दीर्घकालिक प्रभाव को मापना एक चुनौती बनी हुई है, लेकिन भारत में 94% बी2बी मार्केटर्स मानते हैं कि एआई से हो रही है आरओआई में बढ़ोतरी – लिंक्डइन
भारत, फरवरी, 2025: दुनिया के सबसे बड़े प्रोफेशनल नेटवर्क और अग्रणी बी2बी एडवर्टाइजिंग प्लेटफ़ॉर्म लिंक्डइन के नए शोध से पता चलता है कि बी2बी मार्केटर्स पर दबाव बढ़ रहा है। भारत में इनमें से लगभग आधे मार्केटर्स को मासिक आधार पर सी-सुइट एक्जीक्यूटिव्स के समक्ष मार्केटिंग पर होने वाले खर्च का हिसाब देना पड़ता है। बी2बी खरीद चक्र की लंबाई बढ़ने के साथ, अधिकांश (89%) बी2बी मार्केटर्स कहते हैं कि किसी कैंपेन के लंबे समय में होने वाले प्रभाव को मापना कठिन हो रहा है।
लिंक्डइन के नए ‘बी2बी आरओआई इम्पैक्ट’ शोध* में अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और भारत के 1,000 से अधिक बी2बी मार्केटर्स का सर्वे किया गया। इस सर्वे से मार्केटर्स द्वारा कंपनी की आय पर अपने काम के प्रभाव को दिखाने के लिए महसूस किए जाने वाले दबावों के बारे में जानकारी मिलती है। देश के 84% बी2बी सीएमओ का कहना है कि पिछले दो सालों में कैंपेन रिटर्न-ऑन-इन्वेस्टमेंट ((आरओआई) साबित करना अधिक अहम हो गया है।
इस रिसर्च से पता चलता है कि आरओआई प्रदर्शित करते समय बी2बी मार्केटर्स तीन बड़ी बाधाओं का सामना करते हैं। ये हैं – विशेष रूप से बी2बी कैंपेन्स के लिए (42%) मानक इंडस्ट्री बेंचमार्क और मेट्रिक्स की कमी, अलग-अलग डेटा प्लेटफॉर्म्स के बीच इंटीग्रेशन के मुद्दे (39%) के चलते खास कैंपेन्स के लिए कन्वर्जन को सटीक रूप से जिम्मेदार ठहराने में कठिनाई (39%) और सेल्स और मार्केटिंग के बीच मेट्रिक्स पर संगठनात्मक समरूपता की कमी (38%)।
सचिन शर्मा, डायरेक्टर, लिंक्डइन मार्केटिंग सॉल्यूशंस इंडिया, ने कहा, “चूंकि 2025 में भारतीय बी2बी मार्केटर्स के लिए आरओआई साबित करना मुख्य प्राथमिकता बनी हुई है, इसलिए सीनियर लीडर्स के साथ उनके संबंध और भी ज़्यादा महत्वपूर्ण हो जाएंगे। 10 में से 9 लोग पहले से ही कैंपेन रिटर्न को बेहतर बनाने और आरओआई को बेहतर तरीके से मापने के लिए एआई टूल का इस्तेमाल कर रहे हैं, इसलिए बी2बी मार्केटर्स को ‘वॉल्यूम मेट्रिक्स पर वैल्यू मेट्रिक्स’ को प्राथमिकता देने के लिए लीडर्स के साथ मिलकर काम करना चाहिए। ऐसा करने के लिए, उन्हें सही एआई टूल अपनाने चाहिए जो किसी कैंपेन के प्रभाव को अधिक सटीकता के साथ मापने में मदद कर सकें – जिसके परिणामस्वरूप वास्तविक व्यावसायिक परिणाम हासिल हो सकें।”
अधिकांश बी2बी मार्केटर्स का कहना है कि वैल्यू मेट्रिक्स किसी कैंपेन की सफलता के मजबूत इंडीकेटर हैं।
