*गहलोत-पायलट के बीच पड़ी गांठ खुल पाएगी?*

-गले में फांस फंसती देखकर कांग्रेस हाईकमान को आई सुध
-पायलट की संतुष्टि व खुशी कितने दिन बनी रहेगी
-सवालिया निशानों के घेरे में कांग्रेस की उच्चस्तरीय बैठक

✍️प्रेम आनन्दकर, अजमेर।
👉रहीम जी का दोहा है, ’’रहिमन धागा प्रेम का मत तोड़ो चटकाए, टूटे से फिर ना जुड़े, जुड़े गांठ पड़ जाए।’’ यानी जब संबंधों में एक बार दरार पड़ जाती है, तो फिर चाहे कितनी ही सुलह कर लें, गांठ पड़ ही जाती है। ऐसा ही राजस्थान की कांग्रेस राजनीति में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उप मुख्यमंत्री व पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट के बीच है। दोनों के बीच राजनीतिक लड़ाई इस कदर तक गई, जिसे देखकर हर कोई हैरान रहा। गहलोत ने तो पायलट को नाकारा तक बता दिया था। माना कि लड़ाई हर घर-परिवार में होती है, लेकिन जब घर की बात सड़क पर आ जाती है, तो छिछालेदारी के सिवाय कुछ भी हासिल नहीं होता है। कांग्रेस हाईकमान भी अभी तक दोनों की लड़ाई के मजे लेता रहा। अब चूंकि विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं, तो हाईकमान में देखा, जिस लड़ाई के मजे लिए जा रहे हैं, कहीं वही कांग्रेस के लिए गले की फांस नहीं बन जाए। 6 जुलाई को दिल्ली में पार्टी के आला नेताओं के साथ हुई बैठक से पायलट संतुष्ट और खुश नजर आए, लेकिन उनकी यह संतुष्टि और खुशी कितने दिन तक बनी रहेगी, यह आने वाला समय बताएगा। अलबत्ता, अभी तक यह साफ नहीं हो पाया है कि पायलट अपनी जिन तीन प्रमुख मांगों पर अड़े हुए थे, क्या उन्हें पार्टी हाईकमान ने स्वीकार करते हुए गहलोत से मांगें मनवाने का भरोसा दिलाया है। क्या हाईकमान ने पायलट को यह भरोसा दिलाया है कि पार्टी में फिर से उन्हें उप मुख्यमंत्री व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद दिलाए जाएंगे, जो उनसे बगावत करने के कारण छीने गएथे। क्या हाईकमान ने पायलट और उनके गुट के विधायकों की बगावत को बगावत नहीं मानते हुए उनसे पार्टी के लिए काम करने को कहा है। विधानसभा चुनाव के टिकटों के वितरण में पायलट की भूमिका क्या रहेगी। बैठक में यह तय किया गया है कि क्या विधानसभा चुनाव किसी को भी सीएम प्रोजेक्ट कर नहीं लड़ा जाएगा। क्या पायलट इस बात पर राजी हो गए हैं कि गहलोत ही सीएम फेस होंगे। हालांकि बैठक के बाद पार्टी महासचिव के.सी. वेणुगोपाल ने मीडिया के सामने जो बातें कही हैं, वह कितनी सच हैं, यह तो पार्टी के नेता ही बता सकते हैं। लेकिन जो सवाल उठाए गए हैं, उनके बारे में वेणुगोपाल ने कोई स्पष्ट बात नहीं कही है।

प्रेम आनंदकर
यह सवाल महज मीडिया के नहीं हो सकते, हर कांग्रेस नेता और कार्यकर्ता इनका जवाब जानना चाहेगा। बताया जाता है कि बैठक में पायलट की जिम्मेदारी के बारे में चर्चा नहीं हुई। बैठक में तय हुआ कि पांच सदस्यीय शीर्ष नेता अगली मीटिंग में पायलट की पार्टी में जिम्मेदारी तय करेंगे। कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर रंघावा का कहना है कि बैठक में सभी से एक-एक करके विचार लिए गए। सभी ने भाजपा को हराने और कांग्रेस की सरकार रिपीट कराने की बात कही। सब नेताओं ने एकजुटता की बात की। सभी ने बीती बातें भुला दी हैं। कांग्रेस पार्टी का सर्वे चल रहा है। जैसे कर्नाटक में प्रत्याशी पहले तय किए गए थे, वैसा ही राजस्थान में होगा। वेणुगोपाल का कहना है कि सभी पर सख्त अनुशासन लागू होगा। किसी को भी कोई बात कहनी है, तो पार्टी फोरम पर कहेंगे। अगर कोई पार्टी को नुकसान पहुंचाने वाले बयान देते हैं, तो उन पर सख्त अनुशासनात्मक कार्रवाई होगी। इस बैठक में गहलोत वर्चुअल रूप से शामिल हुए। पिछले दिनों पैर में चोट लगने के कारण गहलोत अपने जयपुर आवास पर सरकारी कामकाज निपटा रहे हैं। इधर पायलट का कहना है, उन्हें विश्वास है कि कांग्रेस राजस्थान जीतेगी। हम राजस्थान में मिलकर चुनाव लड़ेंगे। तो पायलट साहब, एक सवाल आपसे ही कर लेते हैं। मिलकर चुनाव लड़ने की जो बात अब आप कह रहे हैं, वह पहले भी तो कही जा सकती थी। यदि ऐसा ही है, तो फिर आपको अजमेर से जयपुर तक पैदल मार्च निकालने की जरूरत भी नहीं पड़ती। पायलट ने पैदल यात्रा के समापन पर जयपुर में आयोजित बड़ी सभा में गरजते हुए कहा जो तीन मांगें रखी थीं, उनमें पहली, पूर्व मुख्यमंत्री व भाजपा नेता वसुंधरा राजे के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच कराई जाए। दूसरी, राजस्थान लोक सेवा आयोग को भंग कर इसका पुनर्गठन किया जाए। तीसरी, पेपर लीक से पीड़ित अभ्यर्थियों को मुआवजा दिया जाए। उन्होंने यह भी कहा था कि वे अभ्यर्थियों को न्याय दिलाने के लिए लड़ते रहेंगे और अपनी मांगों से पीछे नहीं हटेंगे। हो सकता है कि गहलोत ने पेपर लीक के आरोपियों की सजा दस से बढ़ाकर आजीवन कारावास कराने संबंधी विधेयक लाने की जो बात कही है, उससे पायलट पिघल गए हों। देखते रहिए, मौके की नजाकत। राजनीति में कोई किसी का सगा नहीं होता। कब कौन किसे मात दे दे, कहा नहीं जा सकता।

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