बाल श्रम मुक्त राजस्थान बनाने के लिए शुरू हो राष्ट्रीय मिशन

राजस्थान महिला कल्याण मण्डल ने साल भर में बाल मजदूरी से मुक्त कराए 456 बच्चे
बाल अधिकारों की सुरक्षा व संरक्षण के लिए नागरिक समाज संगठनों के देश के सबसे बड़े नेटवर्क जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन (जेआरसी) का सहयोगी संगठन राजस्थान महिला कल्याण मण्डल चला रहा जिले में बाल श्रम के खिलाफ अभियान। विश्व बाल श्रम निषेध दिवस पर अजमेर, बीकानेर, नागौर, डीडवाना-कुचामन, चुरू एवं झुझुनु आदि 6 जिलों में बाल अधिकारों की सुरक्षा व संरक्षण के लिए काम कर रहे संगठन राजस्थान महिला कल्याण मण्डल के निदेशक राकेश कुमार कौशिक ने कहा कि बाल अधिकारों के मोर्चे पर जिला प्रशासन व नागरिक समाज में जो सजगता व समन्वय दिख रहा है, उससे यह विश्वास जगता है कि हम जल्द ही बाल श्रम मुक्त राजस्थान का सपना साकार होते देखेंगे। श्री कौशिक ने कहा कि पिछले एक साल में प्रशासन के सहयोग से 6 जिलों में.बाल श्रम के खिलाफ 403 छापामार अभियान चलाए और इस दौरान 456 बच्चों को मुक्त कराया है। जिला समन्वयक दीपक कुमार जोरम ने बताया कि अजमेर जिले में पिछले वर्ष 73 जगह कार्यवाही करके 93 नाबालिग बच्चों को बालश्रम से मुक्त करवाया गया।
आज विश्व बाल श्रम निषेध दिवस पर भी संस्था की एक्सेस टू जस्टिस टीम ने 18 जगह दबिश देकर 22 नाबालिग बच्चों को बाल मजदूरी से मुक्त कराया एवं नियोक्ताओं को बालश्रम नहीं करवाने के लिए पाबन्द किया। (अजमेर-5, नागौर-1, बीकानेर-3, चुरू-3 एवं झुन्झुनु-6) इसके अलावा कई कार्यक्रमों का आयोजन हुआ जिसमें बाल मजदूरी के खिलाफ लोगों को जागरूक किया गया और इसके खात्मे का संकल्प लिया गया। इस दौरान बाल मजदूरी के पूरी तरह खात्मे के लिए राष्ट्रीय बाल श्रम उन्मूलन मिशन शुरू करने, इसके लिए पर्याप्त संसाधनों का आवंटन और जिलों में जिला स्तरीय चाइल्ड लेबर टास्क फोर्स के गठन की मांग की।
राजस्थान महिला कल्याण मण्डल देश में बाल अधिकारों की सुरक्षा और संरक्षण के लिए देश के नागरिक समाज के सबसे बड़े नेटवर्क जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन (जेआरसी) का सहयोगी संगठन है। जेआरसी के 250 से भी ज्यादा सहयोगी संगठन देश के 418 जिलों में जमीन पर बाल श्रम, बाल विवाह, बाल यौन शोषण और बच्चों की ट्रैफिकिंग के खिलाफ काम कर रहे हैं। जेआरसी ने बच्चों की सुरक्षा के लिए कानूनी हस्तक्षेप कार्यक्रम ‘न्याय तक पहुंच’ के जरिए पिछले दो वर्षों में 85,000 से ज्यादा बच्चों को बाल मजदूरी से मुक्त कराया है और 54,000 से ज्यादा मामलों में कानूनी कार्रवाई शुरू की। निदेशक राकेश कुमार कौशिक ने रिपोर्ट के हवाले से कहा, “बाल श्रम के खात्मे की दिशा में दुनिया के अन्य देशों के मुकाबले भारत का प्रदर्शन काफी बेहतर रहा है लेकिन पीड़ितों के पुनर्वास और अपराधियों पर सख्त कानूनी कार्रवाई से ही बाल मजदूरी पर रोक लग पाएगी। उन्होंने बाल श्रम के खात्मे के लिए समग्र नीतिगत बदलावों, 18 साल तक मुफ्त व अनिवार्य शिक्षा, पीड़ित बच्चों के पुनर्वास के लिए बाल मजदूर पुनर्वास कोष की स्थापना, खतरनाक उद्योगों की सूची में विस्तार, राज्यों को उनकी विशेष जरूरतों के हिसाब से नीतियां बनाने, बाल मजदूरी के खात्मे के लिए सतत विकास लक्ष्य 8.7 की समयसीमा को 2030 तक बढ़ाने, दोषियों के खिलाफ सख्त व त्वरित कानूनी कार्रवाई की मांग की।
जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन के राष्ट्रीय संयोजक रवि कांत ने कहा कि भारत बाल श्रम को रोकने की अंतरराष्ट्रीय संधि का हस्ताक्षरकर्ता देश है जिसमें बाल श्रम के सभी खतरनाक स्वरूपों को खत्म करने की प्रतिबद्धता जताई गई है। भारत इस दिशा में सार्थक प्रयास कर रहा है जिसके सुखद परिणाम भी सामने आए हैं।
                                                          (राकेश कुमार कौशिक)
                                                               निदेशक

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