हालांकि, रिसर्च में पाया गया है कि सीनियर लीडर्स कस्टमर एक्विजीशन कॉस्ट (सीएसी), कॉस्ट पर एंगेजमेंट (सीपीई) और विज्ञापन खर्च पर रिटर्न (आरओएएस) जैसे वॉल्यूम मेट्रिक्स की सबसे ज्यादा मांग करते हैं। बी2बी मार्केटर्स जानते हैं कि मानसिकता बदलने की ज़रूरत है। आंकड़ों से पता चलता है कि भारत में 46% सीनियर लीडर आरओएएस पर फोकस कर रहे हैं, इसके बावजूद बी2बी मार्केटर मूल्य मीट्रिक्स, जैसे मार्केटिंग क्वालिफाइड लीड्स (एमक्यूएलs) और सेल्स क्वालिफाइड लीड्स (एसक्यूएलs) को किसी कैंपेन की सफलता के मजबूत इंडीकेटर के रूप में मानते हैं।
अगले वर्ष पर नजर बनाए रखते हुए, बी2बी मार्केटर्स का कहना है कि खरीदार के इरादे को समझना यानी खरीदार द्वारा खरीदारी करने की संभावना को पहचानना कैंपेन की प्रभावशीलता को साबित करने में सबसे बड़ी चुनौती होगी, जो सही लीड को प्रभावी ढंग से मापने में जटिलता का संकेत देता है। परिणामस्वरूप, आधे से ज्यादा (53%) बी2बी मार्केटर खरीद निर्णयों को प्रभावित करने और कन्वर्जन को बढ़ाने के लिए बॉयर ग्रुप मार्केटिंग रणनीति पर फोकस कर रहे हैं और अपनी रिपोर्टिंग में कस्टमर लाइफटाइम वैल्यू (सीएलवी) पर ध्यान दे रहे हैं।
96% बी2बी मार्केटर्स का मानना है कि एआई का मेजरमेंट पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। चूंकि खरीदारी समूह लगातार विकसित हो रहा है और बी2बी मार्केटर्स को सही निर्णयकर्ताओं तक पहुंचना और अभियान की प्रभावशीलता साबित करना कठिन लगता है। भारत में 10 में से 9 बी2बी मार्केटर्स का मानना है कि एआई का अगले पांच सालों में मापन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
इसके साथ ही 94% बी2बी मार्केटर्स भी इस बात से सहमत हैं कि कैंपेन बनाने और उसका अधिकतम लाभ उठाने के लिए एआई का इस्तेमाल करने पर उन्हें आरओआई में सुधार देखने को मिल रहा है। शोध से पता चलता है कि वे ऑडियंस सेगमेंटेशन और टारगेटिंग (65%) को बढ़ाने, बेहतर लीड स्कोरिंग के लिए प्रेडिक्टिव एनालिटिक्स को आगे बढ़ाने (61%), बड़े पैमाने पर कंटेंट को प्राइवेटाइज करने (57%) और रियलटाइम विज्ञापन खर्च और क्रिएटिव कंटेंट को ऑप्टिमाइज़ करने (55%) के लिए एआई का इस्तेमाल कर रहे हैं।
भविष्य को ध्यान में रखते हुए, बी2बी मार्केटर मानते हैं कि अगले पांच सालों में, विज्ञापन प्रभावशीलता (62%), कॉन्टेंट क्रिएशन और पर्सनलाइजेशन (60%) और प्रिडेक्टिव एनालिटिक्स (53%) को मापने में एआई सबसे अहम साबित होगा।
सलोनी जावेरी, चीफ डिजिटल एवं मार्केटिंग ऑफीसर, लॉरिअल इंडिया कहती हैं, “लिंक्डइन के प्रोफेशनल नेटवर्किंग और कंटेंट मार्केटिंग का अनूठा मिश्रण लॉरिअल को प्रमुख हितधारकों- उद्योग के पेशेवरों, संभावित कर्मचारियों, निवेशकों और उपभोक्ताओं से जुड़ने में सक्षम बनाता है। लॉरिअले सेंस ऑफ पर्पज़ जैसे लक्षित कैंपेन्स के माध्यम से, हमने अत्यधिक अहम और प्रभावशाली दर्शकों के बीच ब्रांड जागरूकता, कॉर्पोरेट प्रतिष्ठा और जुड़ाव को मजबूत किया है। लिंक्डइन के परिष्कृत टारगेटिंग और विश्लेषण हमें प्रभाव को मापने, कैंपेन को बेहतर बनाने और आरओआई को अधिकतम करने में मदद करते हैं।”
लिंक्डइन ने बी2बी मार्केटर्स को कैंपेन के परफॉर्मेंस और व्यावसायिक प्रभाव को मापने में मदद करने के लिए समाधानों में निवेश करना जारी रखा है
