अजमेर में ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह में हर साल मनाया जाने वाला पारंपरिक वसंत उत्सव 4 फरवरी 2025 को हर्षोल्लास के साथ सम्पन्न हुआ। दरगाह के शाही चौकी के कव्वाल असरार हुसैन के परिवार के लोगों ने परंपरा अनुसार बसंत की पेशकश की। यह रस्म दरगाह दीवान की सदारत में अदा की गई। बसंत जुलूस निजाम गेट से शुरू हुआ, जिसमें शाही कव्वालों ने अमीर खुसरो के प्रसिद्ध गीत गाते हुए वसंत का गुलदस्ता लेकर दरगाह की ओर कूच किया। गुलदस्ते को गरीब नवाज की मजार शरीफ पर चढ़ा कर परंपरा का निर्वहन किया गया। यह रस्म गंगा-जमुनी तहजीब और आपसी सौहार्द्र का प्रतीक है।
वसंत उत्सव चिश्ती परंपरा का महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसे अमीर खुसरो की विरासत से जोड़ा जाता है। इसका मूल संत हजरत निजामुद्दीन औलिया से जुड़ा हुआ है। ऐसा माना जाता है कि जब उनके प्रिय शिष्य हजरत अमीर खुसरो ने वसंत ऋतु में महिलाओं को पीले वस्त्र पहन कर फूल चढ़ाते हुए देखा, तो उन्होंने भी अपने गुरु को खुश करने के लिए यह परंपरा शुरू की। तब से यह सूफी दरगाहों में वसंत मनाने की परंपरा चली आ रही है।