कम बारिश बढ़ाने लगी है सरकार की चिंता

देश के कई हिस्सों में सामान्य से काफी कम बारिश होने से सरकार की चिंताएं बढ़ने लगी हैं, क्योंकि स्थिति यही रही तो कर्नाटक, महाराष्ट्र, गुजरात और पश्चिमी राजस्थान में खरीफ की फसल को नुकसान हो सकता है।

कम बारिश वाले छह राज्यों और कर्नाटक के अधिकारियों के साथ स्थिति की समीक्षा के बाद शनिवार को कृषि सचिव आशीष बहुगुणा ने कहा कि कर्नाटक और महाराष्ट्र के कुछ क्षेत्र, गुजरात के कच्छ और सौराष्ट्र तथा पश्चिमी राजस्थान में कम बारिश होने के कारण बुवाई प्रभावित हुई है, लेकिन देश के अन्य हिस्सों में खरीफ फसलों की बुवाई संतोषजनक है।


विभिन्न राज्यों से अब तक मिली जानकारी के अनुसार कुल मिलाकर खरीफ की स्थिति संतोषजनक है और इसके उत्पादन पर कोई विशेष असर नहीं पड़ने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि इस माह बेहतर बारिश होने से स्थिति में सुधार हुआ है। जून के अंत तक देश में बारिश सामान्य से 30 प्रतिशत कम थी, जबकि अब यह कमी 22 प्रतिशत रह गई है।

बहुगुणा ने बताया कि पंजाब में खरीफ की बुवाई का काम करीब-करीब पूरा हो गया है। हरियाणा में 75 प्रतिशत बुवाई का काम पूरा हो गया है। इन दोनों राज्यों ने सिंचाई के लिए अतिरिक्त बिजली की मांग की थी। केंद्र सरकार ने दोनों राज्यों को 300-300 मेगावाट अतिरिक्त बिजली उपलब्ध कराई है। देश के किसी हिस्से में सूखे की स्थिति पैदा होने के बारे में पूछे जाने पर बहुगुणा ने कहा कि अभी इस बारे में कुछ कहना जल्दबाजी होगी। उन्होंने कहा कि अभी मानसून का मध्य है और उम्मीद है कि आने वाले दिनों में मानसून जोर पकडे़गा।

बहुगुणा ने बताया कि कर्नाटक में अभी तक 65 लाख हेक्टेयर में बुवाई का काम पूरा हो चुका है, जबकि 10 लाख हेक्टेयर में यह बाकी है। महाराष्ट्र में साढे़ आठ लाख भूमि पर बुवाई नहीं हो सकी है। सबसे खराब स्थिति गुजरात के सौराष्ट्र और कच्छ में है, जहां बुवाई का काम केवल 35 प्रतिशत ही हुआ है।

उन्होंने कहा कि अगर अगले सप्ताह तक मानसून ने जोर नहीं पकड़ा तो पश्चिमी राजस्थान में 15 लाख हेक्टेयर भूमि पर बाजरा की खेती प्रभावित होगी। गेहूं और चावल के निर्यात पर रोक लगाने संबंधी सवालों पर बहुगुणा ने कहा कि इसका बफर स्टाक वांछित मात्रा की तुलना में काफी अधिक है। इसलिए फिलहाल निर्यात पर रोक लगाने पर सोच विचार करने की कोई जरूरत नहीं है।

पिछले साल से खराब है बुवाई की स्थिति
राज्यों से प्राप्त जानकारी के अनुसार इस वर्ष धान की बुवाई 144.59 लाख हेक्टेयर भूमि में हो चुकी है। पिछले साल इस समय तक 153.37 लाख हेक्टेयर पर धान रोपा गया था। गन्ने की बुवाई पिछले साल के 46.98 लाख हेक्टेयर के मुकाबले 52.81 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है।

कम बारिश से दलहन और मोटे अनाज की खेती खासी प्रभावित नजर आ रही है। इस वर्ष दलहन की बुवाई 40.19 लाख हेक्टेयर भूमि पर हुई है। पिछले साल यह रकबा 51.77 लाख हेक्टेयर था। मोटा अनाज 126.20 लाख हेक्टेयर के मुकाबले 95.43 लाख हेक्टेयर भूमि पर ही बोया गया है।

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