नटवर साहित्य परिषद की कवि गोष्ठी में सजी गीत- ग़ज़लों की महफ़िल

मुजफ्फरपुर। शहर के भगवान लाल स्मारक पुस्तकालय भवन स्थित श्री नवयुवक समिति के सभागार में रविवार को नटवर साहित्य परिषद की ओर से मासिक कवि गोष्ठी सह मुशायरा का आयोजन किया गया। कवि गोष्ठी की अध्यक्षता डाॅ.जगदीश शर्मा, मंच संचालन सुमन कुमार मिश्र व धन्यवाद ज्ञापन नटवर साहित्य परिषद के संयोजक डॉ.नर्मदेश्वर प्रसाद चौधरी ने किया।
कवि गोष्ठी की शुरुआत आचार्य जानकी वल्लभ शास्त्री की रचनाओं से किया गया। इसके बाद मुस्कान केशरी ने -‘ मैं कौन हूं क्या हूं मैं जानती हूं ‘ सुनाकर तालियां बटोरी। रामबृक्ष राम चकपुरी ने- ‘ सियासी शख्सियतों की पुरखों की माटी से जड़ा सा मोहब्बत नहीं है ‘ सुनाया। सत्येन्द्र कुमार सत्येन ने भोजपुरी में – एक दिन आइल रहे इयाद सांवर गोरिया, न सुधी नाहीं मन के हमार सांवर गोरियां ‘ सुनाया। शायर डॉ.नर्मदेश्वर मुजफ्फरपुरी ने- ‘ धीरे धीरे वो घूँघट उठाने लगे, धड़कने मेरे दिल की बढ़ाने लगे ‘ सुनाकर भरपूर दाद बटोरी। सुमन कुमार मिश्र ने- ‘ अब वैसी बरसात नहीं ‘ सुनाया। डाॅ.जगदीश शर्मा ने- ‘ तीखी घूप ने झुलसाया है, गोरा बदन कोमल चेहरा ‘ सुनाया। अरुण कुमार तुलसी ने- ‘ युग परिवर्तन आया है ‘ सुनाया। सहज कुमार ने- ‘ क्यों सो रहा है हमारा हिमालय ‘ सुनाया। दीनबंधु आजाद ने – ‘ तरसती नजरों ने हर पल, तेरा साथ मांगा ‘ सुनाया। नरेन्द्र मिश्र ने- ‘ भूख नहीं है प्यास नहीं है ‘ सुनाया। ओमप्रकाश गुप्ता ने- ‘ उतरेगा मुखौटा,सच आयेगा सामने ‘ सुनाया। सविता राज ने गजल -‘ हम न कच्चे मकान थे मगर दोस्तो,अपने अंदर हमेशा ही ढ़हते रहे’ सुनाई।अंजनी कुमार पाठक ने – ‘ धूप में हम झुलसते रहे ‘ सुनाया। इसके अलावे सुरेन्द्र कुमार, मुन्नी चौधरी आदि की रचनाएं सराही गई।

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