सच क़ो दबाने का षड्यंत्र रचा जा रहा है-देवनानी

स्मार्ट सिटी के कामों पर पलीता लगा रहे अधिकारी- देवनानी
– अपनी गलती छुपाने के लिए छोटो का बनाया जा रहा निशाना-देवनानी
– एनजीटी के आदेश के बाद उड़ी हुई है स्मार्ट सिटी अधिकारियो की हवाइयां= देवनानी

वासुदेव देवनानी
अजमेर 10 अगस्त। पूर्व शिक्षा राज्यमंत्री और अजमेर उत्तर विधायक वासुदेव देवनानी ने एक बार फिर स्मार्ट सिटी के अधिकारियों पर निशाना साधा है। आनासागर झील पर हुए अतिक्रमण को लेकर एनजीटी के फैसले के बाद बुधवार को सार्वजनिक अवकाश के बावजूद डीटीपी मीनाक्षी वर्मा को एपीओ किए जाने पर देवनानी ने राज्य सरकार पर सच को छुपाने का आरोप लगाया है देवनानी ने कहा कि अपनी गलती को छुपाने के लिए छोटे अधिकारियों पर बिना मतलब कार्यवाही की जा रही है और यह सच को दबाने की साजिश है। देवनानी ने कहा कि डीपी मीनाक्षी वर्मा को एपीओ करने के पीछे एक बड़ा कारण 11 अगस्त को एनजीटी में होने वाली सुनवाई में उनकी ओर से सच को बताने से रोकना है। देवनानी ने आरोप लगाया की आनासागर झील के कैचमेंट ऐरिया को छोटा कर झील के चारों तरफ अवैध निर्माण की बाढ़ आ गई और कुछ ऐसे निर्माण भी कर दिए गए जो स्मार्ट सिटी के प्रोजेक्ट में शामिल ही नहीं थे। ऐसे में लापरवाहों पर कार्यवाही करने की बजाय जो अधिकारी सच बोलने का साहस कर देते हैं यह सरकार उन्हें इनाम के रूप में एपीओ करती है।
देवनानी ने स्मार्ट सिटी के कामों पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि साल 2018 के बाद से ही स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत होने वाले विकास कार्यों में जनप्रतिनिधियों की भागीदारी को सुनिश्चित नहीं किया गया है अधिकारी अपनी मनमर्जी से ही चहेते ठेकेदारों को उपकृत करने के लिए नियम कायदा को ताक पर रखकर झील के प्राकृतिक स्वरूप के साथ छेड़खानी करते रहे। देवनानी ने कहा कि आनासागर झील के केचमेंट एरिया में बने सेवन वंडर्स का निर्माण भी अनाधिकृत रूप से किया गया इसके अलावा गांधी स्मृति उद्यान और लव कुश गार्डन के पास में फूड कोर्ट का निर्माण भी नियम कायदों को ताकत पर रखकर किया गया इसके अलावा खिलाड़ियों के लिए आरक्षित पटेल मैदान में भी स्मार्ट सिटी के नाम पर व्यवसायिक दुकानों का निर्माण किया गया।
देवनानी ने आरोप लगाया के स्मार्ट सिटी के अधिकारियों को राज्य सरकार की लगातार शह मिलती रही जिसके चलते उनके हौसले बुलंद रहे और उन्होंने नियमों को ताक पर रखकर इन अवैध निर्माणों को जारी रखा और न सिर्फ जारी रखा बल्कि इनका लोकार्पण भी करवाया और अब जब एनजीटी के आदेश में झील के चारों तरफ बने इन निर्माणों को अवैध माना गया है और तोड़ने के आदेश जारी किए गए हैं तब अधिकारी अपनी गलती को छुपाने के लिए छोटे अधिकारियों पर कार्यवाही कर खुद को बचाने का प्रयास कर रहे हैं। देवनानी ने डीटीपी मीनाक्षी वर्मा को एपीओ करने पर भी तंज करते हुए कहा की एक ऐसे अधिकारी को एपीओ किया गया जो पिछले 1 साल से बिना काम के ही वेतन ले रहा था और बिना डीटीपी की सहमति के एनजीटी में गलत जवाब पेश किया जा रहे थे जिनमें तथ्यों के साथ छेड़छाड़ की गई।

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