बघेरा : पर्यटन विकास को लगेंगे पंख

केकड़ी 10 नवंबर( पवन राठी )अजमेर जिले के विधानसभा क्षेत्र केकड़ी के पंचायत समिति क्षेत्र ग्राम बघेरा में क्षेत्रिय विधायक एवं गुजरात कांग्रेस प्रभारी डॉ रघु शर्मा की अनुशंसा पर मुख्यमंत्री बजट घोषणा 2022-23 के अनुसार पर्यटन एवं पौराणिक धरोहर के रूप में प्राचीन श्री वराह मंदिर के विकास के लिये 90.18 लाख रुपए स्वीकृत करने से ग्राम बघेरा के पर्यटन विकास को गति मिलेगी। पौराणिक, आध्यात्मिक ऐतिहासिक एवं प्राचीन और पुरातात्विक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण ग्राम बघेरा जो कभी व्याघ्रपुर नाम से जाना जाता था । जिसका वर्णन आज से करीबन 5000 वर्ष पूर्व भी मिलता है, स्कंदपुराण में इसी बघेरा ग्राम का वर्णन व्यघ्रपादपुर नाम से वर्णीत ओर उल्लेखित हुआ है । इससे इस कस्बे की प्राचीनता, ऐतिहासिकता का अंदाज और अनुमान सहज ही लगाया जा सकता है । धरोहर संरक्षण अधिनियम 1961 के तहत बरसों पहले यहाँ नीला बोर्ड लगा कर इस मंदिर को संरक्षित घोषित कर रखा है। लेकिन यह नीला बोर्ड केवल औपचारिकता मात्र था। इसकी सुध लेते हुये पिछले कार्यकाल में कांग्रेस गहलोत सरकार में क्षेत्रीय विधायक डॉ रघु शर्मा की अनुशंसा पर यहां वराह मंदिर जीर्णोद्धार हेतु 50 लाख रुपए की स्वीकृति प्रदान करवाकर मन्दिर के विकास कार्यो की शुरुआत की थी, लेकिन उसके बाद भाजपा की सरकार आ गई लोगो को आश जगी की यह सरकार तो हिंदुत्ववादी है, तो यहां वराह मंदिर का बहुत विकास होगा मगर भाजपा सरकार ने यहां विकास के नाम पर एक रुपये की भी स्वीकृत जारी नही की। इसके बाद क्षेत्र के लोगो को गहरी निराशा हाथ लगी। अब वर्तमान में पुनः कांग्रेस गहलोत सरकार है और क्षेत्रीय विधायक भी डॉ रघु शर्मा ही है। क्षेत्रीय विधायक डॉ शर्मा ने राजस्थान सरकार से ग्राम बघेरा के श्री वराह मंदिर जीर्णोद्धार में शेष रहे विकास कार्य श्री वराह प्राकट्य स्थल पर कुण्ड एवं छतरी, एक प्रवेश सिंहद्वार, एक पूर्वी दिशा में मुख्य प्रवेश सिंहद्वार, “वराह हर की पेड़ी” घाट, मंदिर नीचे से शिखर तक रंगीन इलेक्ट्रॉनिक लाईट्स (प्रेम मंदिर जैसे), परिक्रमा में छाया हेतु व्यवस्था, वराह वाटिका, दर्शनार्थियों के मनोरंजन हेतु चकरी, झूले, खुली जिम, सरोवर के मुख्य टीले पर गार्डन इत्यादि सहित अनेक विकास कार्यो को पूर्ण करवाने के उद्देश्य से वर्तमान में पुनः पर्यटन विकास हेतु 2 करोड़ 51 लाख रुपये का प्रोजेक्ट बनाकर भिजवाया। जिसके तहत पर्यटन विकास करवाये जाने की स्वीकृति मिली है। कांग्रेस युवा नेता एवं केकड़ी पंचायत समिति सदस्य संदीप पाठक ने उक्त जानकारी देते हुवे बताया की उक्त विकास कार्यो हेतु 90.18 लाख रुपये की 25% राशि राजस्थान पर्यटन विकास निगम लिमिटेड द्वारा स्वीकृत हुई है। उन्होंने बताया कि बघेरा क्षेत्र में पर्यटन की असीम संभावनाएं मौजूद है। क्षेत्र में सर्व धर्मों के छोटे-बड़े मन्दिर स्थापित है यहां लाखो दर्शनार्थियों का आना-जाना लगा रहता है । उक्त स्थान पर अजमेर-पुष्कर से सीधा सम्पर्क होने से यात्रियों का तांता लगा रहता है। इस मार्ग से होते हुई सवाई माधोपुर – टोडारायसिंह, बघेरा- सरवाड़- अजमेर- पुष्कर एक पर्यटन सर्किल के रूप में सीधा संपर्क रहता है। जिससे पर्यटको की आवाजाही बढ़ेगी और राज्य सरकार के राजस्व में भी भारी बढ़ोतरी होगी। इस कस्बे में ऐतिहासिक