अफसरों ने जलदाय मंत्री से बुलवाया सफेद झूठ

*✍️प्रेम आनन्दकर, अजमेर।*
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*👉अफसरों ने मक्कारी और झूठ की सारी हदें पार कर दीं। जो अफसर विधायकों द्वारा विधानसभा में पूछे जाने वाले प्रश्नों के उत्तरों में सरकार और सदन को गुमराह कर देते हैं, ऐसे अफसरों का क्या किया जाए। माननीय अध्यक्ष जी, ऐसे अफसरों को सीधे तौर पर विधानसभा की अवमानना का दोषी मानते हुए सख्त से सख्त सजा दी जानी चाहिए। यदि अफसरों को बख्शते रहे, तो अफसरशाही भाजपा सरकार को बेच खाएगी और सरकार कुछ भी नहीं कर पाएगी। अफसरशाही के सफेद झूठ की बानगी तो पूरे राजस्थान ने बुधवार को विधानसभा में देख ही ली है। अजमेर दक्षिण की भाजपा विधायक व पूर्व मंत्री अनिता भदेल ने अजमेर में पानी की समस्या को लेकर विधानसभा में मामला उठाते हुए सरकार से प्रश्न पूछा था। इस पर अफसरों की ओर से मिले जवाब को जलदाय मंत्री कन्हैयालाल चौधरी ने पढ़ा। जवाब में बताया गया कि अजमेर में 48 घंटे में पानी सप्लाई किया जा रहा है। यह जवाब ना केवल हैरत में डालना वाला है, बल्कि इससे अफसरों का सफेद झूठ भी पकड़ा गयाl अजमेर उत्तर के विधायक व विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी को आसन से चौधरी को यह कहना पड़ा कि अजमेर में चार-चार, पांच-पांच दिन में पानी सप्लाई हो रहा है।

प्रेम आनंदकर
माननीय अध्यक्ष जी, आपसे विनम्र निवेदन है, गलत और मनगढ़ंत जवाब भेजकर विधानसभा को गुमराह करने के आरोप में संबंधित अधिकारियों को तत्काल प्रभाव से विधानसभा में तलब करना चाहिए और इस मामले में संज्ञान लेकर दोषी अधिकारियों को दंडित करना चाहिए, ताकि भविष्य में कोई भी अधिकारी सदन को गुमराह करने की हिमाकत नहीं कर सके। अफसोस तो इस बात का है कि विधायकों द्वारा विधानसभा में पूछे जाने वाले सवालों के जवाब यही अफसर भेजते हैं, लेकिन कोई भी मंत्री जवाब देने से पहले जवाबों का क्रॉस वैरिफिकेशन नहीं कराते हैं। यदि संबंधित मंत्री जवाब की जमीनी हकीकत पता करा लें, तो ना केवल वे अफसरों की काली करतूतों के कारण सदन में झूठ बोलने से बच जाएंगे, बल्कि अफसरों की हरकतें भी सामने आ जाएंगी। यही नहीं, सरकार को ऐसे अफसरों को तत्काल प्रभाव से सस्पेंड भी कर देना चाहिए। विधानसभा की ओर से एक गाइड लाइन भी बनाई जानी चाहिए, ताकि कोई भी अधिकारी झूठा जवाब भेजकर विधानसभा को गुमराह नहीं कर सके। सरकार को भी सभी मंत्रियों को यह निर्देश देने चाहिए कि वे किसी भी विधायक के प्रश्न पर संबंधित विभाग से मिले जवाब पर आंख मींच कर भरोसा नहीं करें और विधानसभा में जवाब देने से पहले उसका क्रॉस वैरिफिकेशन कराएं। अधिकतर अधिकारी अपने मार्क्स बढ़वाने और सरकार की वाहवाही लूटने के लिए बढ़ा-चढ़ाकर आंकड़ों का मायाजाल भी पेश कर देते हैं।*
*▶️अब तो अफसरशाही पर कसो लगाम◀️*
*मैंने अपने अनेक ब्लॉगों में इस बात का खुलकर और मजबूती से जिक्र किया है कि राजस्थान में पूरी तरह अफसरशाही हावी है। यदि सरकार ने अफसरशाही पर लगाम नहीं लगाई, तो यह अफसरशाही भाजपा सरकार को जनता के सामने मुंह दिखाने लायक नहीं छोड़ेगी। अफसरशाही के हावी होने और मनमानी करने की बात केवल मैंने ही नहीं कही, बल्कि प्रदेश के अनेक पत्रकारों ने अपने लेखों और खबरों में कही है। लेकिन सरकार पता नहीं इस ओर ध्यान क्यों नहीं दे रही है। सरकार को अब तो सचेत हो जाना चाहिए। यदि सरकार को अपनी छवि बनाए और बचाए रखनी है, तो अफसरों पर अब तुरंत प्रभाव से लगाम कसना शुरू कर देना चाहिए।*

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