जयपुर । डॉ कृष्णा रावत लिखित व संपादित चार पुस्तकों पर चर्चा का आयोजन रीगल होटल, जयपुर में किया गया । संस्थान निदेशक के स्वागत उद्बोधन व विषय परिचय उपरांत डॉ कृष्णा रावत ने अपनी लेखन प्रेरणा और प्रक्रिया पर प्रकाश डाला। स्वयंसिद्धा सुशीला शील ने डॉ कृष्णा रावत के जीवन वृत्त से सदन को अवगत कराया। इन्द्र कुमार भंसाली ने गंगा- जमुनी तहज़ीब के संवाहक इकराम राजस्थानी के बारे में कहा कि वे सर्वधर्म समभाव के साथ आमजन का लेखन करते थे । उनके लोकप्रिय राजस्थानी गीत ‘इंजन की सीटी पर’ सुना कर भाव विभोर किया। श्रीकृष्ण शर्मा ने इकराम जी को याद करते हुए उनके क़ुरान और गीतांजलि के राजस्थानी अनुवाद का ज़िक्र किया। व्यंग्यकार फ़ारुख़ अफ़रीदी ने बताया कि इकराम राजस्थानी ने उर्दू शायरी के साथ शेख सादी के काम का भी राजस्थानी में अनुवाद किया। डॉ नंद भारद्वाज ने उदयपुर आकाशवाणी में उनके साथ कार्यकाल को स्मरण करते हुए उनकी हाज़िर जवाबी, कुशल मंच संचालन और कार्य तत्परता को उनके व्यक्तित्व की विशेषता बताया। डॉ रेखा गुप्ता ने निबंध पूर्णिमा की समीक्षा का वाचन किया।
इसी अवसर पर ‘पाती अपनों की’ मुहिम के प्रवर्तक व प्रशासनिक अधिकारी डॉ सूरज सिंह नेगी द्वारा डॉ कृष्णा रावत और साकार श्रीवास्तव ‘फ़लक’ द्वारा संकलित व संपादित पुस्तक ‘चयनित पत्र पुष्प’ व पुस्तक ‘स्मृति में रचे-बसे अद्भुत पत्र’ का लोकार्पण हुआ। डॉ नेगी ने बताया कि इस मुहिम के अन्तर्गत 15 पुस्तकें आ चुकी हैं उनमें से 11 पुस्तकों से श्रेष्ठ पत्रों का चयन कर उपरोक्त दो पुस्तकों में ढाला गया है। संस्थान की अध्यक्ष कविता मुखर ने बताया कि डॉ कृष्णा रावत द्वारा संकलित व संपादित दो पुस्तकों क्रमशः देश-विदेश की प्रसिद्ध कहानियां और विश्व की चुनिंदा प्रेम कहानियॉं पर पाठक चर्चा में ज्योत्सना सक्सेना,टीना शर्मा, ज्ञानवती सक्सेना, कंचना सक्सेना, राजेन्द्र राजन और नीरज रावत ने भाग लिया। डॉ नरेंद्र शर्मा कुसुम ने कहा साहित्य में अनुवाद कार्य को दोयम समझा जाता है। बाल साहित्य कार डॉ अलका अग्रवाल ने कहा कि डॉ रावत के दोनों संकलन देश-विदेश की संस्कृतियों, परंपराओं को जानने का अवसर देते हैं। इनसे ज्ञात होता है कि भाव सार्वभौमिक हैं और सम्वेदनाऍं सम्पूर्ण मानवजाति की एक समान हैं। वैश्विक साहित्य पढ़ने से दृष्टि व्यापक होती है, मानवता बढ़ती है व हम श्रेष्ठतर होते जाते हैं। कार्यक्रम का संचालन निरूपमा चतुर्वेदी और नीरज रावत ने किया।