श्री गंगा भैरव मंदिर पर उमडा आस्था का सैलाब

महाआरती भजन संध्या एवं भण्डारे का हुआ आयोजन
अजमेर । वरूण सागर के पास काजीपुरा में अरावली की सुरम्य वादियों में बसा  प्राचीन गंगी भैरव मंदिर  पर आज धर्मराज दशमी पर महाआरती और भंडारे के साथ भक्ति का अनूठा संगम देखने को मिला।
भैरव घाटी में दुर्गम पहाड़ियों के बीच स्थित श्री गंगा भैरव मंदिर में सोमवार को धर्मराज दशमी का भव्य आयोजन हुआ। इस अवसर पर मंदिर में महाआरती और  मनोकामना पूर्ण आरती संपन्न हुई। जोधपुर, बलोतरा, गुजरात, इंदौर, जयपुर, रूपनगढ़, पाली, सुमेरपुर, किशनगढ़ और अजमेर सहित कई क्षेत्रों से आए भक्तों ने इसमें हिस्सा लिया। भैरव मंडली द्वारा आयोजित भजन संध्या में गायक कलाकार रामाजी, राणाजी, जीता सिंह, लेखराज और अन्य ने भक्ति रस से सराबोर प्रस्तुतियां दीं, जिसने श्रद्धालुओं को भाव-विभोर कर दिया। इस अवसर भंडारे में भक्तों ने प्रसाद ग्रहण किया।
महा आरती में कांग्रेस ओबीसी विभाग के प्रदेश महासचिव मामराज सेन शहर कांग्रेस महासचिव शिवकुमार बंसल हेमराज सिसोदिया मनीष अग्रवाल बीरम सिंह रावत नवयुवक मंडल के कल्याण सिंह रावत जय सिंह रावत सहित बड़ी संख्या में गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।
*मंदिर का इतिहास: एक चमत्कारी शुरुआत*  
मंदिर के मुख्य पुजारी  भाग सिंह रावत बताते हैं कि श्री गंगा भैरव मंदिर की स्थापना लगभग सौ-सवा सौ साल पहले हुई थी। यहां विराजमान भैरव बाबा की मूर्ति स्वयंभू है। मंदिर का इतिहास संत शिरोमणि श्री गुलाब सिंह जी महाराज से जुड़ा है। पुजारी के अनुसार, काजीपुरा फाई सागर गांव में स्वर्गीय हमीरा जी रावत के घर जन्मे गुलाब सिंह अनाथ हो गए थे। मात्र 7-8 साल की उम्र में वे जंगल में बकरियां चराने लगे। एक रविवार को, जब वे 11 साल के थे, उन्हें झाड़ियों और चट्टानों के बीच से कोई आवाज सुनाई दी। अदृश्य शक्ति से प्रेरित होकर उन्होंने चट्टानें हटाईं, तो 6-7 फीट गहरे गड्ढे से भैरव बाबा की प्रकाशमान मूर्ति प्रकट हुई। पास में दो शेर बैठे थे, लेकिन गुलाब सिंह बिना डरे वहीं रहे। उनके साथी ने शेरों को देखकर भागने की सलाह दी, पर वे मूर्ति को छोड़ गांव लौट आए।
कुछ समय बाद गुलाब सिंह की तबीयत बिगड़ने लगी। तीन बार उनकी हालत इतनी गंभीर हुई कि गांव वाले अंतिम संस्कार की तैयारी करने लगे, लेकिन हर बार वे चमत्कारिक ढंग से ठीक हो गए। तब भैरव बाबा ने उन्हें दर्शन दिए और कहा, “मैं गंगा का भैरव हूं। मेरी सेवा करो, मैं तुझे ठीक कर दूंगा।” गुलाब सिंह ने वचन लिया कि उनकी तरह हर परेशान और बीमार व्यक्ति की मुश्किलें भी दूर होंगी। इसके बाद उन्होंने मंदिर बनवाया, बावड़ियां खुदवाईं और अक्षय वट लगवाया। 30 दिसंबर 2015 को उनका देवलोक गमन हुआ, लेकिन उनकी सेवा आज भी भक्तों के बीच जीवित है।
*चमत्कारों की अनगूंज*
गुलाब सिंह की भक्ति से भैरव बाबा की ख्याति दूर-दूर तक फैली। निःसंतान दंपतियों को संतान, लाइलाज बीमारियों से पीड़ितों को स्वास्थ्य और बेरोजगारों को रोजगार मिलने की कहानियां आम हो गईं। नव युवक मंडल अध्यक्ष जय सिंह रावत कहते हैं कि रविवार को मंदिर में भक्तों की भीड़ उमड़ती है। देश के कोने-कोने से लोग अपनी मनोकामनाएं लेकर आते हैं और मान्यता है कि सच्चे मन से मांगी हर प्रार्थना पूरी होती है। यहां काफी दूर-दूर से भक्तजन आते हैं और रात्रि में यहीं विश्राम करते हैं, लेकिन अफसोस कि न तो यहां लाइट्स की समुचित व्यवस्था है और न ही ठहरने के लिए बड़े हॉल की सुविधा। भक्तों की बढ़ती संख्या को देखते हुए इन सुविधाओं की कमी खलती है।
श्री गंगा भैरव मंदिर आज भी आस्था का वह प्रकाश स्तंभ है, जहां चमत्कार और भक्ति एक साथ जीवंत हैं।
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