स्वावलंबन की ओरः 75 उद्यमियों की कहानियां, किसान ऑपरेटर वीडियो (कृषि क्षेत्र), स्किल गैप रिपोर्ट (हाइड्रोकार्बन क्षेत्र), मैं जल रक्षक अभियान (वाटर और प्लम्बिंग क्षेत्र) को जारी किया गया। इसमें प्रशिक्षकों को गुणवत्ता निरीक्षक प्रशिक्षण (ऑटोमोटिव क्षेत्र) के लिए हैंडबुक का औपचारिक अनावरण भी शामिल है।
आईटीआई/एनएसटीआई के टॉपर्स के अलावा, पीएमकेवीवाई और विशेष प्रोजेक्ट के अभ्यर्थियों, एनआईईएसबीयूडी और आईआईई अभ्यर्थियों, जन शिक्षण संस्थान के अभ्यर्थियों, प्रशिक्षुओं, प्रशिक्षकों, उद्यमियों और विश्व कौशल 2022 के विजेताओं को प्रमाणपत्र वितरित किए गए।
इसके अलावा, देशभर में सभी संस्थानों एवं केंद्रों और भागीदारों जैसे सेक्टर स्किल काउंसिल, प्रधानमंत्री कौशल केंद्र (पीएमकेके), ट्रेनिंग पार्टनर्स, स्किल इंडिया इंटरनेशनल, स्किल हब आदि में यह दिवस मनाया गया और स्थानीय गणमान्य व्यक्तियों व मीडिया को आमंत्रित किया गया। इस समारोह में कौशल प्रशिक्षकों को उनके कौशल संबंधी इकोसिस्टम में योगदान को मान्यता देने के लिए सम्मानित करना भी शामिल था।