वैसे तो वह विकलांग हैं। उम्र है 26 साल। पेशे से पंडित हैं। मंदिर के पुजारी होने के साथ-साथ लोगों का भविष्य उनके हाथों की लकीरें देखकर बताते हैं, लेकिन अपना भविष्य उन्होंने खुद पंजा लड़ाकर बनाया है। 2010 में एशिया में पंजा लड़ाने में टॉप रह चुके हैं।
फाइनल राउंड में उन्होंने तजाकिस्तान के पहलवान को पंजा लड़ाने में हरा कर यह ताज अपने सिर बांधा था। अब वह एक बार फिर से अंबुजा सीमेंट व 92.7 बिग एफएम के तत्वावधान में होने वाली अंबुजा बिग पंजा लड़ाओ प्रतियोगिता में जलवा दिखाएंगे। वह चाहते हैं कि पंजा लड़ाने की प्रतियोगिता को ओलंपिक में शामिल किया जाए ताकि वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पंजा लड़ाने में टॉपर बन सकें।
इस्लामाबाद के पीर बाबा नूरे शाह स्थित मंदिर में बतौर पुजारी दिनेश कुमार लोगों में पंडित जी के नाम से मशहूर हैं। पांच भाई व एक बहन में सबसे बड़े दिनेश के सभी भाई-बहनों के नाम देवी-देवताओं के नाम पर हैं। छोटे भाइयों के नाम पवन, गिरधर लाल, रामकृष्ण, विष्णु हैं, जबकि बहन का नाम लक्ष्मी है। माता का नाम राधारानी जबकि पिता का नाम सुंदर लाल है। पिछले सात सालों से वह पंजा लड़ाने की प्रतियोगिता में हिस्सा ले रहे हैं। पांच फुट कद व 49 किलोग्राम वजन वाले ग्रेजुएट दिनेश बड़े-बड़ों को पंजा लड़ाने में हरा चुके हैं।
दो साल पहले ममता शर्मा के साथ उनकी शादी हुई है। ममता ने जब दिनेश को देखा तो विकलांग होने के बावजूद उन्हें जीवन साथी चुनने में तुरंत हामी भर दी।
दिनेश बताते हैं कि वह पंजा को मजबूत करने के लिए व्यायाम करते हैं। शुद्ध शाकाहारी हैं। कोई अलग से खुराक नहीं लेते। हमेशा खुश रहते हैं। कोई नशा नहीं करते। दिनेश नौ महीने की उम्र में विकलांग हुए थे। होश संभालने पर जब विकलांगता का एहसास हुआ तो उन्होंने ठान लिया था कि विकलांग होकर वह ऐसा कुछ कर दिखाएंगे, जिससे समाज विकलांग व्यक्ति को असहाय समझना भूल जाएगा। भगवान की कृपा से एशिया टॉपर होने के बाद वह अब ऐसे मुकाम पर हैं, जहां उनका उदाहरण लोग देना नहीं भूलते।