डीजल की बढ़ेगी कालाबाजारी

थोक खरीदारों को बाजार मूल्य पर डीजल बेचने की अनुमति देश में डीजल की कालाबाजारी को बढ़ावा दे सकती है। तेल कंपनियां भी इस बात से बखूबी वाकिफ हैं, लेकिन उनके पास इस पर रोक लगाने का कोई उपाय फिलहाल नहीं है। पेट्रोलियम मंत्रालय भी डीजल की कालाबाजारी रोकने की सारी जिम्मेदारी राज्य सरकारों पर डाल रहा है।

कौन है थोक खरीददार?

डीजल के थोक खरीदार की जो परिभाषा तेल कंपनियों ने बनाई है, दरअसल उसकी वजह से ही कालाबाजारी बढ़ने की ज्यादा आशंका है। देश की सबसे बड़ी तेल कंपनी इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, मोटे तौर पर हम उन सभी खरीदारों को थोक ग्राहक मानते हैं, जो पेट्रोल पंप के बजाय सीधे हमारे डिपो से डीजल खरीदते हैं। इसमें राज्यों की सरकारी ट्रांसपोर्ट कंपनियां, सीमेंट कंपनियां, स्टील कंपनियां, ओएनजीसी जैसी बड़ी कंपनियां तथा सेना, रेल और मोबाइल टावर चलाने वाले संगठन व कंपनियां शामिल हैं। अधिकांश शॉपिंग मॉल्स भी थोक खरीदारों में शामिल हैं। सीमेंट, स्टील जैसी बड़ी कंपनियां या रेलवे तो पेट्रोल पंप से डीजल नहीं खरीद सकतीं, लेकिन मॉल्स या मोबाइल टावर जैसे छोटे थोक खरीदार यदि ऐसा करते हैं तो उनकी निगरानी मुश्किल होगी।

अभी होगी ज्यादा कालाबाजारी

सरकार ने जिस तरह से डीजल की कीमत बढ़ाने का फैसला किया है, उससे मौजूदा हालात में सबसे ज्यादा कालाबाजारी होने की संभावना बढ़ गई है। गुरुवार देर रात 50 पैसे की वृद्धि होने के बाद थोक ग्राहकों को डीजल लगभग 57 रुपये प्रति लीटर मिलेगा। वहीं, पेट्रोल पंप पर इसकी दिल्ली में कीमत 47 रुपये के करीब होगी। सरकार की योजना इस अंतर को धीरे-धीरे कम करने की है। तेल कंपनियां हर महीने डीजल को पचास पैसे महंगा करेंगी। चूंकि अंतर अभी ज्यादा है, इसलिए अभी कालाबाजारी ज्यादा होने के आसार हैं। पेट्रोलियम मंत्रालय के एक अधिकारी के मुताबिक जब भी दोहरी मूल्य व्यवस्था लागू होती है, तब कालाबाजारी की संभावना बढ़ जाती है। जब थोक व खुदरा मूल्य में कोई अंतर नहीं रह जाएगा तब यह भी खत्म हो जाएगी।

कैसे लगेगी इस पर रोक :

तेल कंपनियां और सरकार दोनों यह स्वीकार कर रहे हैं दोहरी मूल्य व्यवस्था से डीजल की कालाबाजारी बढ़ सकती है। लेकिन इसे रोकने को लेकर सब अंधेरे में हैं। तेल कंपनियों का कहना है कि चूंकि डीजल में पहली बार दोहरी मूल्य व्यवस्था लागू हुई है, इसलिए इस बारे में अभी सोचा नहीं गया। पेट्रोलियम मंत्रालय के एक अधिकारी का कहना है कि कालाबाजारी रोकना राज्य सरकारों के अधिकार क्षेत्र में आता है। इसलिए उन्हें इसे लेकर सतर्क रहना चाहिए।

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