लुंबिनी/नई दिल्ली, 5 अक्टूबर (ब्यूरो रिपोर्ट)। शिक्षण को एक सहयोगी पेशे के रूप में पुनर्निर्धारित करें मूल नारे के साथ आज विश्व भर में अंतर्राष्ट्रीय शिक्षक दिवस विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन कर मनाया जा रहा है। इस अवसर पर *शब्द प्रतिभा बहुक्षेत्रीय सम्मान फाउन्डेशन नेपाल* द्वारा अंतर्राष्ट्रीय स्तर की *अंतर्राष्ट्रीय शिक्षक दिवस कविता प्रतियोगिता* का आयोजन कर हिंदी काव्य साहित्य में सृजन करने वाले 260 कवि/कवयित्रियों को सम्मानित किया गया है। नेपाल भारत मैत्री, सामाजिक तथा सांस्कृतिक पर्यटन विकास, हिंदी भाषा साहित्य के प्रचार प्रसार, शिक्षक तथा साहित्यकारों को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से आयोजित *अंतर्राष्ट्रीय शिक्षक दिवस कविता प्रतियोगिता* में उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिला निवासी *सुनील कुमार “खुराना”* को *प्रथम स्थान* प्राप्त हुआ है। ज्ञात हो कि सुनील कुमार “खुराना” सहारनपुर जिले के ख्याति प्राप्त साहित्यकार तथा कवि हैं। इनकी सैकड़ों रचनाएं देश विदेश की विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई है तथा दर्जनों प्रतिष्ठित सम्मान भी मिल चुके हैं। बहु प्रतीक्षित इस कविता प्रतियोगिता में 2143 महिला/पुरुष रचनाकारों ने अपनी कविता भेजकर सहभागिता व्यक्त की थी। उत्कृष्टता के आधार पर 214 शिक्षक/शिक्षिका रचनाकारों को *अंतर्राष्ट्रीय शिक्षक रत्न मानद उपाधि सम्मान 2025*, तथा 46 रचनाकारों को *अंतर्राष्ट्रीय शिक्षा मित्र सम्मान* से प्रशस्ति पत्र सर्टिफिकेट प्रदान किया गया है। प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त कवि सुनील कुमार “खुराना” को *अंतर्राष्ट्रीय शिक्षक रत्न मानद उपाधि सम्मान* से सम्मानित किया गया हैं । सुनील कुमार “खुराना” को सम्मान प्रदान करते हुए संस्था के अध्यक्ष आनन्द गिरि मायालु ने कहा – *शिक्षक सुनील कुमार खुराना” उच्च प्राथमिक विद्यालय बाधी नकुड़ सहारनपुर उत्तर प्रदेश में सहायक अध्यापक के पद कार्यरत हैं। सुनील कुमार “खुराना” के एक नायाब हीरा है, हीरे को जौहरी ही परख पाते हैं। सुनील कुमार “खुराना” बहुमुखी प्रतिभा के धनी व्यक्तित्व है। इनके 150 साझा संकलन प्रकाशित हो चुके हैं। सुनील कुमार “खुराना” की रचनाओं में समाज जागरण की अद्भुत शक्ति पाई गई है। आज संस्था ऐसी प्रतिभा को सम्मानित कर गौरव महसूस कर रही है। उत्तर प्रदेश राज्य को ऐसी प्रतिभाओं का सम्मान करना चाहिए। सुनील कुमार “खुराना” जैसे साहित्य साधक देश की अमूल्य निधि हैं।*