वक्त से लड़कर विजय बना हूं

फिर से उस इतिहास को आज मैं दोहराता‌ हूं,
एक कविता फिर से नयी आज मैं लिखता हूं।
इस ८४ लाखवी योनि का सफ़र मैं काटता हूं,
आशीष व शुभकामनाएं आपसे मैं चाहता हूं।।
पत्रकारिता के क्षेत्र में ३६ सालों से सक्रिय हूं,
साढ़े पांच दशक का सफ़र पूर्ण कर ख़ुशी हूं।
देश के कोनो-कोनो में भ्रमण करता-रहता हूं,
विजयकुमार शर्मा मेरा नाम अजमेरवासी हूं।।
पारिवारिक समस्याओं से सदा लड़ता रहा हूं,
मैं १९८४ में हायर सेकेंड्री पास कर लिया हूं।
इन्टरनेट तभी से मैं इस्तेमाल किया करता हूं,
पत्रकारिता केरियर में मैं यायावर पत्रकार हूं।।
चैन्नई एवं गुजरात में ख़ास पहचान बनाया हूं,
पानी सूट न करनें पर मैं अजमेर आ गया हूं।
३५ वर्ष कार्यकाल में दोस्ती इज़ाफ़ा पाया हूं,
१६६ देशों में फैले लाखों दोस्त मैं बनाया हूं।।
अपनी कुशलता के बल पे पहचान बनाया हूं,
सरकारी सुविधाओं का आवेदन ना किया हूं।
ऐसे भले ही बहुत मंत्रियों नेताओं से मिला हूं,
वक्त से लड़कर विजय बना यह मैं सीखा हूं।।
रचनाकार ✍️
गणपत लाल उदय, अजमेर राजस्थान
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