*आरपीएससी की साख मटियामेट*
*राजनीतिक नियुक्तियों ने किया बेड़ा गर्क*
*■ ओम माथुर ■*
राजस्थान लोक सेवा आयोग ने की साख मटियामेट होने के बाद अब तो हर नए-पुराने प्रशासनिक अधिकारी,पुलिस अधिकारी,शिक्षक और आयोग की अन्य भर्ती परीक्षाओं में पास होकर विभिन्न विभागों में नियुक्त अधिकारियों और कर्मचारियों को देखकर यही शक होता है कि इनमें से कितने अपनी मेहनत के बूते नौकरी पाने में कामयाब हुए होंगे और कितने नकल करने से,डमी कैंडिडेट बैठाने से या फिर पैसे देने से।
कई लोगों का मानना है कि आयोग की परीक्षाओं और इंटरव्यू में धांधलियां नई बात नहीं हे,ये पहले भी होती रही है। लेकिन तब मीडिया और सोशल मीडिया की सक्रियता और पहुंच इतनी व्यापक नहीं थी। इसलिए सब कुछ आसानी से मैनेज हो जाता था। तब भले ही पेपर लीक नहीं होते थे। लेकिन कहा जाता है कि प्रभावशाली लोगों ( वही नेता और अधिकारी) के परिजनों की कापियां बदल दी जाती थी या फिर उन्हें कापियां जांचने वाले परीक्षकों की जानकारी होती थी,जहां नम्बर मैनेज कर लिए जाते थे। इंटरव्यू बोर्ड में कौन-कौन मेम्बर बैठेंगे,ये भी पहले ही पता लग जाता था। इसलिए वहां भी आसानी से नंबर जुटाने की व्यवस्था कर ली जाती थी। ऐसी कहानियां तो पहले भी सामने आती रही है कि लिखित परीक्षाओं में कम अंक से पास हुए अभ्यर्थियों को इंटरव्यू में छप्पर फाड़कर नंबर मिले हैं। तब कई सदस्यों के करीबी लोगों (जिन्हें दलाल भी कहते हैं) पर पैसे लेकर काम कराने (परीक्षा और इंटरव्यू मेन पास कराने) के किस्से भी खूब प्रचलित थे। अभी भी ईओ परीक्षा में पास कराने के लिए रिश्वत लेने के आरोप में धरे गए गोपाल केसावत ने भी एक परीक्षार्थी से यही कहा था कि आरपीएससी की मेंबरों से सांठगांठ कर ओएमआर शीट बदल देंगे।
जब से आयोग में अध्यक्ष व सदस्यों की नियुक्ति में राजनीतिक हस्तक्षेप खुलकर होने लगा,तब से आरपीएससी का भट्टा लगातार बैठता ही जा रहा है। अशोक गहलोत की पिछली सरकार के दौरान तो मानो आयोग की विश्वसनीयता के कफन में आखिरी कील ही ठुक गई। गहलोत सरकार के कार्यकाल में वर्ष 2021 से 23 के बीच आरएएस व एसआई सहित 23 हजार से अधिक पदों के लिए जो 30 से अधिक भर्तियां निकली। उनमें से 10 प्रमुख भर्तियां जहां विवाद में रही,वहीं कई अन्य पर भी अंगुली उठती रही। अपने खास दरबारी लोगों को आरपीएससी का सदस्य-अध्यक्ष बनाकर गहलोत ने उन्हें भले ही अपने प्रति निष्ठा निभाने का तोहफा दिया है, लेकिन लाखों अभ्यर्थियों के भविष्य के उन्होंने खिलवाड़ ही किया है। आयोग के सदस्य बाबूलाल कटारा शिक्षक भर्ती के पेपर लीक करने के आरोप में धरे गए। राज्यमंत्री का दर्जा प्राप्त गोपाल केसावत ईओ परीक्षा में पास करने की एवज में पैसा वसूल रहे थे। इसी मामले में दो महिला सदस्यों संगीता आर्य और मंजू शर्मा से एसीबी ने पूछताछ की है। आर्य राज्य के पूर्व मुख्य सचिव व अशोक गहलोत के सलाहकार रहे निरंजन आर्य की पत्नी है,तो मंजू शर्मा विख्यात कवि और सबसे पहले राहुल गांधी को पप्पू का नाम देने वाले कुमार विश्वास की पत्नी है। ये आश्चर्य का विषय है कि राहुल को बदनाम करने के लिए उन्हें पप्पू बनाने वाले विश्वास की पत्नी को गहलोत ने सदस्य बना दिया और कांग्रेस में कहीं इसके खिलाफ विरोध की आवाज तक नहीं उठी।
यह दोनों सदस्य आरएएस 2021 एवं एस आई भर्ती 2021 के इंटरव्यू बोर्ड में भी शामिल थीं और यह दोनों परीक्षाएं विवादों के घेरे में है। एसआई परीक्षा में तो डमी कैंडिडेट बिठाकर तथा नकल कर पास करने वाले ट्रेनिंग पर जा चुके करीब दो दर्जन अभ्यर्थी अब पुलिस गिरफ्त में हैं,तो एक ही शहर से सौ युवाओं की भर्ती का रिकॉर्ड भी इसी परीक्षा में बना था। आरएएस भर्ती में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा के बेटे-बेटी सहित परिवार के चार सदस्यों का चयन भी विवाद में रहा है। विधानसभा चुनाव में किए गए वादे के अनुसार भाजपा ने परीक्षाओं की जांच के लिए एसआईटी बना दी है और उसने कार्रवाई भी शुरू की है। लेकिन आरपीएससी की कार्यप्रणाली की पूरी जांच होनी चाहिए। साथ ही इसे बर्बाद करने में शामिल इसके सदस्यों,अध्यक्षों और उन्हें राजनीतिक संरक्षण देने वालों को भी बेनकाब किया जाना चाहिए हो सके। तो सरकार को पिछले 10-15 सालों में हुई सभी परीक्षाओं की निष्पक्ष जांच करानी चाहिए। क्योंकि भाजपा राज में नियुक्तियां राजनीतिक आधार पर ही होती थी और 2010 एसआई भर्ती परीक्षा की धांधली भी चर्चित हैं। साथ ही इस दौरान आरपीएससी में अध्यक्ष- सदस्यों की संपत्ति की भी जांच होनी चाहिए,ताकि यह साफ हो कि आखिर किसने कितना माल कमाया था।
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