उदयपुर – 17 नवंबर 2025
स्वतंत्रता सेनानी और जैन संत आचार्य जवाहरलालजी महाराज की 150वीं जयंती के उपलक्ष्य में 16 नवम्बर, रविवार को भारत सरकार द्वारा स्मारक रजत सिक्का और डाक टिकट जारी किए गए। भारत सरकार के डाक विभाग की ओर से आचार्य जवाहरलाल पर 5 रुपए मूल्य का स्मारक डाक टिकट व वित्त मंत्रालय द्वारा 150 रुपए मूल्य वर्ग का सिक्का जारी किया। जसकरण बोथरा फाउंडेशन द्वारा मुम्बई राजभवन में आयोजित विमोचन समारोह में महाराष्ट्र एवं गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने स्मारक डाक टिकट जारी किया। पंजाब के राज्यपाल एवं चंडीगढ़ के प्रशासक गुलाबचंद कटारिया ने स्मारक चतुर्थांश सिक्का जारी किया। इस अवसर पर महाराष्ट्र शासन में कौशल विकास मंत्री मंगल प्रभात लोढ़ा और महाराष्ट्र डाक सर्कल के महानिदेशक अमिताभ सिंह सहित समाज के अनेक गणमान्य महानुभाव उपस्थित थे।
इस अवसर पर सरकार द्वारा जारी होने वाली विवरणिका में उदयपुर के साहित्यकार डॉ. दिलीप धींग द्वारा लिखित आलेख का प्रकाशन किया गया है। आलेख में आचार्य जवाहर के व्यक्तित्व, कृतित्व तथा समाज व राष्ट्र के लिए उनके योगदान को दर्शाया गया है।
श्रमण डॉ. पुष्पेन्द्र मुनि ने बताया कि आचार्य जवाहर भविष्य द्रष्टा भी थे। श्रमण संघ के तृतीय पट्टधर आचार्य देवेन्द्र मुनि जब आठ वर्ष के बालक थे, तब वर्ष 1939 आचार्य जवाहर ने उदयपुर के पंचायती नाहरे में उन्हें देखकर कह दिया था कि यह बालक भविष्य में धर्मोद्योत करने वाला आचार्य बनेगा। डॉ. दिलीप धींग ने बताया कि आचार्य जवाहर के उदयपुर में चार चातुर्मास हुए थे। उनके नाम से उदयपुर में जवाहर जैन विद्यालय और उदयपुर जिले के कानोड़ कस्बे में जवाहर विद्यापीठ चलता है। जवाहर विद्यापीठ से ग्रामीण क्षेत्र के हजारों विद्यार्थी उच्च शिक्षित बने हैं।
श्रमण डॉ. पुष्पेन्द्र मुनि ने बताया आचार्य जवाहर लाल ने देश पराधीनता में होने के समय दस हजार से अधिक सत्संगों के माध्यम से जनजागरण का कार्य किया। उन्होंने लोगों को स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए प्रेरित किया। विशेष रूप से उन्होंने महात्मा गांधी, सरदार पटेल और लोकमान्य तिलक जैसे नेताओं को स्वतंत्रता आंदोलन में प्रेरित किया। आचार्य जवाहर लाल महाराज ने बाल विवाह, दहेज प्रथा और नशाखोरी का दृढ़ विरोध किया। इस संदर्भ को स्मरण करते हुए राज्यपाल कटारिया ने कहा कि उनके नाम पर जारी यह स्मारक सिक्का और डाक टिकट लोगों को उनके कार्यों की चिरस्थायी याद दिलाते रहेंगे।
ज्ञातव्य हो कि स्मारक सिक्के में अभी तक पूर्व में कुल सात सिक्के जैन संत समाज पर जारी हुए पर स्थानकवासी समाज में यह प्रथम मौका है जब स्थानकवासी जैन आचार्य जवाहरलाल पर स्मारक सिक्का जारी किया गया।
इस अवसर पर सरकार द्वारा जारी होने वाली विवरणिका में उदयपुर के साहित्यकार डॉ. दिलीप धींग द्वारा लिखित आलेख का प्रकाशन किया गया है। आलेख में आचार्य जवाहर के व्यक्तित्व, कृतित्व तथा समाज व राष्ट्र के लिए उनके योगदान को दर्शाया गया है।
श्रमण डॉ. पुष्पेन्द्र मुनि ने बताया कि आचार्य जवाहर भविष्य द्रष्टा भी थे। श्रमण संघ के तृतीय पट्टधर आचार्य देवेन्द्र मुनि जब आठ वर्ष के बालक थे, तब वर्ष 1939 आचार्य जवाहर ने उदयपुर के पंचायती नाहरे में उन्हें देखकर कह दिया था कि यह बालक भविष्य में धर्मोद्योत करने वाला आचार्य बनेगा। डॉ. दिलीप धींग ने बताया कि आचार्य जवाहर के उदयपुर में चार चातुर्मास हुए थे। उनके नाम से उदयपुर में जवाहर जैन विद्यालय और उदयपुर जिले के कानोड़ कस्बे में जवाहर विद्यापीठ चलता है। जवाहर विद्यापीठ से ग्रामीण क्षेत्र के हजारों विद्यार्थी उच्च शिक्षित बने हैं।
श्रमण डॉ. पुष्पेन्द्र मुनि ने बताया आचार्य जवाहर लाल ने देश पराधीनता में होने के समय दस हजार से अधिक सत्संगों के माध्यम से जनजागरण का कार्य किया। उन्होंने लोगों को स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए प्रेरित किया। विशेष रूप से उन्होंने महात्मा गांधी, सरदार पटेल और लोकमान्य तिलक जैसे नेताओं को स्वतंत्रता आंदोलन में प्रेरित किया। आचार्य जवाहर लाल महाराज ने बाल विवाह, दहेज प्रथा और नशाखोरी का दृढ़ विरोध किया। इस संदर्भ को स्मरण करते हुए राज्यपाल कटारिया ने कहा कि उनके नाम पर जारी यह स्मारक सिक्का और डाक टिकट लोगों को उनके कार्यों की चिरस्थायी याद दिलाते रहेंगे।
ज्ञातव्य हो कि स्मारक सिक्के में अभी तक पूर्व में कुल सात सिक्के जैन संत समाज पर जारी हुए पर स्थानकवासी समाज में यह प्रथम मौका है जब स्थानकवासी जैन आचार्य जवाहरलाल पर स्मारक सिक्का जारी किया गया।