आजादी के बाद अजमेर के पहले कांग्रेस अध्यक्ष थे स्व श्री जीतमल लूनिया

अजमेर में 15 नवम्बर, 1905 को जन्मे श्री जीतमल लूनिया ने एम.ए. तक शिक्षा अर्जित की। वे सन् 1914 में इंदौर गए और स्वर्गीय श्री हरिभाऊ उपाध्याय के साथ मिल कर मालवा मयूर नामक मासिक पत्र का प्रकाशन शुरू किया। सन् 1916 में हिंदी साहित्य मंदिर की स्थापना की। सन् 1922 में उसका कार्यालय बनारस स्थानांतरित हो गया। इसके बाद स्व. श्री अर्जुन लाल सेठी के सुझाव पर सन् 1925 में अजमेर आ गए। यहां सस्ता साहित्य मंडल के नाम से प्रकाशन कार्य शुरू किया। उन्होंने अहसहयोग आंदोलन में भाग लिया और कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष चुने गए। सरकार ने उसे गैर कानूनी घोषित कर दिया और उन्हें एक साल तक कारावास में रखा गया। इसके बाद पत्नी श्रीमती सरदार बाई के साथ सत्याग्रह में भाग लिया और छह-छह माह तक कारावास भोगा। सन् 1933 में अजमेर सेवा भवन नामक संस्था की स्थापना की और अछूतोद्धार व राष्ट्रोत्थान के कामों में लग गए। सन् 1940 में फिर सत्याग्रह में भाग लिया और 1942 में फिर एक साल का कारावास भोगा। सन् 1947 में शहर कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गए और 15 अगस्त को देश की आजादी पर नया बाजार स्थित राजकीय संग्रहालय पर तिरंगा झंडा फहराया। वे 1948 में नगर परिषद के अध्यक्ष चुने गए। सन् 1970 में दिल्ली में स्वतंत्रता सेनानी प्रशस्ति एवं ताम्रपत्र से सम्मानित किए गए। सन् 1973 में शराबबंदी सत्याग्रह में भाग लिया और जेल गए।
अजमेर एट ए ग्लांस से साभार

error: Content is protected !!