योग मात्र एक घंटा आसन या प्राणायाम करना ही नहीं है बल्कि अपना पूरा जीवन योग के रूप में जीना है। यह व्यक्तिगत लाभ से ऊपर उठाते हुए समाज कल्याण के कार्य में अपने जीवन का उद्देश्य ढूंढने का एक साधन है। योग व्यक्ति को नर सेवा से नारायण सेवा की प्रेरणा देता है। स्वयं में आए परिवर्तन को अनुभव करने का मानदंड योग है जिससे यह पता चलता है कि योग अभ्यास से क्रोध ईर्ष्या एवं तनाव पर स्वाभाविक रूप से नियंत्रण प्राप्त हो रहा है। किंतु यह योग साधना मनुष्य निर्माण से राष्ट्र पुनरुत्थान तक आगे चलती है । यदि समाज को योग के द्वारा एकत्र करना है तो पहले परिवार को जोड़ना होगा और परिवार के जुड़ाव के लिए आंतरिक मन, बुद्धि और शरीर को समन्वित करना होगा। उक्त विचार विवेकानंद केंद्र कन्याकुमारी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पद्मश्री से सम्मानित सूची निवेदिता भिड़े ने विवेकानंद केंद्र कन्याकुमारी शाखा अजमेर द्वारा अपने विभिन्न विस्तारों में संचालित योग वर्ग शिक्षकों एवं साधकों को संबोधित करते हुए व्यक्त किए।
उन्होंने कहा कि प्रत्येक शिक्षक का उत्तरदायित्व है कि वह योग अभ्यास सीख कर नए लोगों को सीखने के लिए तैयार हो तथा अपने वर्ग स्थान को छोड़कर दूसरे वर्ग स्थान पर नए लोगों को योग शिक्षण प्रदान करें
उक्त आयोजन महेश्वरी सेवा समिति कृष्णगंज में किया गया।
इस अवसर पर योग के संबंध में शंकाओं का समाधान प्रश्नोत्तरी के माध्यम से किया गया। कार्यक्रम में विवेकानंद केंद्र प्रांत संगठक शीतल जोशी, नगर संचालक डॉo श्याम भूतड़ा, कार्य पद्धति प्रमुख डॉ स्वतंत्र कुमार शर्मा, रामकृष्ण विस्तार संचालक दिनेश नवाल , विस्तार प्रमुख कुशल उपाध्याय, विभाग संपर्क प्रमुख रविंद्र जैन, विभाग व्यवस्था प्रमुख महेश शर्मा, भारतीय जीवन बीमा निगम के मुख्य प्रबंधक ओम प्रकाश छापरवाल आदि उपस्थित रहे। प्रारंभ में गीत लक्ष्मी दीदी द्वारा प्रस्तुत किया गया। विवेकानंद केंद्र परिचय अंकुर प्रजापति ने प्रस्तुत किया तथा कार्यक्रम का संचालन नगर प्रमुख भारत भार्गव के द्वारा किया गया।