नाथद्वारा। आचार्य श्री तुलसी महाप्रयाण दिवस (पुण्य तिथि) को विसर्जन कार्यशाला के रूप में मनाया। मुनि श्री प्रसन्न कुमार जी ने संबोधन में कहा- अध्यात्म क्षेत्र में आचार्य श्री तुलसी एक क्रांतीकारी युग प्रधान आचार्य हुए । समाज ही नहीं समुची मानव जाती को युगीन दृष्टी से आध्यात्मिक विकाश का मार्गदर्शन किया। अणुव्रत (नैतिक चारिभिक एवं मानवीय विकाश का मार्ग दिखाया। जीवन, विज्ञान, प्रेक्षाध्यान, सद्भाव , मैत्री , शांति का मार्ग प्रशप्त किया । आचार्य तुलसी ने विसर्जन सूत्र दिया समाज को कि अर्जन के साथ विसर्जन करना पदार्थ आदि के साथ उस से महत्व छोड़ें । अर्थ (पैसा) जमीन, समय , पुत्रदान आदि अपनी वस्तु का आंशीक विसर्जन करने के संस्कार बताए। एक ड्राईवर, मजदूर , गुरुद्वावा, मंदिर समाज सटयोग में अपनी इच्छा अनुसार दान रूप में देना विसर्जन है। देने के बाद ममत्व या सामित्व भावना यानि मेरा मेरा की भावना न रहे। कई प्रकार का विसर्जन हो सकता है । कई लोग जन कल्याण के कार्यों में अपना समय लगा देते हैं। घर परिवार की भी परवाह नहीं करते निष्काम सेवा देते हैं। यह समय का विसर्जन कहलाता है। विसर्जन पदार्थ का ममत्व छोडना वितरण कहाँ देना उस चीज सा पैसा समय की उपयोगी देख कर देना। वही पैसा गलत जगह दे दिया तो दुरुप हो जाती है। इस दौरान
श्री जैन श्वेतांबर तेरापंथी सभा संस्थान, तेरापंथ महिला मंडल, तेरापंथ युवक परिषद, तेरापंथ कन्या मंडल, तेरापंथ किशोर मंडल और समस्त तेरापंथ समाज नाथद्वारा इस कार्यक्रम के आयोजन में शामिल हुए ।