*सुपार्श्वनाथ पार्क में दशलक्षण पर्व के नवें दिन उत्तम अकिंचन धर्म की आराधना*
भीलवाड़ा,16 सितम्बर। दिगम्बर जैन समाज के दसलक्षण (पर्युषण) महापर्व के अंतिम दिन मंगलवार को अनंत चतुर्दशी पर आचार्य श्री सुंदरसागरजी महाराज ससंघ के सानिध्य में श्री महावीर दिगम्बर जैन सेवा समिति के तत्वावधान में शहर के शास्त्रीनगर हाउसिंग बोर्ड स्थित सुपार्श्वनाथ पार्क मंदिर में सुबह 6 बजे विधि विधान के साथ 108 रिद्धि मंत्रों से भव्य अभिषेक होगा। दोपहर 2 बजे कलश होगा। दशलक्षण पर्व के अंतिम दिन सुबह प्रवचन में उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म की आराधना होगी। दशलक्षण महापर्व के नवें दिन उत्तम अकिंचन धर्म की आराधना की गई। प्रवचन में मुनि सुज्ञेयसागर महाराज ने कहा कि सबके बीच में रहकर अत्यंत निस्पृह, निस्वार्थ और स्वावलम्बी होकर जीने की क्रिया आकिंचन्य धर्म है। अहंकार ओर ममकार से निवृति होना ही अकिंचन है। मेरी आत्मा के सिवाय किंचित मात्र भी पर पदार्थ मेरा नहीं है ऐसा चिंतन करना ही उत्तम अकिंचन धर्म है। राग-द्धेष, मोह, कषाय जितने भी मेरे शुभ-अशुभ भाव है सब मेरे से अत्यंत भिन्न है। मैं एकाकी, शुद्ध, निरंजन भगवान आत्मा हूं ऐसा मनन विचार करना ही अकिंचन है। उन्होंने कहा कि जो वस्तु अतिरिक्त है उसे प्रयोग में नहीं लाकर त्याग करना चाहिए। इस संसार में तेरा-मेरा करने से कोई लाभ नहीं होने वाला है। हमारी यह सोच बन जाए कि आत्मा को छोड़ इस संसार में कुछ भी हमारा नहीं है तो यह भी उत्तम अकिंचन धर्म होगा। श्री महावीर दिगम्बर जैन सेवा समिति के अध्यक्ष राकेश पाटनी ने बताया कि दशलक्षण पर्व के नवें दिन सुपार्श्वनाथ मंदिर में मुख्य शांतिधारा व आरती का सौभाग्य कैलाशचन्द्र,सुशीला,मनीष,प्रियंका, आयुष, अक्षिता गोधा परिवार व श्रीमती रेखा गदिया ने लिया। सौधर्मेन्द्र का इन्द्र व आरती का सौभाग्य गुलाबचन्द,कांतादेवी,मनीष,सरिता,नीरज,मनीषा,प्रियांश,प्रियल, आर्श, आनि शाह परिवार को प्राप्त हुआ। मीडिया प्रभारी भागचंद पाटनी ने बताया कि पर्युषण पर्व पर दिव्य तपस्वी राष्ट्रीय संत आचार्य सुंदरसागरजी महाराज के 10 उपवास की तप आराधना की साधना चल रही है। दोपहर में 10 व 5 उपवास की तप आराधना करने वाले सभी त्यागी वृतियों की अनुमोदना के लिए श्रीमती रेखा गदिया, दीक्षा गोधा, नेहा वैद एवं पंकज बड़जात्या परिवार द्वारा विनतियों का कार्यक्रम भक्ति संगीत के साथ हुआ। इसमें समाजजनों ने भाग लेकर तपस्वियों के तप की बहुत-बहुत अनुमोदना की एवं तपस्वियों पर सदा प्रभु का आशीर्वाद बना रहे ऐसी मंगलकामना की। आचार्य सुंदरसागर महाराज ससंघ के सानिध्य में उत्तम अकिंचन धर्म की आराधना एवं पूजा अर्चना मय भक्ति संगीत के साथ हुई जिसका कई श्रावक-श्राविकाओं ने लाभ लिया। पूजा के पूर्व श्रीजी को जुलूस के साथ श्रद्धालुओं द्वारा पांडाल में ले जाया गया।
*भागचंद पाटनी*
मीडिया प्रभारी
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