श्रावक-श्राविकाओं ने एक-दूसरे से मांगी क्षमा
ज्ञान गच्छाधिपति श्रुतधर पं. रत्न पूज्य गुरूदेव श्री प्रकाशचन्द्रजी म.सा. की आज्ञानुवर्ति, वयोवृद्ध स्थविरा महासती श्री भंवरकुंवरजी म.सा. की सुशिष्यायें श्री सुषमाजी म.सा., श्री रोशनीजी म.सा., श्री ज्ञाताजी म.सा., श्री रोहिताजी म.सा. आदि ठाणा-4 के पावन सान्निध्य में महापर्व पर्युषण धर्म-ध्यान, तप-त्याग, साधना-आराधना के साथ सानन्द सम्पन्न हुए।
आज क्षमायाचना पर्व पर महासतियांजी म.सा. ने क्षमा के महत्व को बतलाते हुए कहा कि केवल भगवान महावीर का ही जैन धर्म एकमात्र धर्म है जिसमें क्षमायाचना दिवस मनाया जाता है, और जैन धर्म में क्षमा को सबसे महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। म.सा. ने फरमाया कि क्षमा मांगना वीरता का कार्य है, कायरता का नहीं, आज के समय में जीवन में सामाजिक समरसता लाने के लिये सारे वैर-विरोध को त्यागकर क्षमा करना व मांगना मानव का आवश्यक दायित्व है। हमें जो गलती हुई हो या जिस कारण से वैर-विरोध हुआ हो उसे क्षमा के द्वारा सुधारना चाहिये। जैन धर्म का नारा है – जीओ और जीने दो। आज के क्षमायाचना कार्यक्रम में लगभग 500 से अधिक धर्मप्रेमी बन्धुओं ने भाग लिया। संघ की ओर से अल्पाहार की सुन्दर व्यवस्था रही। धर्मसभा को शिखरचंद सिंगी, राकेश बरमेचा, विमल कावडिय़ा आदि ने सम्बोधित किया। कैलाशचंद गैलड़ा ने सभा का संचालन किया। सभा में शिखरचंद सिंगी, उमरावमल चौपड़ा, सुमतिमल लोढ़ा, दौलत कोठारी, सुरेश नाहर, गौतम लूणावत, प्रकाशचंद चौपड़ा, राजेन्द्र गैलड़ा, विकास नाहर, अनिल लोढ़ा, मुकेश करनावट, विजय मुगदिया, रमेश खाबिया, एडवोकेट अजित लोढ़ा, कमलचंद बाफणा, पारसमल हिंगड़, सुनील छाजेड़ आदि गणमान्यजन उपस्थित थे।
चातुर्मासकाल में प्रतिदिन महासति सुषमाजी द्वारा चौभंगी के द्वारा ज्ञान में अभिवृद्धि करने का अनूठा प्रयास किया जा रहा है। साथ ही महासति रोशनीजी द्वारा जैन धर्म के गूढ़ से गूढ़ रहस्यों को कहानियों एवं दृष्टांतों के माध्यम से बड़ी ही सरलता से श्रोताओं के दिल में उतारा जा रहा है। प्रतिदिन 200-250 प्रवचन आदि में श्रावक-श्राविका धर्म लाभ ले रहे है, अनवरत धर्म की गंगा बह रही है।
9 उपवास के पच्चखाण
श्री राजेश कुचेरिया के सुपुत्र रिषभ कुचेरिया ने 9 उपवास के पच्चखाण महासतियांजी के मुखारबिन्द से ग्रहण किये। 20 वर्ष के रिषभ कुचेरिया ने पहली बार 9 के उपवास किये है, पिछले 9 दिन से अन्न के त्याग है। अजमेर जैन श्री संघ की ओर से उमरावमल चौपड़ा, सुमतिमल लोढ़ा, शिखरचंद सिंगी, कैलाशचंद गैलड़ा, सज्जनमल चौपड़ा, कमलचंद बाफणा, राजेन्द्र गैलड़ा आदि ने शॉल-माला से बहुमान किया। सभा तपस्या करने वालों की जय-जयकार से गुंजायमान हुई।
विमलचंद चौरडिय़ा
मो. 9829085350
