अजमेर : 17जून /राजस्थान शिक्षक संघ (सियाराम) के प्रदेश उपाध्यक्ष भगवत डांगी ने बताया कि प्रशासनिक अध्यक्ष व मुख्य संरक्षक सियाराम शर्मा ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर शिक्षकों के स्थानांतरण पर आवश्यक कार्यवाही करने की मांग की है। सियाराम शर्मा ने मुख्यमंत्री को भेजे पत्र में लिखा है कि स्थानान्तरण पर सरकार की सभी विभागों में रोक है, परन्तु शिक्षामंत्री के कार्यालय से विधायकों को भेजे गये प्रपत्र के अनुसार शिक्षा विभाग के स्थानान्तरण के प्रस्ताव 15 जून 2025 तक मांग गये है तथा विधायकों को इस प्रपत्र में एक्सेल शीट में सॉफ्ट कॉपी एवं हस्ताक्षर युक्त हार्ड कॉपी शिक्षा विभाग के स्थानान्तरण प्रस्ताव विधायकों की अधिकृत ई मेल आई डी से शिक्षामंत्री की ई मेल आई डी पर मांगी गई है। प्रपत्र के अनुसार प्राचार्य / उप प्राचार्य, व्याख्याता, द्वितीय श्रेणी अध्यापक मंत्रालयिक संर्वग एवं चतुर्थ कर्मचारी इत्यादि को सम्मिलित करते हुए, अधिकतम 70 प्रस्ताव भिजवाने है। यह प्रपत्र सोशल मीडिया पर भी प्रसारित हो रहा है।महत्वपूर्ण विषय यह है कि 70 प्रस्तावों का चयन का आधार क्या होगा ? शिक्षा विभाग में यह पहली बार हो रहा है कि स्थानान्तरणों पर रोक होने के बाद भी इस प्रकार के प्रस्ताव विधायकों से मांगे जा रहे है, जबकि स्थानान्तरण की प्रक्रिया होती है कि स्थानान्तरण रोक हटने के बाद निर्धारित अवधि में इच्छुक अध्यापक, कर्मचारी से आवेदन आमंत्रित किये जाते रहे है।जिला अध्यक्ष सुरेंद्र सिंह गुर्जर ने बताया है कि यह भी जानकारी मिली है कि एक गोपनीय स्थानान्तरण सूची तैयार की गई है। जिसको मुख्यमंत्री से अनुमोदन प्राप्त कर शीघ्र जारी की जावेगी। इस प्रकार से तैयार की गई सूची में स्थानान्तरण उद्योग की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है।इसी प्रकार एक तरफ तो विधायकों एवं जनप्रतिनिधियों से शिक्षा विभाग में स्थानान्तरण हेतु प्रस्ताव मागे जा रहे है वही दूसरी और राजस्थान सिविल सेवा (आचरण) नियम 1971 के नियम 24 के अन्तर्गत स्पष्ट प्रावधान है कि कोई भी राज सेवक अपने सेवा संबंधी कार्यों हेतु, अपने उच्च अधिकारियों पर राजनैतिक दबाव नहीं डालेगा। इस संबंध में कार्मिक विभाग द्वारा प्रपत्र कमांक प.4 (1) नि/ए-3/72 दिनांक 8.1.73, प.4 (6) नि/ए-3/78 दिनांक 26.10.78 एवं प.4 (6) कार्मिक/क-3/78 दिनांक 7.5.99 और प.4 (6) कार्मिक / क-3 /78 दिनांक 17.5. 2000 प्रसारित किये गये है।संगठन के प्रवक्ता आर एन रावत ने बताया कि भाजपा ने सरकार में आने से पूर्व पारदर्शी स्थानान्तरण नीति बनाने की घोषणा की थी, परन्तु बिना स्थानान्तरण नीति के ही स्थानान्तरण करने से सरकार की छवि पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा तथा सीमित चहेतो का स्थानान्तरण करने से शिक्षकों में भारी असंतोष होगा। जबकि माननीय प्रधानमंत्री जी के भी स्पष्ट निर्देश है कि जनप्रतिनिधियों को कर्मचारी स्थानान्तरण राजनीति से दूर रहना चाहिए यह बात माननीय प्रधानमंत्री जी कई उद्बोधनों के कह चुके है। शिक्षक संघ (सियाराम) ने प्रधानमंत्री जी को बात को दरकिनार कर विधायकों से ट्रांसफर प्रस्ताव मांगने को न्यायोचित नही मानते हुए मुख्यमंत्री से इस गंभीर विषय पर विचार कर तुरन्त कार्यवाही करने की मांग की है।