और आध्यात्मिक महत्व के मंदिर ओर इमारते और कलाकृतियां आज भी अपना ध्यान सहज आकर्षित करती है ओर अपना इतिहास खुद बयां कर रही है । ऐतिहासिक और पौराणिक की इस पावन नगरी को आम बोलचाल की भाषा में ”बाराजी का गांव” के नाम से पुकारा जाता है । इसके पीछे ऐतिहासिक और पौराणिक प्रमाण भी रहे हैं बघेरा अनेक आध्यात्मिक स्थल मंदिर प्राचीन मंदिर और ऐतिहासिक धरोहर तथा यहां की पुरातात्विक सामग्री अपना इतिहास बयान कर रहे हैं परंतु कस्बे की पहचान का मुख्य केंद्र यहां का ऐतिहासिक, पौराणिक और कलाकृति का प्रतिरूप शुर वराह की भव्य प्रतिमा और विशाल वराह मंदिर है।
बघेरा इतिहास के शोधकर्ता रमेश झंवर, डॉ ज्ञान चन्द जांगिड़ ने ऐतिहासिक एवं पौराणिक महत्व के बारे में बताया की बघेरा कस्बे से गुजर रही डाविका (डाई) नदी है जिसके उत्तर दिशा की तरफ लगभग 300 एकड़ क्षेत्र में फैला हुआ पवित्र विशाल पानी की झील है जिसे ”वराह सागर झील” के नाम से जाना जाता है। इस झील के किनारे विश्व प्रसिद्ध भगवान श्री वराह का। विशाल एवं भव्य पौराणिक कलाकृतियों से निर्मित विशाल मंदिर स्थित है। इस प्राचीन और भव्य मंदिर का इतिहास काफी पुराना रहा है।इसका जीर्णोद्धार आठवीं शताब्दी से पूर्व के मंदिरों के अवशेषों पर संवत 1600 के आसपास मेवाड़ के महाराणा अमर सिंह के समय में बेंगू के राव सवाई मेघसिंह जिसे ‘काली मेघ’ के नाम से भी जाना जाता है। उन्होंने इस मंदिर का नए सिरे से निर्माण करवाया था। यह एक ऐतिहासिक तथ्य भी है तथा इस मंदिर में भगवान विष्णु के तीसरे अवतार महावराह कि दसवीं शताब्दी से पूर्व की निर्मित प्रतिमा को स्थापित किया था। एक जनश्रुति भी है की बघेरा के इस भव्य श्री वराह मंदिर में जो मूर्ति स्थापित है । वह वराह सागर झील में ही एक टीले की खुदाई से प्राप्त हुई थी। जिस स्थान पर यह मूर्ति निकली है उस स्थान पर आज भी उसे “वराह भट्टी” के नाम से जाना जाता है। जहां वराह भट्टी पर पानी भर जाने पर आज भी बुल-बुले निकलते है उनके दर्शन करने योग्य है। बघेरा के वराह सागर झील से मूर्ति निकलने के पीछे भी एक ऐतिहासिक तथ्य है कि मेवाड़ के महाराणा अमरसिंह के समय में बेंगू के राव मेघसिंह, बादशाह जहांगीर के यहां आगरा में थे।उनकी जागीर में मालपुरा जो आज टोंक जिले में है । मालपुरा (टोंक) से बेंगू (चित्तौड़गढ़) का मार्ग बघेरा होकर ही जाता था। यह बघेरा नगर इसी प्रकार 6 मार्गों को जोड़ता था। ऐसा माना जाता है और बेंगू के राव मेघसिंह की यात्रा के दौरान वराह सागर झील के पूर्वी छोर पर स्थित एक यूप था जिस पर लिखा था ”एक तीर पर धन” इसी युप के इशारे के आधार पर बेंगू राव साहब ने उस टीले की खुदाई की जहां पर उक्त प्रतिमा निकली थी, जिस स्थान पर यह प्रतिमा निकली उसे “वराह भट्टी” के नाम से पुकारते हैं जहां आज भी पूजा पाठ का आयोजन किया जाता है । कस्बे का यह मंदिर जाने माने इतिहासकारों की लेखनी में भी अपना स्थान बना चुका है। बघेरा का इतिहास विषय पर लिखी गई अनेक पुस्तकों में एवं बृजमोहन जावलिया लेखकों जैसे अनेक इतिहासकारों ने अपनी पुस्तकों में इस वैभवशाली प्राचीन मंदिर का उल्लेख किया है।
*क्यों विशेष है श्री वराह की प्रतिमा*
निःसंदेह इस आध्यात्मिक राष्ट्र में मूर्तियों और मंदिरों के बारे में यही कहा जा सकता है कि यहां मंदिर और मूर्तियों की भव्यता और सुंदरता तथा कलाकृति की कोई सीमा नहीं है, फिर भी श्री वराह मंदिर, बघेरा में स्थित यह प्रतिमा अपने आप में अद्वितीय हैं।
