कलमप्रिया लेखिका साहित्य संस्थान की काव्य गोष्ठी फागुनी गीतो के साथ सम्पन्न

जयपुर । कलम प्रिया लेखिका साहित्य संस्थान की काव्य गोष्ठी का आयोजन कलम प्रिया सखी शशि पाठक के निवास स्थान पर रखी गई । शशि पाठक के आत्मिक स्वागत व मेहमान नवाजी एवं उनके मनुहार व स्वागत को पाकर सभी सखियां हृदय से गदगद हो उठीं । इसके पश्चात काव्य गोष्ठी की शुरुआत रामा की कविता “फलसफा” से हुई । रामा की कविता ने ऐसा समा बांधा कि सब मनमुग्ध हो गये । इसके बाद मनीषा गर्ग की रचना “मां का पल्लू “ने सभी सखियों को भावुक कर दिया ।
प्रीति जैन की रचना में उपमाओं का बहुत सुंदर समायोजन देखने को मिला । जिसके लिए उन्होंने खूब वाह- वाही ली ।कमलेश शर्मा ने आशुकविता का परिचय देते हुए रचना को बहुत सुंदर तरीके से प्रस्तुत किया, तो स्नेहप्रभा द्वारा रची गई रचना “स्वयं से मिली मैं आज, “नारी अंतर वेदना को प्रतिपादित कर रही थी ।

इस तरह काव्य सागर में सखियों की रचनाएं नदियों के उफान की तरह उतरती चढ़ती नजर आई । इस काव्य गोष्ठी में रितिका मदान का प्रथम प्रयास तारीफ के काबिल था । आभा ने पर्यावरण के प्रति संवेदना युक्त रचना “व्यथा “सुना कर सभी का ध्यान पर्यावरण की सुरक्षा की ओर खींच लिया । स्मिता शुक्ला ने “बेटी का दर्द” रचना सुनाते हुए नारी अंतर्मन को छूने का भरसक प्रयास किया । नीरा जैन ने छोटी किंतु प्रभावशाली रचना “कभी-कभी” सुनाकर सखियों की तालियां बटोरी तो शोभा गोयल की रचना “छल” ने नारी के जीवन में हो रहे भुलावे पूर्ण व्यवहार की सच्चाई को व्यक्त करने का सफल प्रयास किया । डॉ मनीषा दुबे ने फागुन रचना में प्रभु प्रेम का मनोरम दृश्य प्रस्तुत किया । अंजना ने पुरुष जीवन को स्पष्ट करने का प्रयास किया, उनकी रचना प्रभावशाली थी । पवनेश्वरी वर्मा ने उर्दू में ग़ज़ल से समा बांध दिया, उनकी ग़ज़ल में एक सफल और प्रभावशाली व्यक्तित्व एवं भाषा में उर्दू की पकड़ उच्च कोटि की नजर आ रही थी । निर्मला गहलोत के “फागुन” सुहाना था, ने सभी साथियों को उत्साहित कर दिया । उषा शर्मा की “स्पंदन “रचना ने सभी को स्पंदित कर दिया, तो सुशीला शर्मा की “कान्हा खेलने आए होरी” ने तो सारा माहौल ही रंगीन कर दिया, सभी सखियों ने उनकी इस रचना का हृदय से उत्साह पूर्ण स्वागत किया व पुष्पों से होली खेलकर आनंद का एहसास किया । सरस्वती की रचना “फागुनी ” व टीना रावल की रचना ‘’तुम बहुत याद आ रहे हो” ने सभी का मन मोह लिया । नेहा पारीक ने “रोज डे” पर बहुत सुंदर रचना सुनाई और अंत में मेजबान शशि पाठक ने हंसिकाओं से सभी सखियों का मन मोह लिया ।

कार्यक्रम के अंत में सभी साखियों के साथ पुष्प एवं इसके पाउडर से बने रंगों द्वारा होली खेलते हुए कलमप्रिया लेखिका साहित्य संस्थान की काव्य गोष्ठी का समापन हुआ । शशि पाठक ने सभी आगुंतकों का आभार प्रकट किया ।

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