*अखबारों को समर्पित*
आज हमारे पत्रकार बिरादरी के बहुत पुराने और वरिष्ठ साथी यशवंत भटनागर जी का जन्मदिन है। वह पत्रकार बिरादरी में जस्सू भाई के नाम से फेमस हैं। हालांकि वह अजयमेरु प्रेस क्लब के सदस्य नहीं हैं, मगर क्लब से जुड़े ऐसे अनेक कार्यरत व सेवानिवृत्त पत्रकार, जिन्होंने नरेंद्र चौहान भाई साहब, स्व. श्याम जी, डॉ रेमश अग्रवाल साहब, भाई राजेन्द्र जी गुंजल, डॉ प्रकाश पुरोहित, ओम गौड़ जी, अनिल लोढ़ा साहब आदि अजमेर के दिग्गज पत्रकारों के दौर में काम किया, या उस दौर से पत्रकारिता से जुड़े हुए हैं; उनमें से एक मैं भी हूँ, वे सब उनसे परिवार के सदस्य की तरह परिचित हैं।
यह खबर या जानकारी यहां शेयर करने का मकसद सिर्फ यह है कि निःशछल, निर्विवाद, संत प्रवृत्ति पत्रकार जमात में बिरले ही मिलती है, और जल्दी भुला भी दी जाती। जस्सू भाई भी शायद अनेक लोगों द्वारा भुला दिए गए होंगे, मगर आज भी उस दौर के तमाम पत्रकार जिन्होंने रोजमेल, न्याय, आधुनिक राजस्थान, राष्ट्रदूत से होते हुए दैनिक नवज्योति के रास्ते दैनिक भास्कर तक का पत्रकारिता सफर तय किया, अथवा इस सफर में उपरोक्त अखबारों में भी कुछ लोग बाद तक रहे, वे जस्सू भाई को नहीं भूले और आज भी भले यदाकदा ही सही उनसे संपर्क कर ही लेते हैं।
उन्होंने बरसों पूर्व एक हादसे के कारण बदली घर की परिस्थितियों की वजह से आजीवन विवाह ना करने का फैसला किया और कुछ अति भावनात्मक ज़िम्मेदारियों को निभाने में जीवन समर्पित कर दिया। यह सच हम चंद नज़दीकी मित्र ही जानते हैं। उन्होंने अपनी इतनी लंबी ज़िन्दगी में खुद के लिए कभी कोई खुशी नहीं मनाई, मगर मैंने उन्हें उनके परिवार की खुशी के लिए हंसते और रोते हुए देखा है।
बहरहाल उनका 63वां जन्मदिन था या 64-65वां, मगर खास बात यह थी कि उनके उनके पुत्र समान भतीजे व हम कुछ दोस्तों ने उन्हें एक छोटी सी खुशी प्रदान करने का एक छोटा सा प्रयास किया। उनका सरप्राइज़िंग जन्मदिन मनाया। उन्हें चौंका कर उन्हें खुशी प्रदान कर हमें भी बहुत खुशी मिली।
हाइलाइट यह रहा, जिसके लिए उनके इस क्लब का सदस्य न होते हुए भी उनके बारे में मैं इस ग्रुप में यह सब बातें साझा कर रहा हूँ, कि उनके भतीजे ने उनके लिए जो केक बनवाया, वो उनके दो मुख्य बड़े अखबारों को समर्पित उनके पेशेवर पत्रकारिता जीवन को समर्पित किया। उनका करियर पूर्ण रूप से जिन दो अखबारों में गुज़रा, केक पर उन अखबारों की तस्वीर अंकित करवाई गईं, *दैनिक नवज्योति व दैनिक भास्कर*। सादगी यह कि केक काटते समय उन्होंने अखबारों के नाम पर चाकू नहीं चलाया और उतना हिस्सा निकाल कर अलग रख दिया।
ईश्वर जस्सू भाई भटनागर जी को स्वस्थ व लंबी उम्र प्रदान करें।
–अमित टण्डन