श्रीजी महाराज ने बताया दान का महत्व

ब्यावर, 28 दिसंबर। शहर की पर्ल आनंदा कॉलोनी में स्वर्णगंगा परिवार की आयोजित श्रीमद् भागवत कथा में जगद्गुरु निम्बार्काचार्य पीठाधीश्वर श्यामशरण देवाचार्य श्रीजी महाराज ने दान का महत्व समझाया। उन्होंने कहा कि दान सिर्फ अर्थ यानि रुपए-पैसों का ही दान नहीं होता। आपके पास जो कला है उसका दान कीजिए। अगर ज्ञान है और किसी को शिक्षा की आवश्यकता हो तो उसे शिक्षा का दान देकर शिक्षित बनाइए। अगर भजन आता है तो भक्ति का दान कीजिए। धन-संपदा, सुख-वैभव सब यहीं रह जाएगा। मृत्यु के बाद सिर्फ धर्म, कर्म और भक्ति ही साथ जाएगी।
श्रीजी महाराज ने कहा कि इंसान को सांस्कारिक वस्तुओं और रिश्तों से मोह हो जाता है और वो उनमें उलझा रहता है लेकिन जब मोह टूटता है तो दर्द देता है। सोने और लोहे का उदाहरण देकर समझाया कि जब अपने ही अपनों का अपमान करते हैं तो मोह टूट जाता है। जब भगवान की भक्ति करने निकलते हैं तो आलोचनाएं भी सुननी पड़ती है लेकिन घबराना नहीं चाहिए। भगवान हर वक्त सहारा देंगे। अनन्य भाव से भजन करने पर भगवान अवश्य मिलेंगे। ध्रुवजी ने भक्ति से हो भगवान को हासिल किया था। कथा में पुष्कर से आई विदिशा शर्मा ने सितार वादन की प्रस्तुति दी। मोहे दे दर्शन गिरधारी.., प्रभुजी मेरी लागी लगन मत तोड़ना.. भजन पर भक्त झूम उठे। हरिद्वार से पधारे महामंडलेश्वर कपिल मुनि, आईपीएस मनीष चौधरी, तहसीलदार सर्वेश्वर निम्बार्क, आयाेजक गणपत सर्राफ, विवेक अग्रवाल, दिल्ली से राधेमोहन, पानीपत से बीना मित्तल, बैंगलोर से अशोक शर्मा, प्रमोद शर्मा, मुंबई से मुकेश तनुजा, अजमेर से अशोक तोषनीवाल, किशनगढ़ से महेश गोंदवाला समेत देश के विभिन्न राज्यों से आए हजारों श्रोता शामिल हुए। मंच संचालन सुमित सारस्वत ने किया। आयोजक गणपत सर्राफ ने बताया कि गुरुवार को भगवान श्रीराम अवतार व श्रीकृष्ण जन्म प्रसंग की कथा सुनाई जाएगी। सभी भक्त धूमधाम व उत्साह के साथ प्रभु का जन्मोत्सव मनाएंगे।

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