सम्पर्क साहित्य संस्थान ने सातवां स्थापना दिवस वर्चुअल पटल पर मनाया
मदनगंज किशनगढ़। सामाजिक,साहित्यिक सरोकारों में अग्रणी देश की प्रतिष्ठित संस्था सम्पर्क साहित्य संस्थान ने अपना सातवां स्थापना दिवस वर्चुअल पटल पर मनाया देश भर की सुविख्यात कवयित्रियों व साहित्यकारों ने बढ़चढ़ कर ऑनलाइन कार्यक्रम में प्रतिभाग किया । संस्थान की महासचिव रेनू शब्दमुखर ने कार्यक्रम का संचालन करते हुए बताया कि जनवरी 2018 में 31 लेखिकाओं के सांझा संकलन “शब्द मुखर से हुई। शुरुआत का जिक्र करते हुए आज देश भर में बने विशाल संपर्क परिवार की जानकारी देते हुए अब तक के संपर्क की साहित्यिक यात्रा के बारे में बताया । संस्थान अध्यक्ष अनिल लढा ने देश भर के रचनाकारों की जानकारी देते हुए बताया कि अब तक संस्थान द्वारा अनेको पुस्तकों का विमोचन व प्रति माह अनेक प्रतियोगिताओं का आयोजन होता है उन्होंने बताया कि नामचीन के साथ नवोदित रचनाकार इस परिवार से जुड़कर एक दूसरे का हाथ थाम कर एक परिवार की तरह लेखन में आगे बढ़ रही हैं । संपर्क संस्थान को एक परिवार बताते हुए सभी में उत्साह भरते हुए कहा की “पीछे मत देखना, किसी को पीछे मत छोड़ना। सभी को साथ लेकर चलना है पुणे से संस्थान की मुख्य संरक्षक आशा शर्मा ने सम्पर्क की उपलब्धियों पर अपने विचार रखते हुए कहा मैं स्वयं को गौरवान्वित महसूस करती हूं। देश भर से 40 प्रसिद्ध साहित्यकारों ने संस्थान को लेकर अपने विचार प्रस्तुत किए साथ ही साथ अपनी साहित्यक उपलब्धियों का श्रेय संस्थान को देते हुए अपनी साहित्यिक यात्रा की चर्चा की। वरिष्ठ उपाध्यक्ष सवाईमाधोपुर निवासी डॉ आरती भदौरिया ने संपर्क के साथ अपने सुखद अनुभव बांटे। पुष्पा माथुर ने संपर्क को वटवृक्ष कहकर संबोधित किया। उत्तराखंड खटीमा निवासी सुधांशु साह ने कहा “संपर्क उस मजबूत धागे के समान है जो अपने मोती रूपी सदस्यों को एकता के सूत्र में माला की तरह पिरो कर रखता है। हल्द्वानी निवासी ललिता कापडी ने अपनी साहित्यिक यात्रा की शुरूआत सम्पर्क से होना बताते हुए अपनी किताबों के विमोचन से उन्हें मिली प्रसिद्धी की चर्चा की पंजाब निवासी अनिला बत्रा ने कविता “संपर्क संस्थान मेरा गौरव”, अर्चना माथुर ने “संपर्क साहित्य संस्थान बड़ा निराला है”, सुनीता त्रिपाठी ने मेरे संपर्क की शुरुआत संपर्क सबसे न्यारा है” सुनाकर अपने अनुभव साझा किए डॉ.रेखा गुप्ता ने संपर्क को मधुर डोर में बांधने वाला परिवार बताया।
देहरादून निवासी शशि कुड़ियाल ने “शब्दों में संपर्क को डाल सकूं वह शब्द कहां से लाऊं”, मीना जोशी ने”संपर्क से संपर्क हुआ तुझसे ए संपर्क के साथ ही अहमदाबाद निवासी शशि मूंदड़ा ने “संपर्क एक ऐसा आशियाना है जहां सभी के मन में सद्भावना है”, वर्षा गुप्ता ने “संपर्क का साथ अभी से अंत तक”, प्रतिभा पांडे ने “संपर्क शक्ति स्वरूपा है”, शिल्पी पचौरी ने संपर्क को खजाने के रूप में प्रस्तुत किया। डॉ.नेहा पारीक, अर्चना माथुर,वर्षा अरुणा शाह , पंकज सक्सेना, रेनू गुप्ता, डॉ लता सुरेश, ऐश्वर्या डॉ अंजू, उर्वशी, रमाभाटी, डॉ. सीमा भाटी, शोभा, उषा रस्तोगी, ज्ञान विहार स्कूल के प्रधानाचार्य डॉ. ऋत्विज गौड़, अर्चना सिंह, मीना जोशी , उर्वशी , पुनिता सोनी, कमलेश शर्मा,प्रतिभा,डॉ. नीलम कालरा, स्मिता शाह, कुमुद, वंदना ऐश्वर्य, अनुपमा वर्मा आदि ने कार्यक्रम में प्रतिभाग कर कार्यक्रम को गरिमामय बनाया। कार्यक्रम के आरंभ में अध्यक्ष अनिल लढ़ा के पिताजी संतोष जी लढ़ा के देवलोकगमन पर श्रद्धांजलि अर्पित की गई।