एक ही मिट्टी में मिल जाएंगे

मैं भी परिश्रम करता हूं
तुम भी परिश्रम करते हो,
बस फर्क इतनी सी है
मैं कम तुम अधिक कमाते हो।

मैं रूखा-सुखा खाना खाता हूं
तुम स्वादिष्ट व्यंजन खाते हो,
बस फर्क इतनी सी है
मैं कमजोर तुम बलवान हो।

मैं झोपड़ी में रहता हूं
तुम महल में रहते हो,
बस फर्क इतनी सी है
मैं बेफिक्र तुम चिन्तित हो

मैं भी एक इंसान हूं
तुम भी एक इंसान हो,
बस फर्क इतनी सी है
मैं ग़रीब तुम समृद्ध हो।

मुझे भी मर जाना है एक दिन
तुम्हें भी मर जाना है एक दिन,
पर फर्क कुछ भी नहीं रहता है
एक ही मिट्टी में मिल जाएंगे एक दिन।

गोपाल नेवार,’गणेश’सलुवा खड़गपुर, पश्चिम मेदिनीपुर, पश्चिम बंगाल। 9832170390.

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