*लोहागल में नगर निगम की नई बिल्डिंग से पानी रिसने लगा, फॉल सीलिंग खराब हो गई और पानी की रैले बहने लगे*

आज के भास्कर मे़ यह समाचार पढ़कर लगा कि इस गंभीर तकनीकी मामले पर कोई विचार नहीं करता, इंजीनियर बरसाती पानी के निकास के लिए कोई डिजाइन/ कैलकुलेशन नहीं करते और छत पर कितने पाइप लगाए जाएं और किस साइज के लगाये जाएं इस मामले में पहले सिविल इंजीनियर कितने जागरूक रहते थे इसका एक उदाहरण पेश है, लगभग 15 वर्ष पहले पीडब्ल्यूडी के एक कनिष्ठ अभियंन्ता मेरे पास तोपदड़ा में प्रस्तावित एक बिल्डिंग के नक्शे बनवाने आए मैंने उनको उनकी मांग के अनुरूप नक्शा बनाकर दे दिया, उन्होंने उसका एस्टीमेट बनाकर सहायक अभियंता को प्रस्तुत कर दिया, सहायक अभियंता ने प्रस्ताव का नक्शा व एस्टीमेट स्वीकृत करने के लिए अधिशासी अभियंता को भेज दिया।
अधिशासी अभियंता ने नक्शा व एस्टीमेट पर एतराज किया और बरसाती पानी के निकास के लिए डिजाइन/कैलकुलेशन करके एस्टीमेट और ड्राइंग में बरसाती पानी के डिस्पोजल दर्शा कर पुन: प्रस्तुत करने के लिए कहा।
रेन वाटर डिस्पोजल के लिए लिए डिजाइन और कैलकुलेशन करने के लिए कहा, इसमें शहर में अधिकतम कितनी बरसात हुई उसके अनुरुप बिल्डिंग के बरसाती पानी की निकास के लिए कितने पाइप लगाने चाहिए किस साइज का पाइप लगाना चाहिए इसका डिजाइन/केल्कुलेशन करके पुन: प्रस्तुत किया जाए। कनिष्ठ अभियंता मेरे पास वापस आए और उनमें से उन्होंने कहा कि इसका नक्शा इसके हिसाब से बना कर दें छत पर ढाल(slope)का एक (roof plan) नक्शा और पाइप के साइज दर्शाने की बात कही उन्होंने ऐसा करने के बाद एस्टीमेट भी उसके अनुसार बनाकर प्रस्तुत किया त अधिशासी अभियंन्ता ने वह एस्टीमेट और नक्शा स्वीकृत किया। अभी सरकारी हो या प्राइवेट इस तकनीकी मुद्दे पर कोई ध्यान नहीं देता और अंदाज से बरसाती पानी की निकास के लिए ढाल व पाइप लगाते हैं जिसकी वजह से छत पर पानी भर जाता है और छतें टपकने लग जाती हैं।
लोहागल में नगर निगम की बिल्डिंग की छत पर गये अधिकारियों ने यही कमी बताई है लेकिन बिल्डिगं मे़ शिफ्ट होने के बाद पानी के रेले बहने के बाद