विदिशा। विदिशा जिला अस्पताल के शिशु वार्ड और चहक क्लिनिक में विश्व ओआरएस जागरूकता सप्ताह के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में आईएपी विदिशा के अध्यक्ष एवं आईएमए के प्रदेश अध्यक्ष डॉ एम के जैन ने बताया कि ओआरएस एक जीवन रक्षक घोल है ।जो दस्त उल्टी और अन्य बीमारियों में पानी की कमी को दूर करने में सहायक है और ओआरएस के सही तरीके से उपयोग करने असामयिक होने वाली मौतों से सुरक्षा मिलती है ।
उन्होंने आगे बताया कि ओआरएस मतलब हमारे घरों में आसानी से उपलब्ध तरल पदार्थ जैसे पतली दाल, चावल, खिचड़ी, दलिया, नीबू की शकंजी , हल्की चाय , दही, मट्ठा, नारियल पानी और रेडीमेड ओआरएस के पैकेट, जोकि हर सरकारी और निजी अस्पताल में आसानी उपलब्ध होते हैं । इस वर्ष की ओआरएस जागरूकता अभियान की थीम “ओआरएस एक साधारण घोल है लेकिन सुरक्षित भविष्य के स्वास्थ्य के लिए वरदान से कम नहीं है “और इस वर्ष का ओआरएस जागरूकता का स्लोगन /नारा जरूरत के समय ओआरएस पिए और मजबूत बने रहे तथा ओआरएस का उपयोग जरूरत पड़ने पर सतत् रूप से करते रहें ।
विदिशा आईएपी के सचिव डॉ सुरेंद्र सोनकर ने बताया कि 31 जुलाई तक ओआरएस जागरूकता सप्ताह पूरी दुनिया में मनाया जाता है ताकि दस्त- उल्टी , बुखार , लू और अत्यधिक गर्मी के प्रकोप से शरीर आने वाली कमी जैसे पानी , लवण, और ग्लूकोज की कमी को दूर कर उनसे होने वाली मौतों को बचाया जा सके । उन्होंने आगे बताया कि ओआरएस का सही इस्तेमाल करना और साथ में जिंक की गोली का 14 दिनों तक नियमित सेवन करना भी जरूरी है ।
जिला अस्पताल के शिशु वार्ड के डॉ रूपेश ने बताया कि ओआरएस के पाउडर को उबले हुए पानी को ठंडा करके साफ़ ढक्कन वाले वर्तन में बना कर रखना और कटोरी चम्मच से उपयोग करना चाहिए यह घोल चौबीस घंटे तक उपयोग किया जा सकता है ।डॉ एम के जैन ने कहा कि बच्चों को बॉटल से दूध कभी नहीं पिलाना चाहिए ।
क्योंकि उससे और अधिक बीमार होने की संभावना रहती है ।
जन्म से 6 माह तक सिर्फ माँ का दूध पिलाते रहने और छ माह की उम्र के उपरांत घर का बना ताज़ा भोजन भी देना चाहिए ।संगोष्ठी में जिला अस्पताल शिशु वार्ड के मरीज , उनके परिजन और पैरामेडिकल स्टाफ मौजूद थे ।