ज्योति मिर्धा ने जताई धनखड के प्रति गहरी संवेदना

नागौर की पूर्व सांसद श्रीमती ज्योति मिर्धा जगदीप धनखड के इस्तीफे से स्तंभित हैं। हों भी क्यों न, आखिर धनखड ही तो उन्हें भाजपा में ले गए थे। नए राजनीतिक समीकरणों में एक तरह से वे ही दिल्ली में उनके आका थे। अब उन्हें नए सिरे से राजनीति का ताना बाना बुनना होगा। या तो धनखड जिस दिषा में जाएंगे, उसी ओर कदम उठाएंगी या फिर भाजपा में रह कर नए सिरे से अपने आपको स्थापित करने की कोशिश करेंगी।
आइये देखते हैं, ज्योति मिर्धा की नजर में धनखड की कितनी अहमियत है। उन्होंने अपने फेसबुक अकाउंट पर एक भावपूर्ण पोस्ट साझा की है, जो यह जाहिर करती है कि धनखड के प्रति उनके मन में कितना श्रद्धा है। वह पोस्ट आप भी पढियेः-
एक युग का विराम: श्रद्धा, सम्मान और स्मृति में
भारत के यशस्वी उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनकड़ जी के इस्तीफे की खबर केवल एक संवैधानिक पद से विदाई नहीं, बल्कि एक ऐसे युग का विराम है जिसने संवैधानिक गरिमा, जनसरोकारों और किसान चेतना को एक नई ऊंचाई दी।
एक किसान पुत्र, जननायक और न्यायप्रिय विचारक के रूप में उन्होंने जो भूमिका निभाई, वह इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में अंकित रहेगी। उनकी आवाज संसद में उन करोड़ों किसानों की पीड़ा और आशाओं की अनुगूंज थी, जो अक्सर नीति-निर्माण की परिधि से बाहर रह जाते हैं।
उन्होंने न केवल स्वर्गीय ‘बाबा’ के विचारों को सम्मान दिया, बल्कि उन्हें अपने सार्वजनिक जीवन में जिया भी। अनेक अवसरों पर जब उन्होंने स्व. नाथूराम जी मिर्धा को अपना प्रेरणास्रोत कहा, वह मेरे लिए गर्व और भावनात्मक जुड़ाव का विषय रहा।
धनखड़ साहब ने उपराष्ट्रपति जैसे गरिमामयी पद की मर्यादा को केवल निभाया नहीं, उसमें संवेदनशीलता, निष्ठा और दृढ़ता का एक विलक्षण समावेश किया।
उनकी दृष्टि में संविधान था, हृदय में भारत की जनता और संवाद में सादगी व स्पष्टता।
आज जब वे उस पद से विदा ले रहे हैं, तो मन एक विशेष शून्यता का अनुभव करता है, पर साथ ही उनके विचार, उनकी संघर्षशीलता और उनकी सेवाभावना सदैव हमारे मार्गदर्शक रहेंगे।
कोटिशः नमन और भावपूर्ण शुभकामनाएं
एक सच्चे किसान-नेता को, एक साहसी विचारक को, और एक आत्मीय मार्गदर्शक को।

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