दार्जिलिंग संबंधित एतिहासिक जानकारी

दार्जिलिंग के लाल कोठी यानी लाल कुटीर जो सबसे पुरानी भवनों में से एक है। पहले इसे गोरी विलास के एक नाम से जाना जाता था। कुचबिहार के महाराजा प्रसाद नाथ रॉय ने अपनी प्यारी पत्नी रानी भवानी दिवान रॉय की याद में इस भवन का निर्माण किया था।
उनके लिए यह भवन ताजमहल से भी कम नहीं था। यह भवन म्याग्नोलिया रोडोडेन्ड्रन और पाइन्स के घना जंगल के बीचोंबीच मैं दार्जिलिंग पहाड़ के सबसे सुन्दर पहाड़ में अवस्थित है।।
सन् 1947 में भारत के स्वतंत्रता के बाद ब्रिटिश सरकार ने जब इसे खाली अवस्था में छोड़कर चले गए तो उस वक्त तिब्बती ने इस भवन को विद्यालय के रुप में प्रयोग किया, जब तक भारत सरकार ने इस पर कब्जा नहीं किया था। भारत सरकार के अधिन में आने के बाद इस भवन को शुरू-शुरू में गेस्ट हाउस में परिणत किया, बाद में भारतीय अधिकारियों के लिए छुट्टी बिताने का स्थान बनाया।
यह भवन अपने अंतिम लोकेशन के कारण गोरी विलास ने भारतीय चलचित्र उद्योग के निर्देशक का ध्यान आकर्षित किया, फिर यहां
20 से भी अधिक हिन्दी, बंगला फिल्म की शूटिंग हुई। लाल कोठी नाम की फिल्म तो सुपर-डुपर हिट हुआ। इस फिल्म की लोकप्रियता को देखकर ही गोरी विलास के नाम को बदलकर लाल कोठी रख दिया गया। यह स्थान लाल कोठी दार्जिलिंग की लोकप्रिय पर्यटक स्थल बना हुआ है। वर्तमान में यह भवन
GTA के कार्यालय और सचिवालय है।

गोपाल नेवार,’गणेश’सलुवा, खड़गपुर पश्चिम मेदिनीपुर, पश्चिम बंगाल. 9832170390

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