*रमेश टेहलानी ब्लॉग* ✒️
अजमेर में सरकारी आवासीय योजनाओं के अंतर्गत भूखंड खरीदने का सपना कई लोगों के लिए एक बड़ी उपलब्धि माना जाता है। अजमेर विकास प्राधिकरण (एडीए) द्वारा प्रस्तावित योजनाएँ अक्सर किफायती होती हैं और मध्यवर्गीय परिवारों के लिए एक विकल्प प्रस्तुत करती हैं। लेकिन जब इन योजनाओं का वास्तविक स्थिति में आकलन किया जाता है, तो कई चुनौतियाँ सामने आती हैं।
*आधारभूत सुविधाओं का अभाव*
एडीए द्वारा विकसित आवासीय योजनाओं में एक प्रमुख समस्या यह रही है कि भूखंड बेचने के दशकों बाद भी बुनियादी सुविधाएँ, जैसे सड़क, पानी, सीवरेज, और स्ट्रीट लाइट जैसी सुविधाओं का विकास नहीं हो पाता। नतीजतन, इन योजनाओं में बसावट कम हो जाती है और भूखंड वर्षों तक खाली पड़े रहते हैं। ऐसे में, जिन लोगों ने इन योजनाओं में घर बनाने का सपना देखा था, वे निराश हो जाते हैं।
*निजी विकासकर्ताओं की बढ़ती लोकप्रियता*
इन समस्याओं के कारण, अब लोग निजी विकासकर्ताओं की योजनाओं की ओर रुख कर रहे हैं। निजी योजनाएँ न केवल विकसित होती हैं, बल्कि वहाँ तत्काल सुविधाएँ उपलब्ध होती हैं। इसके अतिरिक्त, निजी योजनाएँ अक्सर गेटेड कम्युनिटी, पार्क, और सुरक्षा जैसी आधुनिक सुविधाएँ प्रदान करती हैं, जो खरीदारों को आकर्षित करती हैं। *पिछले दो सालो में चंद्रकला विहार, ड्रीम एस्टेट, जीएस प्राइम जैसी आवासीय भूखंड योजनाओं की सफलता और अरिहंत विहार जैसी योजनाओ की बढ़ती मांग के पीछे का कारण विक्रय से पहले आधारभूत सुविधाएं विकसित करना है।*
*नीलामी भूखंडों की कम होती लोकप्रियता*
एडीए के नीलामी भूखंड भी अब खरीदारों के लिए उतने आकर्षक नहीं रहे, खासकर एनआरआई और नौकरीशुदा निवेशकों के लिए। इसकी मुख्य वजह नीलामी भूखंड की समयावधि का विस्तार न होना है। एनआरआई और व्यस्त नौकरीपेशा लोग लंबी अवधि तक निर्माण करने की योजना बनाते हैं, लेकिन एडीए की सख्त नीतियाँ और समयसीमा उनके लिए अव्यवहारिक हो जाती हैं।
*निष्कर्ष*
अजमेर विकास प्राधिकरण को अपनी योजनाओं को फिर से प्रासंगिक बनाने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे। आधारभूत सुविधाओं के विकास में तेजी लाने और नीलामी भूखंडों की समय सीमा में लचीलापन प्रदान करने की आवश्यकता है। अन्यथा, खरीदारों का रुझान निजी योजनाओं की ओर बढ़ता रहेगा, और सरकारी योजनाएँ अपनी प्रासंगिकता खो देंगी।