यह प्रतिमा शूर रूपी एक विशाल प्रतिमा होने के साथ-साथ कलाकृति का एक अनुपम नमूना है । इसका आकार अनुमानित रूप से 4″2″6 फिट है जो कि भगवान विष्णु का अवतार है वराह रूप में एक पशु की इस संरचना को मूर्तिकार ने जिस रूप में बनाया है वह कल्पना से परे है। भगवान विष्णु का यह रूप काले पाषाण पत्थर से बनी यह अद्वितीय प्रतिमा जिस पर 525 की संख्या में छोटी-छोटी देवी-देवताओं की प्रतिमा कलाकृतियां उत्कीर्ण है। उन्हें देखकर सहज ही लोग दांतों तले अंगुली दबाने को मजबूर हो जाते हैं । इस प्रतिमा की बनावट का आकार और इस पर की गई बारीक कलाकृति को शब्दों में पिरो कर वर्णन करना संभव नहीं है। इस रूप में भी श्री विष्णु भगवान के समस्त आयुध, शंख, चक्र, गदा, पद्म, अपने चारों पैरों में धारण किए हुए हैं शेष-शय्या पर क्षीर सागर में शयन करना विष्णु को बहुत प्रिय है । इसे भी विग्रह शेषनाग को शैय्या के रूप में दिखाया गया है, चारों पैरों के बीच में कुंडली मारकर शेषनाग अपने फनो को भगवान की स्तुति में मुख के नीचे किए हुए हैं। शेषनाग के इन फर्नो के अंदर दोनों नाग कन्या इंगला-पिंगला भी भगवान की स्तुति करती हुई दिखाई गई हैं। शेषनाग मेंरुदण्ड में स्तिथ सुशुम्र का प्रतीक और फन इन्द्रियों ओर इंगला-पिंगला दाई ओर बाई दोनों नाड़ियो तथा बराही नाडी के स्थान को दर्शाती है। मस्तिष्क पर रासलीला चक्र का होना, पीठ पर सात समुंदर होना और सात लोक जिनमें चरा-चर विश्व में जीव मात्र की सभी क्रियाओं का विस्तार सहित चित्रण किया जाना, समुंद्र मंथन के समय देवताओं और असुरों ने शेषनाग को नेज के रूप में काम में लिया और 14 रत्न नवनीत के रूप में प्राप्त किए थे। उन्हें भी उक्त प्रतिमा में समाहित किया हुआ है। इसी प्रकार मल युद्ध, नृत्य, स्नान, गायन यहां तक कि अन्य सभी ग्रहों को भी इसमें दर्शाए जाना इस प्रतिमा को एक अलग ही महत्व प्रदान करते हैं साथ ही वीणा बजाते हुए नारद जी भी भगवान की इस प्रतिमा में उत्कीर्ण किये हुए है। इन सभी विशेषताओं से शुर वराह भगवान की प्रतिमा मनमोहक और आकर्षित है बताया जाता है कि जो पुष्कर ब्रम्हा जी के दर्शन करने के बाद शुर वराह प्रतिमा के दर्शन करने पर ब्रम्हाजी के दर्शनों का लाभ प्राप्त होता है। उक्त दर्शन जो हर किसी का ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर लेती है साथ ही बताया जाता है कि शास्त्रों में जिस प्रकार का वर्णन वराह का पृथ्वी को धारण किये जाने का वर्णन किया गया है। उसी वर्णन के तहत इस प्रतिमा को बनाया गया था । यंहा किवदंती है कि सम्पूर्ण विश्व में इस प्रकार की एकमात्र अनुपम कलाकृति के रूप कि एक मात्र शुर वराह की प्रतिमा इसी मंदिर में स्थापित है। यह मंदिर अजमेर जिले के विधानसभा केकड़ी क्षेत्र के ग्राम बघेरा में स्थित है।
पंडित गौरीशंकर हीराचंद ओझा के अनुसार “चमकते हुए श्याम पाषण की शुकर रूप वराह की यह विशालकाय मूर्ति उनके अनुसार देखी हुई वराह की सब मूर्तियों में सर्वाधिक सुंदर प्रतिमा है।
क्षेत्रीय विधायक डॉ रघु शर्मा द्वारा पर्यटन विकास हेतु राशि 90.18 लाख रुपये स्वीकृत करवाने हर्ष व्यक्त करते हुए डॉ रघु शर्मा एवं युवा नेता सागर शर्मा का हार्दिक आभार प्रकट करते हुए धन्यवाद प्रेषित किया है।

error: Content is protected !!