अजमेर/राजस्थान अनुसूचित जाति आयोग के पूर्व सदस्य, अजमेर शहर जिला कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष व पूर्व पार्षद प्रताप सिंह यादव ने आज जिला कलेक्टर अजमेर से मिलकर उन्हें राजस्थान के मुख्यमंत्री के नाम एक ज्ञापन सोपा।
ज्ञापन में कहा गया की अजमेर में लागू स्मार्ट सिटी, अमृत योजना, हृदय योजना व अन्य योजनाओ मैं प्राप्त हजारों करोड रुपए, क्या प्रशासनिक व तकनीकी अधिकारियों की सनक की भेट चढ़ गये या अजमेर को प्रति वर्ष थोड़ी बारिश में ही बाढ़ की स्थिति में बदलने में लगा दिए । समय रहते सरकार विचार
करें व अधिकारियों को दंडित करते हुए पूरे शहर को बाढ़ के खतरे से सदैव के लिए बचाने हेतु मिनी मास्टर प्लान बनाकर प्रोजेक्ट रिपोर्ट की ड्राइंग बना ,एक साथ पूरे शहर को व्यवस्थित करने हेतु योजना बनाकर लागू की जाए ।
केंद्र सरकार ने अजमेर को स्मार्ट सिटी घोषित करते हुए हजारों करोड़ों रुपए मंजूर किए व अमृत योजना के साथ-साथ हृदय योजना के तहत भी हजारों करोड रुपए इस शहर की दशा व दिशा बदलने के लिए प्राप्त हुए । जिसमें राजस्थान सरकार ने भी अपना योगदान दिया ।
इसके तहत होना तो यह चाहिए था की अजमेर दक्षिण में बरसात के बाद जो बाढ़ की स्थिति पैदा होती है उससे राहत दिलाने के लिए सबसे पहले आनासागर को कम से कम 10-10 फीट गहरा किया जाना चाहिए था व आना सागर के भराव क्षेत्र में ही बनाई गई विश्रामस्थली जो आज किसी काम नहीं आ रही, उसे वापस खुदाई करके आना सागर में शामिल किया जाना चाहिए था ,जिससे आना सागर में पानी की भराव का क्षेत्रफल व क्षमता बढ़ती। इसके विपरीत जहां आना सागर की चद्दर पहले 22 फीट पर चलती थी, उसे घटा कर 16फूट किया गया व बाद में 13 फूट कर दिया गया ।
इसके कारण पानी भरने का स्थान घट कर कम हो गया व तेज वर्षा के बाद फाइसागर व चौरसियावास तालाब से भी पानी आने से तुरंत आनासागर की चादर चलने लग जाती है । जबकि वास्तव में आना सागर लंबे समय से मिट्टी भरने से इसकी गहराई कम हो गई है , इसलिए गहराई व चौड़ाई के अभाव में अब पानी भराव की पर्याप्त जगह ही नहीं है ।
सिंचाई विभाग व जल संसाधन विभाग मैं लगे तकनीकी अधिकारियों की फौज को यह बात समझ में क्यों नहीं आई की आना सागर में पानी के भराव की स्थिति को बढ़ाया जाए।
✓✓इसके विपरीत भू माफियाओं से मिलकर नगर निगम अजमेर व अजमेर विकास प्राधिकरण के अधिकारियों ने देवनारायण मंदिर व जी मौल के पीछे के क्षेत्र से रीजनल कॉलेज के सामने की चौपाटी तक लाखों डंपर मलबा डालकर पहले तो आनासागर को पानी से मुक्त कर सकडा किया बाद में पुरानी चौपाटी से रिजिनल कॉलेज के सामने नई चौपाटी व पाथवे के साथ-साथ वेट लैंड, रामप्रसाद घाट के पास रेस्टोरेंट व सेवन वंडर्स आदि बनाकर आना सागर को उसके प्रारंभिक निर्माण समय के फैलाव को घटाकर एक चौथाई कर दिया ।
इसमें 1978 पहले हाउसिंग बोर्ड ने भी कॉलोनी काटकर आना सागर को छोटा करने में अपने भूमिका निभाई व आज उन सब कॉलोनीओ में पानी भर रहा है । क्या यह योजनाएं हाउसिंग बोर्ड ने नागरिकों की जान खतरे में डालने के लिए बनाई थी । यह सब जांच का विषय है ।
प्रताप यादव ने कहा की इस बारे में पहले भी मैंने मुख्य शासन सचिव, भ्रष्टाचार निरोधक विभाग के महानिरीक्षक पुलिस को भी अनेकों पत्र भेजे हैं ।
इन योजनाओं के तहत फायसागर से आनासागर तक बाड़ी नदी के अतिक्रमणों को पूरी तरह हटाया जाना चाहिए था व इसका जो मूल बहाव क्षेत्र था उसे पूरी तरह खाली कर अतिक्रमण मुक्त करके,दोनों तरफ मजबूत दीवारें बनाई जानी थी । इसी के साथ चौरसिया वास तालाब से आने वाले पानी हेतु व काजी का नाला जिसमें भी अतिक्रमण हो रखे हैं, को हटाकर उसकी पूरी चौड़ाई में पक्का नाला बनाया जाना चाहिए था ।
