घमंड ना करें यह नष्ट कर देगा – यशस्विनी माताजी

लोगो की निंदा से परेशान होकर अपना रास्ता मत बदलना, क्योंकि सफलता शर्म से नहीं साहस से मिलती है। माताजी ने कहा कि पिता के घराने का अभिमान करना कुलमद है। अपने नाना-मामा के वंश का अभिमान करना जातिमद है। अपने शरीर की सुंदरता का घमंड करना रूपमद है। अपने ज्ञान का अभिमान प्रकट करना ज्ञानमद है। अपनी धन-सम्पत्ति का घमंड करना धनमद है। अपने शरीर के बल का अभिमान करना बलमद है। अपनी तपस्या का घमंड करना तपमद है। अपने शासन अधिकार का अभिमान करना अधिकारमद है।
उन्होंने कहा कि जैन धर्म पूर्णत: अहिंसा पर आधारित है। जैन धर्म में जीवों के पूर्ण अहिंसा पर जोर दिया जाता है।
श्री दिगंबर जैन मुनि संघ सेवा जागृति मंच के तत्वाधान में चल रहे प्रवचन कार्यक्रम में प्रतिदिन माताजी के प्रवचन में प्रातकाल 8:30 हो रहे हैं अध्यक्ष सुनील जैन होकरा ने बताया कि संध्या काल में आरती एवं स्वाध्याय के कार्यक्रम संपन्न हुए हैं

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