लिंक्डइन अपने मेजरमेंट समाधानों को मजबूत कर रहा है ताकि बी2बी मार्केटर्स को कैंपेन के परफॉर्मेंस और व्यावसायिक प्रभाव को अधिक स्मार्ट तरीके से ट्रैक करने में मदद मिल सके। कन्वर्ज़न एपीआई (सीएपीआई) और रेवेन्यू एट्रिब्यूशन रिपोर्ट (आरएआर) में किए गए नए निवेश में शामिल हैं:
कन्वर्जन एपीआई: कन्वर्जन्स एपीआई के साथ, बी2बी मार्केटर्स अपने फर्स्ट पार्टी डेटा – ऑनलाइन और ऑफ़लाइन ग्राहक इंटरैक्शन दोनों – को लिंक्डइन से कनेक्ट कर सकते हैं ताकि उन ऑडियंस को लक्षित किया जा सके जो कार्रवाई करने की सबसे अधिक संभावना रखते हैं। कैंपेन टारेगेट के साथ जोड़े जाने पर, यह आरओआई को बढ़ाने के लिए एक बेहतर रूप से प्रभावी उपकरण हो सकता है। इंप्रेशन, क्लिक और सामान्य लीड के लिए लीड जनरेशन कैंपेन को अनुकूलित करने से परे, मार्केटर्स अब सही लीड के लिए अनुकूलन कर सकते हैं – जो उनके मार्केटिंग या बिक्री-योग्य मानदंडों (एमक्यूएल या एसक्यूएल) को पूरा करते हैं।
परिणामस्वरूप, कनवर्जन एपीआई के साथ, मार्केटर औसतन एट्रीब्यूटेड कन्वर्जन में 31% की बढ़त हासिल कर रहे हैं, वहीं, कॉस्ट पर एक्शन में 20% की कमी देखने को मिली है। इसके साख ही शुरुआती परिणामों से पता चलता है कि कॉस्ट पर क्वॉलिफाइड लीड में 39% की कमी आई है।
अदिति ओलेमैन, मार्केटिंग हेड, कैशफ्री पेमेंट्स बताती हैं कि लिंक्डइन किस तरह से बिजनेस इम्पैक्ट को बढ़ाने में मदद करता है, “लिंक्डइन वह जगह है जहां हम अपना ब्रांड बनाते हैं और सही दर्शकों के साथ वास्तविक बातचीत को बढ़ावा देते हैं। चाहे नए उत्पाद लॉन्च करना हो, एसएमबी को शामिल करना हो या इंडस्ट्री की जानकारी साझा करना हो, लिंक्डइन यह सुनिश्चित करता है कि हम उन डिसीजन मेकर्स तक पहुंचें जो महत्वपूर्ण हैं। पेशेवर माहौल, सटीक टारगेटिंग और विश्लेषण सिर्फ़ विजिबिलिटी को ही नहीं बढ़ाते हैं – वे कार्रवाई को भी बढ़ावा देते हैं। यह हमारे लिए सिर्फ़ एक और चैनल नहीं है; यह वह जगह है जहां विचार नेतृत्व वास्तविक व्यावसायिक प्रभाव में बदल जाता है।”
रेवेन्यू एट्रिब्यूशन रिपोर्ट: जब बी2बी मार्केटर्स अपने अवसर और पाइपलाइन डेटा को सीधे या मार्केटिंग पार्टनर्स, के माध्यम से लिंक्डइन से जोड़ते हैं, तो वे रेवेन्यू एट्रीब्यूशन रिपोर्ट (आरएआर) के साथ बिक्री मीट्रिक पर अपने कैंपेन के एकाउंट लेवल प्रभाव को साबित कर सकते हैं। आरएआर, विज्ञापनदाताओं को रेवेन्यू इनफ्लुएंस्ड, रिटर्न ऑन एड स्पेंड और पाइपलाइन जैसे मेट्रिक्स के साथ मार्केटिंग प्रयासों को वास्तविक व्यावसायिक परिणामों के लिए जोड़ने में सक्षम बनाता है।
**कन्वर्ज़न एपीआई और आरएआर दोनों ही पार्टनर इंटीग्रेशन और एपीआई के ज़रिए वैश्विक स्तर पर उपलब्ध हैं। हम उम्मीद करते हैं कि आने वाले महीनों में हम जिन नई आरएआर कार्यक्षमताओं का परीक्षण कर रहे हैं वे दुनिया भर के ग्राहकों के लिए उपलब्ध होंगी।