प्रशासनिक क्षमता और योग्यता हुई तो आइएएस ही नहीं इंजीनियर, डाक्टर और अखिल भारतीय सेवा के दूसरे क्षेत्रों से आने वाले अधिकारी भी केंद्रीय मंत्रालयों में उच्च प्रशासनिक और प्रबंधन के पदों पर नियुक्त हो सकते हैं।
गुरुवार 24 जनवरी को रक्षा मंत्री एके एंटनी की अध्यक्षता में होने जा रही मंत्रिसमूह की बैठक में इसे हरी झंडी दी जा सकती है। अरसे पहले प्रशासनिक सुधार आयोग की ओर से केंद्रीय सिविल सर्वेट्स अथॉरिटी बनाने के सुझाव को कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) ने पहले ही मान लिया है। फिलहाल, चुने हुए मंत्रालयों में तकनीकी विशेषज्ञों को जगह दी जाती है।
सरकार अब प्रशासनिक व्यवस्था में बदलाव के लिए तैयार हो गई है। 2007 में एम. वीरप्पा मोइली की अध्यक्षता में गठित प्रशासनिक सुधार आयोग ने कुछ सुझाव दिए थे। अब सरकार इन सुझावों पर अमल की दिशा में बढ़ने की तैयारी में जुट गई है। सरकार में सहमति बनी तो भारतीय प्रशासनिक सेवा (आइएएस) से चुनकर आए लोग ही नहीं, अखिल भारतीय सेवा (ऑल इंडिया सर्विसेस) में प्रशासनिक दक्षता दिखा चुके दूसरे क्षेत्रों के लोगों को भी केंद्रीय मंत्रालयों में लाया जा सकता है।
शर्त सिर्फ यह होगी वह व्यक्ति
ग्रुप- ए-स्तर पर 13 साल से ज्यादा काम कर चुका हो और आचरण दुरुस्त हो। यानी अखिल भारतीय सेवा से चुनकर आए इंजीनियर हों या डाक्टर अथवा केंद्रीय विश्वविद्यालयों में प्रोफेसर, अगर उनमें प्रशासनिक क्षमता है तो उन्हें मंत्रालय में या किसी दूसरे स्तर पर प्रशासनिक कार्य दिया जा सकता है। फिलहाल विज्ञान और प्रौद्योगिकी, डीआरडीओ, जैसे संस्थानों में इंजीनियर या वैज्ञानिकों को उच्च पदों पर नियुक्त किया जाता है। अब इसका विस्तार होगा।
पांच सदस्यीय सेंट्रल सिविल सर्वेट्स अथॉरिटी को संवैधानिक दर्जा दिया जाएगा। इसके सदस्यों के चयन के लिए तीन सदस्यीय समिति बनेगी जिसमें प्रधानमंत्री के अलावा गृह मंत्री और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष शामिल होंगे। केंद्रीय कैबिनेट सचिव इस समिति के सचिव होंगे। अथॉरिटी में सदस्यों की नियुक्ति राष्ट्रपति करेंगे। लोकसेवा के क्षेत्र से ही सदस्यों का चयन होगा, लेकिन इसमें सांसद विधायक या राजनीतिक दलों के पदाधिकारी नहीं होंगे।
गौरतलब है कि प्रशासनिक सुधार आयोग की 10वीं रिपोर्ट में आयोग या अथॉरिटी के गठन की बात कही थी जो सीनियर मैनेजमेंट लेवल ब्यूरोक्रेट की नियुक्ति और दिशानिर्देश तय करेगा। इस अथॉरिटी को यह अधिकार होगा कि वह संबंधित अधिकारी की रुचि और योग्यता को देखते हुए उनके लिए काम तय करे। अधिकारियों के कार्यकाल पर भी इसका निर्णय ही अंतिम होगा।