बाल दिवस: बच्चों के सपनों को पंख देने का दिन
–बाबूलाल नागा
भारत में हर साल 14 नवंबर को देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के जन्मदिवस को बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है। बाल दिवस का एक महत्वपूर्ण उद्देश्य बच्चों को शोषण, शिक्षा के बारे में, बाल मजदूरी और भेदभाव से बचाने के प्रति समाज में जागरूकता फैलाना है।
पर दुर्भाग्यवश, आज भी भारत में बच्चों से संबंधित कई गंभीर चुनौतियां मौजूद हैं। बाल श्रम, गरीबी और अशिक्षा के कारण लाखों बच्चे खतरनाक परिस्थितियों में काम करने को मजबूर हैं, जिससे उनका बचपन और स्वास्थ्य दोनों खतरे में हैं। देश में कई बच्चे तस्करी और दुर्व्यवहार के खतरों का सामना करते हैं। कानूनी प्रतिबंधों के बावजूद, ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों में बाल विवाह आज भी एक गंभीर समस्या है, जो लड़कियों के स्वास्थ्य और शिक्षा को बुरी तरह प्रभावित करती है। आज हम देख रहे हैं कि इंटरनेट के बढ़ते उपयोग के साथ, बच्चों के लिए ऑनलाइन उत्पीड़न और शोषण का खतरा भी बढ़ रहा है। देश में बच्चों के बीच कुपोषण की उच्च दर उनके शारीरिक और मानसिक विकास को बाधित करती है। सूचना राष्ट्रीण पोषण की ओर से किए गए एक व्यापक सर्वेक्षण से डरावनी जानकारी सामने आई कि राजस्थान में 5 साल से कम उम्र के 40.9 प्रतिशत बच्चों का वजन सामान्य से कम है। 44.4 प्रतिशत बच्चों में खून की कमी है। देश में डेढ़ करोड़ बच्चे हर साल ऐसी बीमारियों से मरते हैं जिनसे उन्हें बचाया जा सकता था।
यह हम सभी जानते हैं कि बच्चे ही देश के विकास की नींव होते हैं और भविष्य भी, लेकिन अगर बच्चे अपने अधिकारों से वंचित रह जाएंगे तो एक बेहतर दुनिया का निर्माण नहीं किया जा सकेगा। महज केवल एक दिन बाल दिवस के आयोजन बस औपचारिकता ही है। बाल दिवस की सार्थकता तभी है जब हम देश के हर बच्चे को उसके मूलभूत अधिकार दिला पाएं। हम बाल श्रम के विरुद्ध आवाज उठाएं, हर बच्चे की शिक्षा सुनिश्चित करें और उन्हें एक सुरक्षित व स्वस्थ वातावरण प्रदान करें। हमें बच्चों की बेहतरी के लिए काम करना चाहिए, साथ ही हर बच्चे को हर अधिकार प्राप्त हो, उसके लिए प्रतिबद्ध होना चाहिए। हर बच्चे को शिक्षा का अधिकार, संरक्षण का अधिकार, स्वास्थ्य और पोषण का अधिकार मिलें। हर बच्चे को खेलने और मनोरंजन का अधिकार प्राप्त हों। हर बच्चे को खेल, मस्ती और रचनात्मकता से भरा बचपन मिलना चाहिए। चाहे सरकार हो या संस्थान, सभी को बच्चों के कल्याण और उनके अधिकारों के लिए अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा करना चाहिए। सरकार द्वारा चलाई जा रही ‘‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ”, ‘‘पोषण अभियान’’ और शिक्षा के अधिकार जैसे योजनाओं की सफलता के लिए समाज के प्रत्येक व्यक्ति की सक्रिय भागीदारी आवश्यक है।
बाल दिवस केवल एक वार्षिक परंपरा नहीं है, यह एक प्रेरणा है, एक संकल्प है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि हर बच्चे में एक अपार शक्ति, प्रतिभा और संभावनाएं छिपी हैं। बच्चों को केवल शारीरिक और शैक्षिक पोषण ही नहीं, बल्कि सबसे बढ़कर प्यार, विश्वास और सम्मान की आवश्यकता है। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हमारे बच्चे ऐसे नागरिक बनें जो न केवल साक्षर हों, बल्कि नैतिक मूल्यों, सहानुभूति और जिम्मेदारी की भावना से भी परिपूर्ण हों। बाल दिवस का सार यही है कि हम अपने बचपन की खुशियों को याद करें और उस खुशी को हर बच्चे के जीवन में लाने का प्रयास करें। बाल दिवस के अवसर पर हमें यह संकल्प लेना चाहिए कि हर बच्चे को शिक्षा और एक बेहतर भविष्य का अधिकार मिल सके। बच्चों का शोषण रोकने के लिए हमें सभी स्तरों पर जागरूकता फैलानी होगी और समाज को बच्चों की सुरक्षा के प्रति अधिक संवेदनशील बनाना होगा।
आइए, इस बाल दिवस पर हम सभी मिलकर एक ऐसे भारत के निर्माण का संकल्प लें जहां हर बच्चा सुरक्षित हो, शिक्षित हो, और उसे अपनी पूरी क्षमता तक पहुंचने का अवसर मिले। तभी हम सच्चे अर्थों में चाचा नेहरू के सपनों के भारत का निर्माण कर पाएंगे, जहां हर बच्चा, कल का जिम्मेदार और सशक्त नागरिक बन सके। बच्चे ही राष्ट्र की धरोहर हैं, और उनकी देखभाल हमारा परम कर्तव्य है। बाल दिवस बच्चों के अधिकारों और उनके भविष्य की रक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण दिन है। हमें इस दिन को बच्चों के अधिकारों की रक्षा के लिए काम करने के अवसर के रूप में लेना चाहिए। हमें बच्चों को शिक्षा, स्वास्थ्य और सुरक्षा के अधिकारों के बारे में जागरूक करना चाहिए और उनके भविष्य की रक्षा के लिए काम करना चाहिए।
(लेखक भारत अपडेट के संपादक हैं)
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