केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बृहस्पतिवार को झारखंड में राष्ट्रपति शासन की सिफारिश कर 8 जनवरी से चले आ रहे राजनीतिक घटनाक्रम का पटाक्षेप कर दिया।
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने झारखंड के राज्यपाल सैयद अहमद की रिपोर्ट के बाद यह फैसला किया। उनकी रिपोर्ट के आधार पर गृह मंत्रालय ने एक नोट तैयार कर मंत्रिमंडल के सामने रखा। जिस पर यह फैसला किया गया। इससे पहले सीएम अर्जुन मुंडा के इस्तीफे के साथ राज्य में राष्ट्रपति शासन की सिफारिश राज्यपाल से की थी। जिस पर राज्यपाल ने अपनी रिपोर्ट केंद्र सरकार को भेजी।
मौजूदा संकट आठ जनवरी को शुरू हुआ, जब 82 सदस्यों वाली राज्य विधानसभा में भाजपा सरकार में साझेदार झामुमो ने राज्यपाल को पत्र लिखकर औपचारिक रूप से सरकार से समर्थन वापस ले लिया। इससे 28 माह पुरानी भाजपा सरकार अल्पमत में आ गई थी। वर्ष 2000 में गठन के बाद से झारखंड दो बार राष्ट्रपति शासन का सामना कर चुका है। विधानसभा में भाजपा और झारखंड मुक्ति मोर्चा दोनों के पास 18-18 सीट हैं। साथ ही मुंडा सरकार को आल झारखंड स्टूडेंट यूनियन (6) जनता दल यू (2) और निर्दलीय (2) विधायकों का समर्थक भी हासिल था। दूसरी तरफ विपक्ष में कांग्रेस के पास कुल 13, झारखंड विकास मोर्चा के पास 11, आरजेडी के पास 5 विधायक हैं। जबकि सीपीआई एमएल, मार्क्ससिस्ट कोआर्डिनेशन पार्टी, झारखंड पार्टी (एक्का), झारखंड जनाधिकार मोर्चा और जय भारत समता पार्टी को 1-1 सीट हासिल है।