“आजकल लोगों का पढ़ना बहुत कम हो गया है. अधिकांश लोग केवल उतना ही पढ़ते हैं जितना वॉट्सएप उन्हें सुलभ कराता है. बुरी बात यह है कि इस सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर प्रामाणिक ज्ञानv और सूचनाओं को अप्रामाणिक और दुर्भावनापूर्ण, कूट रचित सामग्री ने पूरी तरह विस्थापित कर दिया है. राजनीतिक दलों के वेतन भोगी कार्मिक दिन-रात सामाजिक ताने-बाने को छिन्न भिन्न करने वाली सामग्री रचते और प्रसारित करते रहते हैं. ऐसे ज्ञान विरोधी विकट समय में प्रो जेके गर्ग सतत लेखनरत रहकर एक सजग और ज़िम्मेदार नागरिक का दायित्व निबाह रहे हैं.” यह बात कही हिंदी के सुपरिचित आलोचक अनुवादक और स्तंभकार डॉ दुर्गाप्रसाद अग्रवाल ने. वे आज कॉलेज शिक्षा के पूर्व संयुक्त निदेशक डॉ जेके गर्ग की सद्य प्रकाशित पुस्तक ‘राष्ट्र नायक – स्मृति दिवस’ के जयपुर में आयोजित हुए लोकार्पण समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में अपनी बात कह रहे थे. डॉ अग्रवाल ने कहा कि “डॉ गर्ग ने एक ऐसे समय में जब हमारी नई पीढ़ी अपने महापुरुषों के जीवन और उनके अवदान को भूलती जा रही है, इस किताब के माध्यम से प्रामाणिक और आवश्यक जानकारियां सुलभ कराने का प्रशंसनीय काम किया है. और केवल इतना ही नहीं, उन्होंने संविधान, गणतंत्र और राष्ट्रीय ध्वज के साथ-साथ कुछ महत्वपूर्ण दिवसों के बारे में भी इस किताब में प्रामाणिक जानकारी दी है.”
इस पुस्तक के लेखक डॉ जेके गर्ग ने, जो राष्ट्रदूत के नियमित लेखक भी हैं, अपनी बात रखते हुए कहा कि उनमें बचपन से ही देश प्रेम की प्रबल भावना थी और भले ही वे विज्ञान के शिक्षक रहे, देश की समसामयिक हलचलों में सदा उनकी गहरी रुचि रही. डॉ गर्ग ने कहा कि वे सदा ही राष्ट्रपिता बापू और पण्डित नेहरु के विचारों और कामों के प्रशंसक रहे हैं. उनके आदर्शों की पावन स्मृतियां ही उन्हें सदैव लिखने के लिए प्रेरित करती हैं. डॉ गर्ग ने कहा कि आज देश का परिदृश्य उन्हें बहुत विचलित करता है और इस परिदृश्य में अपना हस्तक्षेप करने के लिए ही वे निरंतर लिखते रहते हैं. उन्होंने बताया कि आज लोकार्पित हुई इस पुस्तक में स्वामी विवेकानंद, महात्मा गांधी, सरदार पटेल, डॉ राजेंद्र प्रसाद, डॉ अम्बेडकर, जवाहर लाल नेहरु, लाल बहादुर शास्त्री, एपीजे अब्दुल कलाम, इंदिरा गांधी, अटल बिहारी वाजपेयी, मनमोहन सिंह, लाला लाजपत राय, जयंत विष्णु नार्लिकर, सरदार भगत सिंह, मदर टेरेसा जैसी महान विभूतियों का जीवन परिचय देते हुए उनके योगदान को सरल भाषा में लिपिबद्ध किया गया है
इस पुस्तक मे कुछ लेख इंग्लिश में भी. है। चीन के साथ युद्ध के समय डॉ गर्ग ने अपनी सेवाएं राष्ट्र को समर्पित करने के लिए प्रधान मन्त्री मुख्य मंत्री राष्ट्रपति
को पत्र लिखा प्रधान मन्त्री से उनका उत्तर भी मिला। नेहरु जी के निधन पर उन्होंने इंदिरा जी, प्रधान मंत्री, विजया लक्ष्मी पंडित को संवेदना संदेश भेजे उनसे प्राप्त उनके पास आज भी सुरक्षित है। डॉ गर्ग ने अपनी पुस्तक को अपनी स्व पत्नी डॉ विनोद को समर्पित किया।
उल्लेखनीय है कि इस किताब से पहले डॉ गर्ग की एक और किताब ‘उत्सव जीवनियां’ प्रकाशित हो चुकी है. डॉ गर्ग ने कहा कि नई पीढ़ी के अंग्रेज़ी के प्रति रुझान को ध्यान में रखकर अब वे दो किताबें अंग्रेज़ी में लिख रहे हैं.
इस लोकार्पण समारोह के अध्यक्ष के रूप में अपनी बात कहते हुए कर्नल मुद्गल ने प्रो गर्ग से अपनी आत्मीयता का भावुकतापूर्ण उल्लेख करते हुए उनके संतुलित एवं सक्रिय जीवन की सराहना की और कहा कि उनकी ये किताबें निश्चय ही समाज को आलोकित और प्रेरित करेंगी. कर्नल मुद्गल ने कहा युवा पीढ़ी के लिए डॉ गर्ग की अध्ययनशीलता और सामाजिक संलग्नता एक प्रकाश स्तंभ की तरह है. इस अवसर पर युवा छात्रा और डॉ गर्ग की पोत्री निरीना गर्ग ने अपने दादा की लेखन कला की तारीफ की।, तिरंगा चालीसा के रचयिता अशोक बाफ़ना और प्रमोद जैन ने भी अपने विचार व्यक्त किए. समारोह का संयोजन श्री गोविंद राम मित्तल ने किया. समारोह में विभिन्न पीढ़ियों के अनेक प्रबुद्ध जन उपस्थित रहे.।