नागौर की पूर्व सांसद श्रीमती ज्योति मिर्धा व डेगाना के पूर्व विधायक रिछपाल मिर्धा को भाजपा ज्वाइन करवाने में अहम भूमिका अदा करने वाले जगदीप धनखड के इस्तीफे बाद यह सवाल उठ खडा हुआ है कि इन दोनों का अगला राजनीतिक कदम क्या होगा? हालांकि भूतपूर्व सांसद स्वर्गीय श्री नाथूराम मिर्धा की पोती श्रीमती ज्योति मिर्धा की खुद अपनी पहचान है, अपना पारीवारिक जनाधार है और रिछपाल मिर्धा भी कम लोकप्रिय नहीं हैं, मगर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तक उनकी सीधी पहुंच धनखड की वजह से ही थी। अब जब बीच की कडी गायब हो गई तो यह सवाल उठता ही है कि ये दोनों आगे क्या करेंगे? क्या धनखड के अगले कदम के साथ कदम मिलाएंगे या भाजपा में बने रहेंगे? वस्तुतः धनखड के इस्तीफे से सर्वाधिक असर पडा है तो नागौर जिले की राजनीति पर। अब नागौर में जाट राजनीति नई करवट लेगी। इस बात की संभावना भी जताई जा रही है कि दोनो नेता कांग्रेस में लौट आएंगे, मगर ऐसा होना मुश्किल प्रतीत होता है, क्योंकि जमीन पर समीकरण पूरी तरह से बदल चुके हैं। उधर हनुमान बेनीवाल भी खम ठोक कर खडे हैं। कुल मिला कर नाागौर में राजनीति के समीकरण उलझे मांझे की तरह गड्ड मड्ड हो गए हैं।
