*गुरु की पकड़ा लो उंगली वो जीवन तारने का रास्ता दिखा देंगे-साध्वी धैर्यप्रभा*
ब्यावर। बिरद भवन में आयोजित धर्मसभा को महासती धैर्यप्रभा ने फरमाया की हमारी आत्मा को उज्ज्वल बनाने के लिए अपने जीवन, अपने मन, अपने ह्रदय और अपने घर को मंदिर के समान बनाना पड़ता हैं। आप किसी भी मंदिर या धार्मिक स्थान पर जाते है तो आपका शीश अपने आप आदर से झुक जाता हैं। उसी प्रकार यदि आपका जीवन मंदिर समान हो गया तो आपका सान्निध्य पाने वाला भी आपके प्रति नम जाता हैं। महासती ने बँकचूल का दृष्टांत देते हुए बताया कि सदगुरु के सान्निध्य आने पर अपने जीवन में उसने चार नियम ग्रहण किये और उन नियम पर ढृढ़ रहा तो उसने अपने चोर जीवन को छोड़कर धर्ममार्ग को अपनाया। जीवन के अंत समय में संलेखना संथारा करके अपने पाप कर्म का का क्षय किया। उसका जीव मरकर देवलोक में गया है और वहाँ से आयुष्य पूरी करकर महाविदेह क्षेत्र में जन्म लेगा। इसी तरह हम सभी को भी अपना हाथ सदगुरु वह सदगुरु जो खुद भी तीरे और दुसरो को भी तारे ऐसे गुरु को थमा देना चाहिए फिर गुरु ही आपको इस संसार सागर से तिरने का मार्ग बता देंगे। महासती धार्मिक प्रभा द्वारा सुख विपाक सूत्र का वाचन किया जा रहा हैं।
चंदूलाल कोठारी ने बताया कि चातुर्मास में तपस्याओं का ठाठ लगा हुआ हैं, इसी क्रम में आज 10 व 11 उपवास सहित अन्य तपस्या के प्रत्यख्यान महासती जी ने करवाये। प्रतिदिन बिरद भवन में 9 से 10 प्रवचन एवं गांधी आराधना भवन में 12 घण्टे का नवकारमन्त्र का जाप अनवरत चल रहा हैं। श्रावक श्राविका प्रतिदिन साध्वी धार्मिक प्रभा द्वारा आगम श्रवण और साध्वी धृतिप्रभा एवं धीरप्रभा द्वारा ज्ञान चर्चा का भी आनन्द ले रहे हैं।
इस अवसर पर दिवाकर संघ अध्यक्ष देवराज लोढ़ा, महिला मण्डल अध्यक्षा सुशीला लोढ़ा, नवयुवक मंडल अध्यक्ष दीपक बाफना एवं बहु मण्डल अध्यक्षा संध्या छल्लानी ने सभी से पूरे चातुर्मास काल में महासतियाँ जी के सानिध्य में धर्म आराधना करने की अपील की हैं।
रूपेश कोठारी
मीडिया प्रभारी
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