स्मार्ट सिटी अजमेर की बदसूरती और बर्बादी का जिम्मेदार कौन?-एक

*राजनेताओं और अफसरों की मक्कारी ने उड़ा दिए हमारे शहर के चिथड़े*
*▶️पूरे शहर की सड़कें छलनी, अनेक इलाकों में भरा है बारिश का पानी*
*▶️आनासागर का सीना चीर डाला, अब दिखा रहा है रौद्र रूप*
*▶️सारे रास्ते ब्लॉक, कचहरी रोड झेल रहा है यातायात का दबाव*

*✍️प्रेम आनन्दकर, अजमेर।*
📱08302612247

*👉हमारा अजमेर शहर खून के आंसू रो रहा है। इसके चिथड़े-चिथड़े बिखेर दिए गए हैं। पूरे शहर की सड़कें छलनी हुई पड़ी हैं। बरसात का पानी लोगों को घरों से बाहर नहीं निकलने दे रहा है। शहर के कमोबेश सभी रास्ते ब्लॉक हुए पड़े हैं। आनासागर का पानी उछाले मार-मार कर बाहर निकल रहा है और अनेक इलाकों को तबाह करने पर तुला हुआ है। आखिर उछाले मारे भी क्यों नहीं, उसके दामन को शहर के मक्कार राजनेताओं, भू-माफियाओं और अधिकारियों की मक्कारी ने नोंच जो खाया है। मुझे अच्छी तरह याद है, किसी समय आनासागर का पानी चारों तरफ सड़क के किनारे तक हिलोरे लेता था। आज इसके पेटे में पांच सौ मीटर तक कॉलोनियां बसा दी गई हैं। व्यावसायिक कॉम्पलैक्स बन गए हैं। भू-माफियाओं ने अवैध कब्जे कर प्लॉट काटे और बेच खाए। नगर निगम (पहले नगर परिषद ) और अजमेर विकास प्राधिकरण (पहले यूआईटी) ने नियमन और नक्शे पास कर दिए। उस वक्त शहर में राजनीति करने वाले भाजपा-कांग्रेस के नेता आंख बंद कर क्यों बैठे रहे। क्या उनकी भू-माफियाओं से साठगांठ थी। यदि नहीं थी, तो फिर उस वक्त मुंह क्यों नहीं खोला था। क्या उस समय के अधिकारियों ने रिश्वत-कमीशन खाकर आनासागर का चीरहरण करने की छूट दे दी थी। भू-माफियाओं के चांदी जूते के आगे अधिकारियों की आंखें चुंधिया गई थीं। आज जब आनासागर अपना रौद्र रूप दिखा रहा है, तो हर कोई दिखावटी आंसू बहा रहा है। उस वक्त आनासागर और शहर खूब रो रहा था, हमारे राजनेता व अधिकारी खिलखिला कर मौज उड़ा रहे थे।

प्रेम आनंदकर
अब वही आनासागर और शहर यहां की जनता को रूला रहा है। कप्तान दुर्गाप्रसाद चौधरी सर्किल (बजरंग गढ़ चौराहा) से लेकर महावीर सर्किल तक का रास्ता और सूचना केंद्र के पास अग्रसेन चौराहा से लेकर आगरा गेट चौराहा तक रास्ता ब्लॉक है। बेरिकेडिंग्स लगा दी गई हैं, क्योंकि आनासागर अब किसी भी सूरत में बख्शने को तैयार नहीं है। नगर निगम, अजमेर विकास प्राधिकरण और जिला प्रशासन के अधिकारी बुरी तरह हांफ रहे हैं और दिन-रात कुर्सी लगाकर वहीं जाप कर रहे हैं। नगर निगम, अजमेर विकास प्राधिकरण और जिला प्रशासन के पुराने अधिकारियों की कारगुजारियों की सजा मौजूदा अधिकारी भुगत रहे हैं। रास्ते ब्लॉक होने के कारण यातायात का सारा दबाव एकमात्र कचहरी रोड पर आ गया है। इस रोड पर यातायात रेंग रहा है। हर इंसान को गांधी भवन से इंडिया मोटर सर्किल और कलेक्ट्रेट तक तथा कलेक्ट्रेट व इंडिया मोटर सर्किल से गांधी भवन तक पहुंचने में बीस से पच्चीस मिनट लग रहे हैं। जितना यातायात नीचे है, उतना ही एलिवेटेड रोड पर भी है। आखिर क्या होगा हमारे शहर का। फिर इस सवाल का एक ही जवाब जहन में आता है, कुछ नहीं होना है। इसी तरह शहरवासी रोते रहेंगे, पीड़ा भोगते रहेंगे, राजनेता और अधिकारी मौज करते रहेंगे। नगर निगम, अजमेर विकास प्राधिकरण और जिला प्रशासन में सरकार की ओर से लगाए जाने वाले अधिकारी टाइम पास करने के लिए आते हैं और चले जाते हैं। राजनेताओं का क्या। भाजपा की सत्ता हुई, भाजपाई मुंह सिल लेंगे और कांग्रेस सत्ता में आई, तो कांग्रेसी फेविकोल लगा लेंगे। भाजपाइयों-कांग्रेसियों के लिए अपनी-अपनी सरकार के खिलाफ मुंह खोलने का मतलब सरकार की खिलाफत और बगावत मानी जाती है। रोते रहो शहरवासियों, किसी के कोई फर्क नहीं पड़ता है। शहर के हालात ना पहले बदले और ना ही भविष्य में बदलने वाले हैं।*
*(यदि ब्लॉग पर आप अपनी कोई राय जाहिर करना या मार्गदर्शन देना चाहते हैं, तो मेरे मोबाइल व वाट्सएप्प नंबर-08302612247 पर संपर्क कर सकते हैं। आप मेरे फेसबुक पेज, ’’मेरा संवाद’’ यू-ट्यूब चैनल, वाट्सएप्प चैनल और ब्लॉग स्पॉट से भी जुड़ सकते हैं।)*

error: Content is protected !!