राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत की एक और विवादास्पद टिप्पणी ने नया बखेड़ा खड़ा कर दिया है। भागवत ने पति-पत्नी के रिश्ते और शादी को लेकर कहा है कि लोग जिसे विवाह कहते हैं, दरअसल वो तो पति और पत्नी के बीच सौदा यानी कॉन्ट्रैक्ट होता है।
इंदौर में 15 जिलों के करीब डेढ़ लाख कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए भागवत ने जड़ता के सिद्धांत को पति-पत्नी के संबंध से जोड़ते हुए कहा कि शादी दरअसल एक सामाजिक कॉन्ट्रैक्ट होता है और इसके तहत दोनों एक-दूसरे की जरूरतें पूरी करते हैं। अगर किसी कारण से कॉन्ट्रैक्ट की पूर्ति नहीं होती है तो पति पत्नी को और पत्नी पति को छोड़ देती है।
संघ प्रमुख के अनुसार, एक घर का दूसरे घर से संबंध नहीं इसलिए सृष्टि में किसी का किसी से संबंध नहीं है। उन्होंने कहा कि आप जिसे विवाह संस्कार कहते हैं, दरअसल वह एक सौदा है, तुम मेरा घर संभालो..सुख दो और मैं तुम्हारे के लिए दाना-पानी की व्यवस्था करूंगा..और तुम्हारी रक्षा करूंगा। भागवत ने कहा कि महिलाओं का काम घर संभालना है और पुरुषों का काम है पैसा कमाना और महिलाओं की सुरक्षा करना।
सरसंघचालक ने आगे कहा कि अगर पत्नी कॉन्ट्रैक्ट पूरा नहीं कर सकती है तो उसको छोड़ दो और अगर किसी कारण पति कॉन्ट्रैक्ट पूरा नहीं कर सकता है तो उसे छोड़ दो। अपनी समझ के हिसाब से दूसरा कॉन्ट्रैक्ट खोज लो, ऐसे ही चलता है।
हालांकि इस बयान के बाद संघ के प्रवक्ता राम माधव ने कहा कि सरसंघचालक का बयान पश्चिमी देशों में होने वाली शादियों को लेकर था और इस बयान को भारतीय संदर्भ से जोड़ दिया गया, जो बिल्कुल गलत है।
गौरतलब है कि इससे पहले भागवत ने कहा था कि ‘भारत’ में कम और ‘इंडिया’ में ज्यादा रेप होते हैं और इसके लिए उन्होंने बदलते सामाजिक मूल्यों को जिम्मेदार ठहराया था। हालांकि बाद में उन्होंने कहा कि मीडिया ने उनके बयान को तोड़-मोड़कर पेश किया है।