दिल्ली में दोपहिया वाहनों के पीछे बैठने वाली महिलाएं फिलहाल बिना हेलमेट पहने सफर कर सकती हैं। दिल्ली के परिवहन विभाग ने दिल्ली हाइकोर्ट में हलफनामा दायर कर बताया कि सरकार महिलाओं के लिए हेलमेट अनिवार्य नहीं करने जा रही है।
विभाग ने न्यायमूर्ति जीएस सिस्तानी की अदालत के समक्ष हलफनामा दायर किया है। विभाग ने कहा है कि यह निर्णय सिख समुदाय के विरोध को देखते हुए लिया गया है। विभाग ने अदालत को बताया कि महिलाओं के लिए हेलमेट अनिवार्य करने पर विचार हुआ था, लेकिन सिख समुदाय की महिलाओं ने इसका विरोध किया। ऐसे में परिवहन मंत्री का यही विचार है कि महिलाओं को दी गई छूट जारी रहेगी। साथ ही यह भी निर्णय लिया गया कि महिलाएं ऐच्छिक तौर पर हेलमेट पहन सकती हैं और इसके लिए उन्हें जागरूक किया जाएगा। अदालत ने अब इस मामले में सुनवाई के लिए 16 मई की तारीख तय की है, क्योंकि विभाग के अधिवक्ता ने बताया कि इस संबंध में एक और हलफनामा दायर किया जाना हैं। बता दें कि इस मामले में उलहास नामक व्यक्ति ने अदालत की अवमानना की याचिका दायर करते हुए कहा था कि पूर्व में सरकार ने उसकी जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा था कि दिल्ली सरकार महिलाओं की सुरक्षा को देखते हुए मोटर वाहन अधिनियम के उस नियम में बदलाव पर विचार कर रही है जिसमें हेलमेट पहनना या न पहनना महिलाओं की मर्जी पर छोड़ा गया है। अदालत ने दो माह में काननू में संशोधन करने के लिए कहा था। लेकिन अब तक ऐसा नहीं किया गया है। याचिकाकर्ता ने बताया कि दिल्ली में हर साल साठ से सत्तर महिलाओं की मौत दुर्घटना में सिर में चोट लगने के कारण होती है। इसलिए महिलाओं की सुरक्षा को देखते हुए उनके लिए हेलमेट अनिवार्य कर देना चाहिए। पूर्व में दायर याचिका की सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार की अधिवक्ता जुबैदा बेगम ने अदालत को बताया था कि केंद्रीय मोटर वाहन अधिनियम में पहले से ही महिलाओं के लिए हेलमेट पहनने को ऐच्छिक नहीं रखा है। लेकिन दिल्ली सरकार ने अपने नियमों में इसे ऐच्छिक बना दिया था। अब दिल्ली सरकार अपने इस नियम पर फिर से विचार करके इसे संशोधित करना चाह रही है