विदिशा । विश्व स्तनपान संवर्धन सप्ताह के अन्तर्गत ज़िला अस्पताल के सीएनसीयू और मेडिकल कॉलेज विदिशा के प्रसूति वार्ड में विशेष आयोजन में सर्व प्रथम अतिथियों द्वारा प्रज्वलित किया गया ।
संगोष्ठि में वरिष्ट शिशु रोग विशेषज्ञ एवं आईएपी विदिशा के अध्यक्ष डॉ एम के जैन ने बताया कि माँ का दूध बच्चों के लिये अमृत के समान होता है और अपने आप में एक संपूर्ण पोषण होने के कारण ही बच्चों का समुचित शारीरिक, मानसिक और बौद्धिक विकास में सहायक होता है और बच्चे हमेशा निरोगी भी रहते है ।बच्चों को जन्म से छह माह तक सिर्फ़ और सिर्फ़ माँ का दूध ही पिलाना चाहिए । इसके अतिरिक्त कोई अन्य दूध या पेय नहीं पिलाना चाहिए ।
ज़िला अस्पताल के सिविल सर्जन डॉ शिरीष रघुवंशी ने बताया कि बच्चों के जन्म के शीघ्र बाद स्तनपान करवाने से माँ को होने वाले रक्तस्राव से निजात मिल जाती है और गर्भ अवस्था के बेडौल शरीर अपने पुराने स्वरूप में आने लगता है ।
ज़िले के सीएमएचओ डॉ योगेश तिवारी ने बताया कि सरकार ने बच्चों को स्तनपान जारी रखने के लिए सरकारी महिला कर्मचारियों को प्रसूति अवकाश प्रदाय किया जाता है और उनके लालन पालन के लिए भी बच्चों को 18 साल की उम्र तक ज़रूरत अनुरूप दो साल के विशेष अवकाश का प्रावधान भी किया गया है ।
गर्भावस्था अथवा नवजात की बच्चों की माताओ को वक्त ज़रूरत आवश्यकता पड़ने पर 108 गाड़ी की व्यवस्था ना होने की स्थिति में किसी भी निजी वाहन से अस्पताल आ सकते है उसका भुगतान सीएमएचओ के द्वारा किया जायेगा ।
मेडिकल कॉलेज शिशु विभाग की प्रभारी एवं आईएपी की पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ नीति अग्रवाल ने बताया कि बच्चे को स्तनपान सही तरीक़े से आरामदायक जगह में आरामदायक स्थिति में बैठ कर ऐसी पोजीशन में स्तनपान करवाना चाहिये कि बच्चे का कान, कंधा और कूले एक लाइन में रहे और आंचल का काला काला भाग बच्चे के मुँह में रहे ।
आईएमए विदिशा के अध्यक्ष एवं सर्जिकल विशेषज्ञ डॉ राजीव जैन ने बताया कि बच्चों को आँचल का दूध बड़ी बारी से दोनों तरफ़ से पिलाना चाहिए नहीं तो एक तरफ़ के आँचल के पकने का डर बना रहता है ।
प्रसूति विशेषज्ञ डॉ प्रतिभा ओस्वाल ने बताया कि स्तनपान करवाते रहने से माँ को भविष्य में स्तन और गर्भाशय के कैंसर तथा उच्च रक्तचाप , मधुमेह , ह्रदय रोग का ख़तरा भी नहीं रहता और प्राकृतिक रूप से गर्भ निरोधक का भी कार्य करता है ।
सर्जिकल विशेषज्ञ डॉ अनूप वर्मा ने बताया कि सामान्य प्रसव अथवा ऑपरेशन द्वारा प्रसव में हमे जन्म के शीघ्र बाद स्तनपान करवाना चाहिए और ज़िला अस्पताल में यह नियमित रूप से हो भी रहा है ।
शिशुरोग विशेषेज्ञ डॉ प्रमोद मिश्रा ने बताया कि आज वही मरीज़ ज़्यादा बीमार हो रहे है जिन्हें माँ अपने दूध की जगह कोई अन्य दूध या बॉटल से दूध पिलाती है ।
आईएपी के सचिव एवं शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ सुरेंद्र सोनकर ने बताया कि आइएपी संस्था बच्चों के लिए समर्पित है और इस वर्ष स्तनपान की जागरूकता बढ़ाने के लिए इस वर्ष की थीम बच्चों को स्तनपान करवाने में आ रही समस्याओं को दूर कर इसे सभी नवजात बच्चों को उपलब्ध करवाया जाना चाहिए ।
ज़िला टीकाकरण अधिकारी डॉ दिनेश शर्मा ने बताया कि बच्चों सुरक्षा की दृष्टि से ना के दूध के साथ साथ आवश्यक सभी टीके भी लगवाना चाहिए ।
आईएमए सचिव एवं हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ राहुल जैन ने बताया कि स्तनपान करवाते रहने से बच्चों और उनकी माताओ की हड्डियाँ और जोड़ हमेशा मज़बूत रहते है ।
मेडिकल कॉलेज के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ दीपक उईके ने बताया कि बच्चों को बॉटल से दूध कभी नहीं पिलाना चाहिये, यह नुक़सान दायक होता है ।
ज़िला अस्पताल के शिशुरोग विशेषज्ञ डॉ सुरेंद्र रघुवंशी , डॉ मयूरा मौर्य , डॉ बी एस छारी एवं मेडिकल कॉलेज की शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ प्रियशा त्रिपाठी तथा डॉ हेमंत यादव ने स्तनपान विषयक उद्बोधन प्रदान किए ।
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Dr m k jain child specialist
President Iap vidisha
Mp ima president elect