दूसरे देश में घुसे तो पूरी दुनिया मिलकर बजाएगी बाजा

नई दिल्ली। भारत-पाक तनाव के बीच चलिए आज हम आपको बता रहे हैं कि क्या है जेनेवा संधि?

द्वितीय विश्व युद्ध के बाद 1949 में 194 देशों ने मिलकर मानवता को बरकरार रखने के लिए संधियां की। इसके पहले भी 1864, 1906, 1929 में तीन संधियां हो चुकी थीं। जेनेवा में सम्मेलन में युद्ध के दौरान सेनाओं, गिरफ्तार सैनिकों और घायल लोगों के साथ कैसा बर्ताव करना है इसको लेकर दिशा निर्देश दिया गया। इसमें विस्तृत रूप से बताया गया है कि युद्ध के दौरान गिरफ्तार सैनिकों के क्या अधिकार हैं। युद्ध क्षेत्र में घायलों की उचित देखरेख और आम लोगों की सुरक्षा की बात कही गई है।

इस संधि के अनुच्छेद दो के मुताबिक कोई देश दूसरे देश की सीमा में घुसकर युद्ध नहीं कर सकता है।

अनुच्छेद तीन के मुताबिक युद्ध के दौरान लड़ाकों के घायल होने पर अच्छे तरीके से उपचार की व्यवस्था होनी चाहिए। युद्ध के दौरान गिरफ्तार सैनिकों के साथ बर्बरतापूर्ण व्यवहार नहीं होना चाहिए। बंधकों को छोड़ना होगा। विपक्षी सैनिकों को उचित कानूनी प्रावधान के तहत ही सजा देनी होगी। गिरफ्तार सैनिकों को कानूनी सुविधा भी मुहैया करानी होगी।

-अनुच्छेद चार के मुताबिक व्यक्ति की सुरक्षा मुख्य जिम्मेदारी है।

-अनुच्छेद 32 के प्रावधान के अनुसार अंग भंग हो चुके सैनिक से सख्त पूछताछ नहीं की जानी चाहिए।

-अनुच्छेद 33 में लूट का माल रखना वर्जित है। किसी व्यक्ति या देश से प्रतिशोध के भाव भी वर्जित है।

-1949 के जेनेवा सम्मेलन के मुताबिक सामूहिक सजा युद्ध अपराध है।

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