मुंबई, अक्टूबर 2025: भारत की सबसे बड़ी हॉस्पिटैलिटी कंपनी इंडियन होटल्स कंपनी लिमिटेड (आईएचसीएल) ने देश की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को सहेजने की अपनी सौ साल पुरानी प्रतिबद्धता को बरकरार रखा है। देश की भव्य वास्तुशिल्पीय एवं स्थापत्य कला की पहचान के अलावा आईएचसीएल भारत की जीवंत अमूर्त परम्पराओं और रीति-रिवाजों का भी उत्सव मनाती है।
आईएचसीएल के एग्जीक्यूटिव वाइस प्रेसिडेंट-ह्यूमन रिसोर्स, श्री गौरव पोखरियाल ने कहा, ’’इंडियन होटल्स कंपनी को लम्बे समय से भारतीय विरासत का संरक्षक माना जाता है। आईएचसीएल एक सदी से भी ज्यादा समय से ऐसे सस्टेनेबल प्लैटफॉर्म बनाती आई है जिनसे स्थानीय कला और संस्कृति को संरक्षण और बढ़ावा मिलता है। आईएचसीएल अपने 250 से ज्यादा ऑपरेटिंग होटलों के बड़े नेटवर्क के ज़रिए भारत की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सुरक्षा में सहयोग करती है, जिसमें उत्तराखंड के ऋषिकेश से लेकर पश्चिम बंगाल के रायचक तक पावन गंगा नदी के किनारे परम्पराओं और रीति-रिवाजों का सम्मान करने से लेकर देश के जीवंत आध्यात्मिक स्थलों का सत्कार शामिल है।’’
आईएचसीएल के होटल ऐसे अनुभाविक टूर प्रस्तुत करते हैं, जो देश की जीवंत विरासत के दर्शन कराते हैं। इनमें ऐसी परम्पराएं शामिल हैं जो एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक चली आ रही हैं, जिनसे समुदायों में निरंतरता का ऐहसास होता है। पर्यटक राजस्थान के बिश्नोई गांव की खास आदिवासी ज़िंदगी, कर्नाटक के शानदार अतीत और मैसूर दशहरा के ज़रिए त्योहारों का अनुभव कर सकते हैं, या उदयपुर में मोलेला टेराकोटा आर्ट द्वारा टेराकोटा में हाथ से रची गई कथाओं को देख सकते हैं। बगरु हैंड ब्लॉक प्रिंटिंग के ज़रिए पैटर्न और टेक्सटाइल की प्रेम कहानी और जयपुर में ब्लू पॉटरी के ज़रिए जीवित रखी गई तुर्की-फारसी परम्परा, कोलकाता में देवी शक्ति का उत्सव-दुर्गा पूजा, वाराणसी में गंगा आरती के साथ-साथ कोलकाता में एक ऐतिहासिक नदी किनारे की जगह, छोटेलाल की घाट के संरक्षण और मरम्मत का अनुभव कर सकते हैं।
आईएचसीएल पथ्य के तहत अपने ईसीजी प्लस फ्रेमवर्क के जरिए भारत की सांस्कृतिक विरासत को बचाने और बढ़ावा देने के लिए समर्पित है।