*स्थानीय लोगों के लगाव व सहभागिता के बिना सरकारी निर्माण में गुणवत्ता नहीं*

*झालावाड़ स्कूल हादसे पर मेरे द्वारा लिखें ब्लॉग और सुझावों* को कई लोगों ने सराहा।
पूर्व IAS अधिकारी श्री NL राठी, पूर्व आईपीएस अधिकारी श्री नेमसिंह चौहान,वरिष्ठ पत्रकार श्री प्रेम आनन्दकर,श्री इन्द्र शेखर भटनागर,श्री गिरधर तेजवानी, श्री राजेन्द्र गुंजल,ब्यावर डेली न्यूज़ के श्री हेमेंद्र सोनीअनेक शिक्षाविदों रामविलास जांगिड़, प्रधानाचार्य कन्हैयालाल दगदी, राजा पृथ्वीपाल सिंह,आदि दर्जनों शुभचिंतकों ने मेरे सुझावों की सराहना की । तथा मुझे इस विषय पर और लिखने के लिए प्रेरिमेरा अनुभव यह बताता है कि किसी भी सरकारी निर्माण गुणवत्ता के लिए गैर राजनीतिक और ईमानदार स्थानीय लोगों की सहभागिता आवश्यक है। क्यों कि उक्त भवन का ज्यादातर उपयोग स्थानीय लोगों के लिए ही होना है। यदि घटिया निर्माण होगा तो उसका परिणाम उन्हें ही भुगतना पड़ेगा।उनकी सहभागिता तथा जिम्मेदारी सुनिश्चित होने भले बुरा के लिए भी वे ही जिम्मेदार ठहरायें जाएगे। अतः घटिया निर्माण की संभावना कम रहेगी।
हीरालाल नाहर

आम आदमी द्वारा अपने भवन मकान निर्माण में जो लागत आती है उससे तीन चार गुना अधिक लागत सरकारी भवनों में आती लेकिन इसके बावजूद सरकारी भवनों की कुछ वर्षों में हालात जीर्ण शीर्ण हों जाती है । एक मात्र कारण ठेकेदार का लालच तथा नेताओं का कमीशन ।

यदि सरकारी भवनों के निर्माण के निर्माण से जुड़े लोगों में भवन से अपनत्व की भावना हो तो गारंटी है कि निर्माण घटिया हो नहीं सकता। लेकिन निर्माण से जुड़े लोगों में यह भावना हो कि दो पांच साल बाद मरम्मत का फंड स्वीकृत करवा कर और कमाएंगे तो निर्माण घटिया ही होगा।
पूर्व में स्कूलों के भवन अवकाश के दिनों में शादी या अन्य समारोह में उपयोग के लिए लोगों को किराए पर दिए जाते थे। लेकिन 10 – 15 वर्षों से सरकार ने इन पर रोक लगा दी। जिससे स्थानीय लोगों का इन भवनों के प्रति अपनत्व कम हुआ है
 लोगों का स्कूल भवनों से अपनत्व बढ़ाने के लिए जिन दिनों स्कूल की छुट्टियां हो उन दिनों में किराए पर लोगों को शादी विवाह या अन्य समारोहो के लिए उपयोग के लिए दिया जाना चाहिए। इससे भवन मरम्मत व मेंटीनेंस के लिए फंड की व्यवस्था स्थानीय स्तर पर ही हो जाएगी। इसके अलावा अन्य भामाशाह भी स्कूल भवन को सुंदर व बेहतर बनाने के लिए आगे आएंगे। अपनत्व से काम करने वाले ऐसे भामाशाहों की सूची भी स्कूल भवन में अंकित कर प्रोत्साहित किया जा सकता है।
*हीरालाल नाहर पत्रकार*
लेखक व चिंतक 
28-7-2025
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