आनासागर से पानी के निकास हेतु बनाई गई स्कैप चैनल के नाले को अनेक स्थानों पर छोटा कर दिया गया है ,उनकी जगह-जगह पर पुलियायें सकरी व कम ऊंची कर दी गई है । जिससे पानी पर्याप्त क्षमता के साथ नाले में नहीं बहता । एस्केप चैनल के नाले की सफाई के नाम पर जगह-जगह एस्केप चैनल को तोड़ दिया जाता है व उसे तुरंत वापस नहीं बनाया जाता ,इसकी वजह से एस्केप चैनल से पानी उफन कर आसपास की बस्तियों में पानी भर जाता है। जिससे थोड़ी बरसात तेज होने पर इन बस्तियों की हालत बद से बदतर हो जाती है ।
स्मार्ट सिटी के नाम पर शहर में कंक्रीट का जंगल बना दिया गया है ।
अजमेर की शान आजाद पार्क को समाप्त कर दिया गया व सुभाष उद्यान को घटा कर उसे उसके वास्तविक क्षेत्रफल से चौथाई स्थान में समेट दिया गया ।
राष्ट्रीय पर्यावरण आयोग ने सेवन वंडर्स व भराव क्षेत्र में आने वाले अतिक्रमणों को तोड़ने के आदेश दे रखे हैं । नगर निगम व अजमेर विकास प्राधिकरण उच्चतम न्यायालय में भी अपने पक्ष में फैसला नहीं करवा पाया । उसके बाद भी जिला प्रशासन अजमेर नगर निगम व अजमेर विकास प्राधिकरण से इन निर्माणों को तुड़वाने व अतिक्रमणों को हटवाने में सफलता प्राप्त नहीं कर सका ।
पुष्कर रोड मजार के पीछे एक पूर्व पार्षद ने बाड़ी नदी व न्यास की योजना की भूमि पर कब्जा कर लिया जिस भूमि का भू स्वामी , नगर सुधार न्यास अजमेर से पहले ही जमीन की कीमत प्राप्त कर चुका था, उससे धोखाध़डी पूर्वक अवैध रजिस्ट्री करवा कर ,कॉलोनी ही काट दी व बेच भी दी । शिकायत करने पर प्राधिकरण शिथिलता बरतते हुए अवैध रूप से कॉलोनी काटने वाले व्यक्ति को कोर्ट से स्टे लाने का जानबूझकर अवसर प्रदान किया । जिससे उक्त अवांछित व्यक्ति कॉलोनी में लगातार प्लॉट बेचता रहा । आज वहां के पानी भरने से हालत खराब है ।
प्रताप यादव ने मुख्यमंत्री से मांग की आना सागर के पानी को डाइवर्ट करने का कोई स्थान नहीं दिखता, इसका एकमात्र उपाय यही है की आना सागर की चौड़ाई को प्राधिकरण द्वारा बनाए गए गलत निर्माण को तूड़वाया जाए, पुरानी चौपाटी से नई चौपाटी तक व रामप्रसाद घाट के पास जितने भी है अवैधानिक व्यावसायिक निर्माण बनाए हुए हैं ,उनको व समारोह स्थलों सहित सभी रेस्टोरेंट आदि व भराव क्षमता में आने वाले हैं सभी निर्माण आदि को तुड़वाया जावे । आनासागर की गहराई कम से कम 10-10 फीट और गहरी की जावे । विश्रामस्थली को तुरंत आना सागर में समाहित किया जाए ताकि आना सागर में पानी की भराव क्षमता बड़े वह इसकी चादर को वापस 16 फीट पर की जाए जिससे आसपास की बस्तियों में पानी नहीं भरे । इसके लिए चारों तरफ मजबूत दीवारें उठाई जाए । बाड़ी नदी के बहाव क्षेत्र के सारे अतिक्रमणों को हटाया जाए उसके बहाव क्षेत्र को मूल रूप में वापस लाया जाए । आनासागर एस्केप चैनल को गहरी करते हुए उसके आसपास के दीवारों को ऊंची बनाई जाए ताकि यह उफन कर आसपास की बस्तियों को नुकसान न पहुंचा सके । इसके अतिरिक्त खानपुरा व चौरसियावास तालाब की भराव क्षमता उसे गहरा करके बढ़ाया जाए ।
सबसे आवश्यक उच्च स्तरीय तकनीकी जानकारों से से पूरे अजमेर की पूरा सर्वे कर प्रोजेक्ट रिपोर्ट बनवाकर व उस पर तकनीकी रूप से काम करवा कर अजमेर को वास्तव में स्मार्ट सिटी बनाया जावे व पैसे का सही जगह उपयोग किया जाए ।
बहाव क्षेत्र में बनाए गए तहखानों को बंद करावे व जो नये बन रहे हैं उन्हें रुकवाया जाए इसमें दिल्ली गेट बाहर व दरगाह बाजार, मुंडदी मोहल्ला, डिग्गी बाजार आदि अन्य खतरनाक क्षेत्रों का मौका मुआयना कर तहखानों को जांचा जावे ।पूर्व में
गलत उपयोग हेतु प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार कराने वाले अधिकारियों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज करके कार्रवाई की जाए ।
प्रताप यादव आशा व्यक्त की के मुख्यमंत्री मेरे पत्र पर गंभीरता से विचार कर उचित कार्रवाही करेंगे व इस हेतु बजट में पर्याप्त राशि आवंटित करवाएंगे ।
जिला कलेक्टर में मूल पत्र मुख्यमंत्री को भेजना का आश्वासन देते हुए कहा कि वह भी इसकी विवेचना कर आवश्यक कार्रवाई करवाएंगे ।
(प्रताप सिंह यादव)
पूर्व सदस्य,
राजस्थान अनुसूचित जाति आयोग ,