दिल्ली में चलती बस में गैंगरेप और उससे उपजे जनाक्रोश से निपटने के दौरान दिल्ली पुलिस की लगातार गलतियों से गृह मंत्रालय खफा हैं। पूरे मामले में अब तक दिल्ली पुलिस का बचाव करने वाले गृह मंत्रालय के अधिकारी अब कन्नी काटने लगे हैं। इस मामले में दिल्ली पुलिस के कुछ वरिष्ठ अधिकारियों पर गाज गिर सकती है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इतने संवेदनशील मामले में गलतियां करने वाले अधिकारियों की जिम्मेदारी तय होना जरूरी है।
सिपाही सुभाष तोमर की मौत के आठ आरोपियों में दो की घटना के वक्त राजीव चौक मेट्रो स्टेशन पर उपस्थिति के सुबूत मिलने से नाराज गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इसके लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई होनी ही चाहिए। उनके अनुसार विदेश, रक्षा, वित्त व गृह मंत्रालय के साथ-साथ प्रधानमंत्री कार्यालय के समीप हुई घटना में भी निर्दोष आदमी को फंसाये जाने को कही से उचित नहीं ठहराया जा सकता है।
21 दिसंबर को खुद गृह सचिव आरके सिंह ने सामूहिक बलात्कार के बाद त्वरित कार्रवाई के लिए दिल्ली पुलिस की पीठ थपथपाई थी। यही नहीं, दिल्ली पुलिस आयुक्त नीरज कुमार को हटाए जाने की सांसद संदीप दीक्षित की मांग को गृह मंत्रालय ने खारिज कर दिया था। लेकिन सामूहिक दुष्कर्म की शिकार लड़की के साथी ने दिल्ली पुलिस के दावों की धज्जियां उड़ा दी। मजबूरन गृह मंत्रालय को जांच का आदेश देना पड़ा। एक वरिष्ठ अधिकारी ने दिल्ली पुलिस पर गृह सचिव को भी गलत जानकारी देने का आरोप लगाया।
यही नहीं, पीड़ित लड़की का बयान लेने गई महिला मजिस्ट्रेट ने दिल्ली पुलिस के तीन वरिष्ठ अधिकारियों पर अनुचित दबाव बनाने का आरोप भी लगाया। इस मामले में बैकफुट पर आए गृह मंत्रालय को उच्च स्तरीय जांच का आदेश देना पड़ा। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि सिपाही सुभाष तोमर की मौत को प्रदर्शनकारियों को बदनाम करने के लिए बढ़ा-चढ़ाकर पेश करने का दिल्ली पुलिस का फैसला भी गलत था। अभी तक यह साफ नहीं हो पाया है कि सिपाही तोमर की मौत प्रदर्शनकारियों के हमले की वजह से हुई थी या फिर हार्ट अटैक से। फिलहाल क्राइम ब्रांच इस मामले की जांच कर रही है।